एक लंबे कानूनी संघर्ष के बाद, अब भारत को 26/11 हमलों के एक अहम किरदार तक सीधी पहुँच मिलने जा रही है। आखिरकार, तहव्वुर राणा भारत लौट रहा है — न्याय की दिशा में एक बड़ा कदम।
मुंबई पर हुए 26/11 के आतंकवादी हमले को आज भी भारत का सबसे दर्दनाक और भयावह हमला माना जाता है। इस हमले में 166 निर्दोष लोग मारे गए थे और सैकड़ों घायल हुए थे। अब, इस केस के एक अहम आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा को अमेरिका से भारत लाने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है।
ताजा अपडेट के मुताबिक, उसे एक विशेष विमान से भारत लाया जा रहा है। अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने उसकी अंतिम अपील भी खारिज कर दी है। भारत की एजेंसियाँ उसकी कस्टडी की तैयारी कर चुकी हैं और पूरा देश एक बार फिर उस दिन के इंसाफ की ओर देख रहा है।
BREAKING: 26/11 Accused Tahawwur Rana’s Extradition to India CLEARED🔥
~ US Supreme Court rejects his desperate stay plea.Modi Government’s relentless pursuit ensures justice for 26/11 victims. Jai Hind 🇮🇳👏🏼 pic.twitter.com/022kzB9Jt7
— The Analyzer (News Updates🗞️) (@Indian_Analyzer) April 7, 2025
🔶 तहव्वुर राणा कौन है?
तहव्वुर हुसैन राणा एक पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक है, जो पेशे से एक डॉक्टर और इमिग्रेशन कंसल्टेंट है। वो लंबे समय तक अमेरिका में रहा और वहीं से अपने दोस्त डेविड कोलमैन हेडली के साथ मिलकर भारत में आतंकी गतिविधियों की प्लानिंग की।
डेविड हेडली वही शख्स है जिसने 26/11 हमले से पहले मुंबई में कई जगहों की रेकी की थी — होटल ताज, ओबेरॉय ट्राइडेंट, नरीमन हाउस जैसे संवेदनशील ठिकाने उसी की रिपोर्ट पर लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों ने टारगेट किए थे।
राणा पर आरोप है कि वह हेडली को सपोर्ट कर रहा था और उसके नकली बिजनेस कागज़ों के ज़रिए उसे भारत भेजने की मदद की। अमेरिका की एक अदालत ने उसे “26/11 हमलों में मटेरियल सपोर्ट” के मामले में तो बरी कर दिया, लेकिन दूसरी आतंकी साजिशों में दोषी पाते हुए 14 साल की सज़ा सुनाई थी।
🔶 अमेरिका में कानूनी लड़ाई
राणा की सजा के बाद वह COVID-19 महामारी के दौरान जेल से रिहा हुआ। लेकिन भारत सरकार ने NIA के जरिए उसके खिलाफ एक्स्ट्राडिशन (प्रत्यर्पण) की प्रक्रिया शुरू की। इसके बाद एक लंबा कानूनी संघर्ष चला:
- उसने अपनी स्वास्थ्य स्थिति (ब्लैडर कैंसर की आशंका, पार्किंसंस और एओर्टिक एन्यूरिज्म) का हवाला देकर दया की मांग की।
- फिर “डबल जेपर्डी” का तर्क दिया — कि जिस अपराध से जुड़ी बात पर वह अमेरिका में बरी हो चुका है, उसी पर भारत में मुकदमा नहीं चल सकता।
- उसने UN Convention Against Torture का हवाला देकर कहा कि भारत में उसे धर्म, राष्ट्रीयता और संस्कृति के आधार पर टारगेट किया जाएगा।
- एक ब्रिटिश बैरिस्टर (Paul Garlick) ने भी उसे डिफेंड किया।
लेकिन भारत की ओर से सीनियर वकील दयान कृष्णन (NIA के लिए प्रो बोनो) ने अमेरिकी अदालत में इन दलीलों को काटा। फरवरी 2025 में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने सभी अपीलें खारिज कर दीं। 8 अप्रैल को कोर्ट ने अंतिम याचिका पर भी स्टे देने से मना कर दिया।
अब वह कानूनी तौर पर भारत को सौंपा जा सकता है — यही प्रक्रिया फिलहाल चल रही है।
Tahawwur Rana Extradition Soon || LATEST UPDATES:
As per sources:
– ‘#TahawwurRana is likely to reach India tonight’
– ‘Multi-agency team from India reaches U.S’
– ‘Paperwork to be completed in U.S’
– Rana to be extradited in a pvt aircraft@Aruneels & @priyanktripathi… pic.twitter.com/EKUaOzgGLj
— TIMES NOW (@TimesNow) April 9, 2025
🔶 भारत की रणनीति और तैयारी
सरकारी सूत्रों के मुताबिक, भारत की मल्टी-एजेंसी टीम अमेरिका पहुँच चुकी है। इसमें NIA, गृह मंत्रालय, MEA (विदेश मंत्रालय) और खुफिया एजेंसियों के अधिकारी शामिल हैं।
राणा को विशेष विमान से भारत लाया जा रहा है, जिसे रास्ते में रिफ्यूलिंग की जरूरत होगी। ऐसी उम्मीद है कि वह आज रात या कल सुबह भारत की धरती पर होगा।
NIA ने दिल्ली में सुरक्षा और पूछताछ की पूरी तैयारी कर ली है। जैसे ही राणा भारत पहुँचेगा, उसे आतंकी गतिविधियों से संबंधित मामलों में रिमांड पर लिया जाएगा। इस मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए सुरक्षा एजेंसियों और मीडिया की नज़रें इस पर बनी हुई हैं।
🔶 अब आगे क्या?
राणा के भारत आने के बाद NIA सबसे पहले उसे स्पेशल कोर्ट के सामने पेश करेगी। इसके बाद पूछताछ और जांच का सिलसिला चलेगा, जिसमें यह जानने की कोशिश की जाएगी कि:
- क्या राणा के पास अभी और कोई जानकारी है जो अब तक सामने नहीं आई?
- डेविड हेडली के साथ उसका असली तालमेल क्या था?
- क्या उसने लश्कर या ISI से डायरेक्ट संपर्क किया?
संभावना है कि इस पूछताछ से 26/11 हमले के कई छुपे हुए कनेक्शन सामने आ सकते हैं। यह भारत के लिए एक सुनहरा मौका है उन Loose Ends को जोड़ने का, जो अभी तक अधूरे रह गए थे।
🔶 कूटनीतिक और राजनीतिक असर
राणा का प्रत्यर्पण भारत के लिए कूटनीतिक जीत मानी जा रही है। अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट से लेकर बाइडेन प्रशासन तक, सभी स्तरों पर भारत ने अपना पक्ष मजबूती से रखा।
यह एक संदेश है कि भारत आतंकी मामलों पर कोई समझौता नहीं करेगा, और जो अपराधी कानून से बच रहे हैं, उन्हें दुनिया के किसी भी कोने से लाया जा सकता है।
वहीं, पाकिस्तान की भूमिका और ISI से उसके संबंध एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मंच पर चर्चा में आ सकते हैं। इससे भारत को FATF और UN मंचों पर और समर्थन मिल सकता है।
🔶 विश्लेषण: क्या अब मिलेगा न्याय?
इस सवाल का जवाब आसान नहीं है। हालांकि भारत ने एक बड़ा कदम बढ़ाया है, लेकिन अब असली चुनौती कानूनी प्रक्रिया को सही दिशा में ले जाना है।
तहव्वुर राणा को भारत में ट्रायल फेस करना होगा। उसका केस लंबा खिंच सकता है, जिसमें कई तकनीकी पहलू होंगे:
- विदेशी गवाहों की उपस्थिति
- अमेरिकी दस्तावेजों का उपयोग
- सुरक्षा का उच्चतम स्तर
इसके अलावा, भारत को इस केस को ट्रांसपेरेंट और तेज़ तरीके से हैंडल करना होगा ताकि यह एक मिसाल बने।
🔶 निष्कर्ष
तहव्वुर राणा का भारत आना केवल एक गिरफ्तारी नहीं — यह 26/11 हमले के शहीदों और पीड़ितों के लिए एक उम्मीद है। अब यह भारत की न्यायिक प्रणाली पर निर्भर करता है कि वह इस मामले में कितनी तेजी और निष्पक्षता से काम करती है।
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