🔶पंजाब की सियासी हलचल का ताजा मुद्दा
पंजाब की राजनीति इन दिनों एक नई हलचल से गुजर रही है। नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा के एक टीवी इंटरव्यू ने सियासी पारा चढ़ा दिया है, जिसमें उन्होंने दावा किया कि राज्य में 50 ग्रेनेड पाकिस्तान से भेजे गए हैं, जिनमें से 18 का इस्तेमाल हो चुका है और बाकी अब भी गायब हैं। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस बयान को गंभीरता से लेते हुए तुरंत कार्रवाई की और पुलिस की एक टीम बाजवा के घर भेजी, जिससे पूरे राज्य में राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया।
यह विवाद केवल बयानबाजी तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा, पाकिस्तान से संभावित संपर्क, और राजनीतिक प्रतिशोध जैसे मुद्दे भी जुड़ गए। इस घटनाक्रम ने पंजाब की राजनीति को एक बार फिर राष्ट्रीय सुर्खियों में ला दिया है।
🔶Partap Bajwa का बयान और विवाद की शुरुआत
प्रताप सिंह बाजवा ने एक निजी टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में दावा किया कि उन्हें जानकारी मिली है कि पाकिस्तान से 50 ग्रेनेड पंजाब भेजे गए हैं। इनमें से 18 का इस्तेमाल विभिन्न धमाकों में हो चुका है, जबकि 32 अब भी कहीं छिपे हुए हैं। उनका यह बयान ऐसे समय आया जब हाल ही में भाजपा नेता मनोरंजन कालिया के घर ग्रेनेड से हमला हुआ था।
बाजवा ने यह भी कहा कि उन्हें यह जानकारी एक संवेदनशील स्रोत से मिली है, जिसका उद्देश्य उन्हें संभावित खतरे के प्रति सतर्क करना था। उन्होंने यह दावा भी किया कि इन हमलों का निशाना राजनीतिक नेता हो सकते हैं।
बाद में बाजवा ने अपने एक्स (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट पर पोस्ट करते हुए कहा कि “55 ग्रेनेड पंजाब पहुंचे हैं, जिनमें से 9 अब भी गायब हैं।”
🔶CM भगवंत मान की तीखी प्रतिक्रिया और पुलिस कार्रवाई
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने रविवार को एक वीडियो स्टेटमेंट जारी कर कहा कि बाजवा का यह बयान बेहद गंभीर है और इससे प्रतीत होता है कि उनकी आतंकवादियों या पाकिस्तान से सीधा संपर्क हो सकता है। उन्होंने सवाल उठाया कि यह जानकारी ना तो पंजाब पुलिस के पास थी और ना ही किसी केंद्रीय एजेंसी ने साझा की थी, फिर बाजवा को यह सूचना कैसे मिली?
सीएम ने कहा, “यदि यह जानकारी सही है, तो इसे छिपाना भी अपराध है, और अगर झूठी है, तो इसका उद्देश्य जनता में भय फैलाना है। दोनों ही स्थितियों में यह गंभीर अपराध है।”
इसके कुछ घंटों बाद ही पंजाब पुलिस की काउंटर इंटेलिजेंस विंग की टीम, जिसमें एआईजी रवजोत कौर ग्रेवाल और एसपी हरबीर अटवाल शामिल थे, बाजवा के चंडीगढ़ स्थित आवास पर पहुंची और उनसे पूछताछ की। टीम का कहना है कि बाजवा ने सहयोग नहीं किया और अपने स्रोत की जानकारी नहीं दी।
#Punjab CM @BhagwantMann says LoP @Partap_Sbajwa has recently given a statement that 50 grenades have been sent to India, Punjab by Pakistan, 18 have been blasted & 32 are still remaining. CM Mann questions How Bajwa knows, Did he have a link with the terrorist organisations ?… pic.twitter.com/NOksjU13GE
— Akashdeep Thind (@thind_akashdeep) April 13, 2025
🔶Bajwa की सफाई और जवाबी हमले
बाजवा ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री सिर्फ अपनी नाकामी छिपाने के लिए उनके ऊपर हमला कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “मैं नेता प्रतिपक्ष हूं, और मुझे कई स्त्रोतों से जानकारी मिल सकती है – राज्य पुलिस से लेकर केंद्रीय एजेंसियों तक।”
उन्होंने यह भी याद दिलाया कि उनका परिवार खुद आतंकवाद का शिकार रहा है – 1987 में उनके पिता की हत्या कर दी गई थी और 1990 में उन पर भी हमला हुआ था। ऐसे में वह खुद भी राज्य की सुरक्षा को लेकर गंभीर हैं।
बाजवा ने कहा, “अगर मुख्यमंत्री को लगता है कि मैंने कुछ गलत किया है, तो वह मेरे खिलाफ मामला दर्ज करें। मैं डरने वाला नहीं हूं।” उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस भेजने से पहले मीडिया को सूचित कर देना भी राजनीति का हिस्सा था।
🔶पार्टी लाइन पर प्रतिक्रियाएं: कांग्रेस, AAP और BJP
इस मुद्दे पर कांग्रेस पार्टी पूरी तरह बाजवा के समर्थन में खड़ी नजर आई। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वारिंग ने कहा कि मुख्यमंत्री का यह कदम विपक्ष को दबाने का प्रयास है। उन्होंने कहा, “पुलिस की कार्रवाई सिर्फ इसलिए की गई ताकि विपक्ष को चुप कराया जा सके।”
कांग्रेस नेता सुखपाल खैरा ने इसे सीधे तौर पर “पुलिस स्टेट” बनाने की कोशिश करार दिया और कहा कि AAP सरकार लोकतंत्र का गला घोंट रही है।
वहीं आम आदमी पार्टी की ओर से राज्य अध्यक्ष अमन अरोड़ा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बाजवा पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा, “अगर बाजवा को सब कुछ पता है – कितने ग्रेनेड आए, कितने इस्तेमाल हुए – तो आने वाले हर धमाके की जिम्मेदारी भी उन्हीं की होगी।”
उन्होंने पुराने आरोपों का हवाला देते हुए बताया कि पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी एक बार बाजवा पर आतंकियों और ड्रग माफिया से संबंध होने का आरोप लगाया था, हालांकि बाद में जांच में उन्हें क्लीन चिट मिली थी।
भाजपा नेता मनोरंजन कालिया, जिनके घर पर ग्रेनेड हमला हुआ था, ने बयान दिया कि बाजवा एक सीनियर नेता हैं और ऐसे संवेदनशील विषय पर बयान देते समय उन्हें पूरी सावधानी बरतनी चाहिए थी।
🔶पुलिस द्वारा दर्ज मामला और कानूनी पहलू
बाजवा के बयान को लेकर पंजाब पुलिस ने मोहीली स्थित साइबर क्राइम थाने में केस दर्ज किया है। आरोप है कि उन्होंने देश की संप्रभुता और एकता को खतरे में डालने वाली भ्रामक जानकारी दी। उन पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 197(1)(d) और 353(2) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।
पुलिस का कहना है कि बाजवा के बयान से जनता में डर फैल सकता है और इससे राज्य की शांति भंग हो सकती है। पूछताछ के दौरान भी उन्होंने अपने स्रोत का नाम बताने से इनकार कर दिया, जिससे मामले की गंभीरता और बढ़ गई।
🔶 मामले की गंभीरता और पंजाब की आंतरिक सुरक्षा पर प्रभाव
पंजाब हाल के वर्षों में आतंकी गतिविधियों की पुनरावृत्ति का सामना कर रहा है। ग्रेनेड हमले, ड्रोन से हथियार गिराने की घटनाएं और गिरोहों की बढ़ती सक्रियता ने राज्य को संवेदनशील बना दिया है।
ऐसे में एक वरिष्ठ नेता का ऐसा बयान न केवल राज्य की सुरक्षा एजेंसियों के लिए चुनौती बनता है, बल्कि आम जनता में भी भय का माहौल पैदा कर सकता है। इस प्रकार की सूचनाओं को गुप्त न रखना और सार्वजनिक रूप से कहना प्रशासनिक जिम्मेदारियों पर भी सवाल खड़े करता है।
🔶निष्कर्ष: राजनीति या राष्ट्रहित?
इस पूरे मामले ने एक अहम सवाल खड़ा कर दिया है – क्या प्रताप बाजवा का बयान जनता को सतर्क करने के लिए था या यह एक राजनीतिक चाल थी? क्या मुख्यमंत्री मान की कार्रवाई राजनीति से प्रेरित थी या यह कानून-व्यवस्था की जरूरत थी?
बाजवा का बयान हो सकता है सही इरादों से दिया गया हो, लेकिन जब बात राष्ट्रीय सुरक्षा की हो, तो हर कदम सोच-समझकर उठाना चाहिए। वहीं मुख्यमंत्री की ओर से बिना पूरी जांच के सार्वजनिक रूप से निशाना साधना भी सवालों के घेरे में आता है।