पश्चिम बंगाल की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की अपील को नजरअंदाज करते हुए शुक्रवार को मालदा पहुंचकर मुर्शिदाबाद हिंसा के पीड़ितों से मुलाकात की। यह दौरा ऐसे समय में हुआ जब हाल ही में मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ (संशोधन) अधिनियम के विरोध में भड़की हिंसा के कारण कई लोगों को जान गंवानी पड़ी और सैकड़ों लोग अपने घरों से बेघर हो गए।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य में शांति बहाल करने के लिए राज्यपाल से कुछ दिनों तक दौरा टालने की अपील की थी। लेकिन राज्यपाल ने साफ कहा कि वह “जमीन पर हालात का जायजा लेने” जा रहे हैं और पीड़ितों की सीधी सुनवाई करेंगे।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह दौरा न केवल संवेदनशील है, बल्कि राज्य और राजभवन के बीच टकराव को और बढ़ा सकता है। साथ ही, भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप की नई लहर भी शुरू हो चुकी है।
Bengal Governor CV Ananda Bose meets families affected by Murshidabad vi0£ence at relief camp in Malda.
Will next CJI in line ‘Justice’ Gavai visit these camps with same enthusiasm as he went to Manipur few days back? Research on why he wanted to recuse himself in Rahul Ghandy… pic.twitter.com/d5HlU1QrKL
— BhikuMhatre (@MumbaichaDon) April 18, 2025
🔴 मुर्शिदाबाद हिंसा: वक्फ संशोधन कानून बना चिंगारी
11 और 12 अप्रैल 2025 को पश्चिम बंगाल के मुस्लिम बहुल मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ (संशोधन) अधिनियम के विरोध में निकाले गए प्रदर्शनों के दौरान सांप्रदायिक तनाव अचानक भड़क उठा। प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच टकराव के चलते धुलियान, सूटी, जंगीपुर और शमशेरगंज जैसे इलाकों में हालात बेकाबू हो गए।
इस हिंसा में अब तक कम से कम तीन लोगों की जान जा चुकी है और 274 से अधिक गिरफ्तारियां हो चुकी हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि संशोधित वक्फ कानून मुस्लिम समुदाय की धार्मिक संपत्तियों को केंद्र के अधीन करने की साजिश है, जबकि सरकार इसे पारदर्शिता और उपयोगिता से जोड़ती है।
स्थिति इतनी बिगड़ गई कि सैकड़ों लोग अपने घर छोड़कर मालदा जिले में शरण लेने को मजबूर हो गए। इन शरणार्थियों के लिए पार लालपुर हाई स्कूल को अस्थायी राहत शिविर में तब्दील किया गया, जहां आज भी वे अत्यंत दयनीय स्थिति में जीवन यापन कर रहे हैं।
🟠 राज्यपाल का दौरा: राहत शिविरों में सीधी बातचीत
राज्यपाल सीवी आनंद बोस शुक्रवार सुबह ट्रेन से कोलकाता से मालदा पहुंचे। उन्होंने सीधे राहत शिविरों में जाकर पीड़ितों से बातचीत की। उन्होंने कहा, “मैं रिपोर्टों की पुष्टि के लिए खुद जा रहा हूं। पीड़ितों से मिलूंगा, अस्पतालों, उनके घरों और राहत शिविरों का दौरा करूंगा।”
राज्यपाल ने पार लालपुर हाई स्कूल राहत शिविर में पहुंचकर महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों से बातचीत की। उन्होंने उनसे उनके अनुभवों और वर्तमान स्थिति के बारे में विस्तार से जानकारी ली।
राज्यपाल ने पीड़ितों को आश्वासन दिया कि “स्थिति का आकलन करने के बाद, मैं सक्रिय कदमों की सिफारिश करूंगा।” उन्होंने रेड क्रॉस सोसाइटी को भी राहत कार्यों में सक्रिय रूप से जोड़ा, जिसकी सराहना भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी ने की।
#WATCH | West Bengal | People staged a protest outside a relief camp in the Malda district, alleging that the police did not allow them to meet with the Governor, CV Ananda Bose.
CV Ananda Bose met with the families affected by the Murshidabad violence here. pic.twitter.com/YuEqsCCV4U
— ANI (@ANI) April 18, 2025
🔵 ममता बनर्जी और राज्यपाल के बीच सियासी संघर्ष
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक दिन पहले ही राज्यपाल को पत्र लिखकर दौरा टालने की अपील की थी। उनका कहना था कि “स्थिति सामान्य करने का प्रयास चल रहा है। ऐसे समय पर दौरा हालात को और बिगाड़ सकता है।”
लेकिन राज्यपाल ने इस अपील को अनदेखा करते हुए कहा, “मैं संवैधानिक पद पर हूं और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करना मेरा दायित्व है।”
इस कदम को तृणमूल कांग्रेस ने राजनीतिक चाल बताया। सांसद सौगत रॉय ने आरोप लगाया कि “राज्यपाल और केंद्र सरकार का मकसद राज्य में अशांति फैलाना है। NHRC और NCW की टीमें भी इसी उद्देश्य से भेजी गई हैं।”
वहीं भाजपा नेता और मंत्री सुकांत मजूमदार ने पलटवार करते हुए कहा, “टीएमसी घबराई हुई है क्योंकि ये दौरे उनकी मिलीभगत को उजागर कर सकते हैं।”
🟣 NHRC और NCW की स्वतंत्र जांच
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने मामले की गंभीरता को देखते हुए स्वतः संज्ञान लेते हुए एक फैक्ट-फाइंडिंग टीम मालदा भेजी। इस टीम ने राहत शिविर का दौरा कर पीड़ितों से बातचीत की और तीन हफ्तों में रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है।
इसी तरह, राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) की अध्यक्ष विजया रहाटकर ने दो दिवसीय दौरे पर मालदा और मुर्शिदाबाद पहुंचकर महिलाओं की स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने कहा, “महिलाओं की स्थिति बेहद चिंताजनक है। उन्हें जबरन घरों से निकाला गया, संपत्तियों की लूट हुई और कुछ मामलों में छेड़छाड़ के आरोप भी सामने आए हैं।”
NCW की सदस्य अर्चना मजूमदार ने कहा, “राज्य सरकार इस मामले में पूरी तरह असफल रही है। टीएमसी की चुप्पी संदेहास्पद है।”
🟤 राहत शिविरों की दयनीय स्थिति
मालदा के पार लालपुर हाई स्कूल में बने अस्थायी शिविरों में रह रहे लोग नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं। न तो खाने की समुचित व्यवस्था है, न ही सुरक्षा। एक महिला ने बताया, “हमें रात में धमकाया जाता है, मिलने-जुलने की अनुमति नहीं दी जाती।”
कई लोगों ने यह भी कहा कि उन्हें जबरन शिविर छोड़ने के लिए कहा जा रहा है, जबकि वे अभी भी डर के माहौल में हैं। “हम चाहते हैं कि हमारे इलाकों में BSF के कैंप लगाए जाएं, तभी हम वापस लौटेंगे,” एक पीड़ित ने कहा।
🔶 नेताओं की प्रतिक्रियाएं और सोशल मीडिया
सुवेंदु अधिकारी ने सोशल मीडिया पर राज्यपाल की सराहना की, “उन्होंने रेड क्रॉस की मदद से प्रभावित हिंदू परिवारों को राहत दी है। यह संवेदनशील और जिम्मेदार कदम है।”
वहीं, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा, “जो सरकार राज्य में शांति नहीं रख सकती, उसे सत्ता में रहने का कोई अधिकार नहीं है।”
टीएमसी समर्थकों ने सोशल मीडिया पर राज्यपाल के दौरे को ‘संविधान विरोधी’ और ‘राजनीति प्रेरित’ बताया है, जबकि भाजपा समर्थकों ने इसे ‘जमीन से जुड़े नेता की पहल’ करार दिया।
🔚 निष्कर्ष
राज्यपाल ने अपने दौरे के बाद स्पष्ट किया कि वह जल्द ही एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर केंद्र और राज्य सरकारों को सौंपेंगे। उन्होंने पीड़ितों को भरोसा दिलाया कि “संवेदनशीलता और त्वरित कार्रवाई” के साथ समाधान खोजा जाएगा।
अब राज्य सरकार पर जिम्मेदारी है कि वह शांति बहाली के लिए ठोस कदम उठाए और राहत कार्यों में तेजी लाए।
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क्या राज्यपाल बोस का यह दौरा संवैधानिक जिम्मेदारी था या राजनीति से प्रेरित कदम? क्या टीएमसी वाकई इस स्थिति को संभालने में असफल रही? नीचे कमेंट करके जरूर बताएं!