दिल्ली-एनसीआर में रविवार रात से शुरू हुई भारी बारिश और तेज़ हवाओं ने राजधानी को झकझोर कर रख दिया। सोमवार सुबह तक रुक-रुक कर हुई बारिश ने ना सिर्फ ट्रैफिक को अस्त-व्यस्त किया बल्कि कई इलाकों में पेड़ उखड़ गए और बिजली सप्लाई भी बाधित रही। आम लोग जहां अचानक मौसम में आए इस बदलाव से परेशान दिखे, वहीं कुछ परिवारों के लिए यह बारिश जीवनभर का दुख छोड़ गई।
मौसम विभाग (IMD) ने पहले ही चेतावनी जारी की थी कि राजधानी में तेज़ हवाओं के साथ भारी वर्षा हो सकती है, और वही हुआ। दिल्ली के कई हिस्सों में 50 से 70 किमी/घंटा की रफ्तार से हवाएं चलीं। तापमान में गिरावट आई, लेकिन इसके साथ ही शहर में संकट की स्थिति पैदा हो गई।
उत्तर-पूर्वी दिल्ली में मकान ढहने से दर्दनाक हादसा
सबसे दर्दनाक घटना उत्तर-पूर्वी दिल्ली के गोकुलपुरी इलाके में सामने आई, जहां बारिश की वजह से एक पुराना मकान भरभराकर गिर गया। इस हादसे में एक महिला और तीन मासूम बच्चों की मौत हो गई। बताया जा रहा है कि मकान की दीवारें पहले से ही कमजोर थीं और लगातार बारिश की वजह से नींव कमजोर हो गई।
स्थानीय लोगों के अनुसार, रात करीब 3 बजे जोरदार आवाज हुई, जिससे लोग बाहर निकल आए। राहत व बचाव कार्य तुरंत शुरू किया गया और दमकल विभाग की टीमों ने मलबे से चारों शवों को निकाला। आस-पास के लोगों में गहरा शोक और गुस्सा है कि ऐसे जर्जर मकानों की मरम्मत या पुनर्निर्माण पर ध्यान क्यों नहीं दिया जाता।
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— Indian Observer (@ag_Journalist) May 2, 2025
शहरभर में जलभराव और यातायात व्यवस्था चरमराई
दिल्ली की सड़कों पर जलभराव कोई नई बात नहीं, लेकिन इस बार हालात और भी बदतर हो गए। लक्ष्मी नगर, आईटीओ, मिंटो ब्रिज और रिंग रोड जैसे इलाकों में गाड़ियां घंटों ट्रैफिक में फंसी रहीं। ऑफिस जाने वालों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ा।
यातायात पुलिस को कई जगह ट्रैफिक डायवर्ट करना पड़ा। भारी बारिश के कारण दिल्ली एयरपोर्ट से उड़ान भरने वाली कई फ्लाइट्स में देरी हुई और कुछ को रद्द भी करना पड़ा। यात्रियों को टर्मिनल पर घंटों इंतज़ार करना पड़ा।
दिल्ली-एनसीआर में परिवहन से जुड़े दूसरे क्षेत्रों में भी रुकावटें देखी गईं। इसी संदर्भ में, दिल्ली, गाज़ियाबाद और मेरठ के बीच RRTS कॉरिडोर में आई बड़ी प्रगति भी एक अहम खबर है, जो भविष्य में यातायात को सुगम बना सकती है।
प्रशासन और सरकार की त्वरित प्रतिक्रिया
हादसे की सूचना मिलते ही दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (DDMA), दमकल विभाग और दिल्ली पुलिस की टीमें मौके पर पहुंचीं। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मृतकों के परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त की और ₹10 लाख तक की आर्थिक सहायता की घोषणा की।
नगर निगम (MCD) ने दिल्ली के पुराने और जर्जर मकानों की लिस्ट अपडेट करने और प्राथमिकता के आधार पर निरीक्षण करने का आदेश दिया है। इसके अलावा, बारिश से प्रभावित इलाकों में पंपिंग मशीनें और राहत कैंप लगाने की बात कही गई है।
स्थानीय लोगों की भावनाएं: दुख, डर और चिंता
गोकुलपुरी की स्थानीय निवासी रेखा देवी बताती हैं, “हमने बच्चों की चीखें सुनीं, लेकिन कुछ कर नहीं सके। सब कुछ कुछ ही मिनटों में खत्म हो गया।” इलाके के कई लोगों ने बताया कि उन्होंने कई बार अधिकारियों को बताया था कि मकान कमजोर है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
वहीं सोशल मीडिया पर भी इस घटना को लेकर लोगों ने दुख और प्रशासन के प्रति नाराजगी ज़ाहिर की है। कई यूज़र्स ने लिखा कि “हर बार बारिश आती है और दिल्ली पानी में डूब जाती है, कब सुधरेगा सिस्टम?”
दिल्ली में आंधी-बारिश से बड़ा हादसा, नज़फगढ़ में पेड़ गिरने से महिला और 3 बच्चों की मौत#WeatherUpdate #DelhiNCR #WeatherNews #delhirain @J_Paatni pic.twitter.com/VzqC59kBEj
— India TV (@indiatvnews) May 2, 2025
मौसम विभाग की चेतावनी और आगामी तैयारी
IMD ने चेतावनी दी है कि अगले 24 घंटों में भी तेज़ बारिश हो सकती है। इसके साथ ही दिल्ली-एनसीआर में लोगों को घर से बाहर निकलने से बचने और जरूरी एहतियात बरतने की सलाह दी गई है।
प्रशासन ने निम्न इलाकों को संवेदनशील घोषित किया है और वहां पर निगरानी बढ़ा दी गई है। स्कूलों को भी निर्देश दिए गए हैं कि यदि मौसम की स्थिति गंभीर हो, तो ऑनलाइन माध्यम से कक्षाएं संचालित की जाएं।
ऐतिहासिक घटनाओं से तुलना: हर साल दोहराई जाने वाली त्रासदी
दिल्ली में इस तरह की बारिश और इससे जुड़ी समस्याएं हर मानसून में दोहराई जाती हैं। वर्ष 2021 में भी एक दीवार गिरने से चार लोगों की मौत हुई थी। 2023 में मिंटो ब्रिज पर एक व्यक्ति की जलभराव में डूबने से मौत हो गई थी। इन घटनाओं से सीख लेने के बजाय, हम हर बार दुख और पश्चाताप में ही सीमित रह जाते हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन, अतिक्रमण, अवैज्ञानिक शहरीकरण और सीवरेज सिस्टम की बदहाली इसके मूल कारण हैं।
भविष्य के लिए सुझाव और समाधान
- शहर के पुराने भवनों की समय-समय पर जांच जरूरी है।
- जल निकासी व्यवस्था को दुरुस्त करना बेहद आवश्यक है।
- आपदा प्रबंधन विभाग को अधिक सक्रिय और तकनीकी रूप से सक्षम बनाया जाए।
- स्थानीय निकायों और नागरिकों को मिलकर काम करना होगा।
सरकार को चाहिए कि वह केवल बारिश के बाद रिएक्ट न करे, बल्कि प्रोएक्टिव रूप से काम करे ताकि ऐसी घटनाएं न दोहराई जाएं।
निष्कर्ष
यह घटना न केवल एक प्राकृतिक आपदा की गंभीरता को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि हमारी शहरी व्यवस्था और आपातकालीन तैयारी कितनी कमजोर है। आज चार जिंदगियां चली गईं, लेकिन अगर समय रहते कदम नहीं उठाए गए, तो कल यह संख्या और भी बढ़ सकती है।
दिल्ली जैसे मेगासिटी में इस तरह की घटनाएं समय रहते चेतावनी देने वाली घंटी हैं, जिनसे हमें सबक लेना चाहिए। हमें विकास की दौड़ में संवेदनशीलता और सुरक्षा को प्राथमिकता देनी होगी।
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