पश्चिम एशिया एक बार फिर तब सुर्खियों में आ गया जब ईरान और इज़राइल के बीच हाल ही में भयंकर मिसाइल हमले हुए। लेकिन अब इसी टकराव के बीच उम्मीद की एक किरण दिखाई दी है। ईरान ने आधिकारिक तौर पर संघर्षविराम की घोषणा की है। यह फैसला तब आया जब दोनों देशों के बीच तनाव अपने चरम पर था और क्षेत्र में युद्ध जैसे हालात बन गए थे।
कैसे शुरू हुआ संघर्ष?
इस ताजा संघर्ष की शुरुआत तब हुई जब इज़राइल ने ईरान के कुछ सामरिक ठिकानों पर हमले किए। जवाब में, ईरान ने इज़राइल की ओर मिसाइलों की बारिश कर दी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, दर्जनों मिसाइलें और ड्रोन हमलों में इस्तेमाल किए गए, जिनका निशाना बना इज़राइल के सैन्य और बुनियादी ढांचे से जुड़े ठिकाने।
हमलों की यह श्रृंखला न केवल सैन्य दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण थी, बल्कि इससे दोनों देशों की आंतरिक राजनीति और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति पर भी असर पड़ा।
ईरान ने कब और कैसे किया संघर्षविराम का एलान?
रविवार देर रात ईरान के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि वह अब किसी भी और हमले में भाग नहीं लेगा और ‘क्षेत्र में शांति और स्थिरता’ चाहता है। इस बयान के कुछ ही देर बाद इज़राइल की ओर से भी हमलों की गति धीमी हुई और हालात शांत होते दिखाई दिए।
ईरान का यह फैसला एकतरफा नहीं था। सूत्रों के अनुसार, इसमें ओमान और कतर जैसे देशों की गुप्त मध्यस्थता की बड़ी भूमिका रही, जिन्होंने दोनों पक्षों के बीच ‘बैक चैनल’ वार्ता करवाई।
इज़राइल की प्रतिक्रिया क्या रही?
ईरान की संघर्षविराम की घोषणा के बाद इज़राइल की ओर से कोई सीधा आधिकारिक जवाब नहीं आया, लेकिन सैन्य गतिविधियों में कमी और सीमाई क्षेत्रों में तैनाती के स्वरूप में बदलाव स्पष्ट रूप से देखा गया।
इज़राइली प्रधानमंत्री के दफ्तर से जुड़े सूत्रों ने बताया कि वे “स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं, लेकिन अभी कोई आक्रामक कार्रवाई नहीं की जाएगी जब तक कि ईरान की ओर से उकसावा न हो।”
डोनाल्ड ट्रंप का दावा और सैटेलाइट तस्वीरों की सच्चाई
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस संघर्ष के बीच एक बड़ा दावा किया था। उन्होंने कहा था कि इज़राइल ने ईरान के प्रमुख परमाणु ठिकानों को सफलतापूर्वक नष्ट कर दिया है। उन्होंने इसे “ऐतिहासिक हमला” करार दिया और अमेरिकी मीडिया को बताया कि ईरान का न्यूक्लियर प्रोग्राम अब पूरी तरह नाकाम हो चुका है।
— Rapid Response 47 (@RapidResponse47) June 23, 2025
लेकिन सैटेलाइट तस्वीरें कुछ और ही कहानी बयां कर रही थीं। अंतरराष्ट्रीय मीडिया संगठनों जैसे BBC और AP ने जो इमेज जारी कीं, उनमें ईरान के परमाणु स्थलों पर किसी बड़े हमले या बर्बादी के निशान नहीं दिखे। खासतौर पर नतांज और फोर्डो जैसे संवेदनशील स्थलों की इमेज में सब कुछ सामान्य नजर आया। सैटेलाइट इमेज में कोई विध्वंस नहीं दिखा, ट्रंप के दावे पर सवाल
यह स्थिति सवाल उठाती है कि क्या ट्रंप का बयान केवल राजनीति से प्रेरित था या इज़राइल ने वास्तव में कोई अत्यंत सीमित कार्रवाई की थी?
आम जनता और वैश्विक प्रतिक्रिया
इस संघर्ष ने दुनिया भर में चिंता पैदा कर दी थी। संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने दोनों देशों से संयम बरतने की अपील की थी, वहीं अमेरिका, रूस और यूरोपीय संघ ने भी युद्धविराम का समर्थन किया।
भारत ने भी इस मामले में संयम का आह्वान करते हुए कहा था कि क्षेत्र में किसी भी प्रकार की अस्थिरता से वैश्विक अर्थव्यवस्था प्रभावित हो सकती है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने शांति की दिशा में उठाए गए कदमों का स्वागत किया।
स्थानीय लोगों की बात करें तो ईरान और इज़राइल दोनों देशों में नागरिकों ने सोशल मीडिया पर राहत की भावना प्रकट की। कई जगहों पर लोग सड़कों पर आकर शांति के समर्थन में प्रदर्शन करते देखे गए।
क्या यह शांति स्थायी होगी?
विशेषज्ञ मानते हैं कि यह संघर्षविराम अभी ‘अस्थायी’ है। जब तक दोनों पक्षों में विश्वास बहाली नहीं होती, तब तक किसी भी क्षण टकराव फिर से भड़क सकता है। खासकर जब इस संघर्ष में धार्मिक और राजनीतिक भावनाएं गहराई से जुड़ी हैं।
हालांकि, एक सकारात्मक संकेत यह है कि दोनों देशों के बीच ‘बैक चैनल डिप्लोमेसी’ जारी है, और इस बार मध्यस्थता में कई तटस्थ देश सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।
क्या युद्ध अब रुकेगा?
ईरान और इज़राइल के बीच हालिया संघर्ष ने एक बार फिर यह दिखा दिया कि मध्य पूर्व कितना संवेदनशील क्षेत्र है। हालांकि, संघर्षविराम की घोषणा इस बात की ओर इशारा करती है कि दोनों देश अब खुला युद्ध नहीं चाहते।
ट्रंप के दावों की पड़ताल और सैटेलाइट तस्वीरों की सच्चाई ने इस मुद्दे को और भी पेचीदा बना दिया है, लेकिन यही पत्रकारिता की खूबी है—सच को सामने लाना।
अब देखना यह है कि यह शांति कितनी स्थायी रहती है और क्या यह क्षेत्र वाकई किसी स्थायी समाधान की ओर बढ़ पाएगा।