बीते दो हफ्तों से हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश का कहर लगातार जारी है। मूसलाधार बारिश, भूस्खलन और सड़कों के टूटने से आम जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है। हालात इतने गंभीर हो चुके हैं कि अब तक 43 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है और 37 लोग अब भी लापता हैं।
पूरे राज्य में रेड अलर्ट जारी कर दिया गया है और प्रशासन युद्ध स्तर पर राहत और बचाव कार्य में जुटा है। कई गांवों का संपर्क टूट चुका है और हजारों लोग अब भी राहत की प्रतीक्षा में हैं।
मानव क्षति: 43 मौतें, 37 लापता – हर दिन बढ़ रहा आंकड़ा
सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार, मानसून की मार से अब तक 43 लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें से अधिकांश मामले भूस्खलन, घर गिरने और बाढ़ में बह जाने के हैं।
37 लोग अब भी लापता हैं, जिनकी तलाश के लिए एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और स्थानीय बचाव टीमें काम कर रही हैं। अनेक जगहों पर अब भी बारिश के कारण बचाव कार्य में दिक्कतें आ रही हैं।
लोगों की जान बचाने के लिए हेलिकॉप्टर और ड्रोन की भी मदद ली जा रही है, लेकिन लगातार हो रही बारिश राहत कार्यों में बाधा बन रही है।
63 dead, dozens missing, Rs 400 crore in property damage as Himachal Pradesh battles cloudbursts, flash floods, and landslides. pic.twitter.com/KcGPb8Am4w
— The Tatva (@thetatvaindia) July 4, 2025
सड़कें टूटीं, पुल बहे – राज्य के ढांचे को भारी नुकसान
मानसून की तबाही ने हिमाचल की सड़कों और पुलों को बुरी तरह प्रभावित किया है। नेशनल हाईवे से लेकर गांवों की संपर्क सड़कें तक बंद हो चुकी हैं। कई इलाकों में पुल बह गए हैं, जिससे आपात सेवाएं भी पहुंचना मुश्किल हो गया है।
कई अस्पतालों तक पहुंचने का रास्ता भी बंद हो चुका है। मरीजों को पहाड़ी रास्तों से कंधे पर लादकर अस्पताल ले जाना पड़ रहा है।
ऐसे समय में, जिस तरह हाल ही में Donald Trump द्वारा पास किया गया ‘Big, Beautiful Bill’ बुनियादी ढांचे पर फोकस करता है, वैसे ही भारत को भी अपने पर्वतीय राज्यों में मजबूत ढांचा विकसित करने की आवश्यकता है।
प्रशासन और सेना ने संभाला मोर्चा – राहत कार्य तेज
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए सेना, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें राहत और बचाव में जुटी हुई हैं। हेलिकॉप्टर से फंसे लोगों को निकाला जा रहा है और जरूरी सामग्री पहुंचाई जा रही है।
अब तक सैकड़ों लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला जा चुका है, लेकिन कई गांवों तक अब भी राहत नहीं पहुंच पाई है।
सरकारी मशीनरी 24 घंटे काम कर रही है, लेकिन मौसम की मार के चलते ऑपरेशन में बाधाएं लगातार बनी हुई हैं।
पर्यटन पर संकट – होटल खाली, ट्रैकिंग रूट्स बंद
हिमाचल प्रदेश का पर्यटन उद्योग भी इस मानसून की मार से अछूता नहीं रहा। शिमला, मनाली, कसौली जैसे मशहूर स्थानों पर होटल खाली हो चुके हैं, बुकिंग्स रद्द की जा रही हैं।
ट्रैकिंग और एडवेंचर गतिविधियां पूरी तरह से रोक दी गई हैं। टूरिस्ट्स को जल्द से जल्द राज्य छोड़ने की सलाह दी गई है।
इससे पर्यटन पर आधारित स्थानीय व्यापारियों को भारी नुकसान हुआ है।
69 dead, dozens missing, 246 roads blocked, Rs 400 crore in property damage as Himachal Pradesh battles cloudbursts, flash floods, and landslides, alerts issued till July 9
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— The Bharat Current (@thbharatcurrent) July 4, 2025
आईएमडी की चेतावनी – बारिश अभी और बाकी है
भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने राज्य में अगले कुछ दिनों के लिए ऑरेंज और रेड अलर्ट जारी किया है। बारिश की तीव्रता कम होने के कोई संकेत फिलहाल नहीं दिख रहे हैं।
विशेष रूप से कांगड़ा, मंडी, कुल्लू और शिमला जिलों में बादल फटने और भूस्खलन की आशंका जताई गई है। प्रशासन को सतर्क रहने को कहा गया है और लोगों से भी बिना कारण घर से बाहर न निकलने की सलाह दी गई है।
बिजली, पानी और स्कूल – सब ठप
भारी बारिश के चलते बिजली सप्लाई ठप हो गई है। कई जगह ट्रांसफॉर्मर बह गए हैं या जलमग्न हो गए हैं।
स्कूल-कॉलेज बंद कर दिए गए हैं, ताकि बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
पीने के पानी की सप्लाई भी बाधित हुई है, जिससे गांवों में पीने के पानी की भारी किल्लत देखी जा रही है।
अन्य राज्यों की स्थिति भी चिंताजनक – दिल्ली और उत्तराखंड में भी भारी असर
हिमाचल के साथ-साथ दिल्ली और उत्तराखंड में भी बारिश ने तबाही मचाई है।
उत्तराखंड के चमोली और टिहरी जिलों में भूस्खलन की घटनाएं सामने आई हैं। वहीं दिल्ली में जलजमाव ने लोगों की दिनचर्या पर ब्रेक लगा दिया है।
राष्ट्रीय राजधानी में ट्रैफिक की लंबी कतारें, मेट्रो स्टेशन तक पानी में डूबे हुए देखे गए।
Monsoon havoc: 69 dead in Himachal Pradesh in 2 weeks, 37 missing; damages of Rs 700 crore, says CM#Monsoon2025 #HimachalPradesh #himachalpradeshflood pic.twitter.com/8hut3y9TZ3
— Deccan Chronicle (@DeccanChronicle) July 4, 2025
सरकारी कदम और राहत घोषणाएं
राज्य सरकार ने मृतकों के परिजनों को 4 लाख रुपये की राहत राशि देने की घोषणा की है।
प्रशासन ने कहा है कि प्राकृतिक आपदा फंड से प्रभावित परिवारों को सहायता दी जाएगी।
मुख्यमंत्री ने सभी जिला अधिकारियों को 24 घंटे सक्रिय रहने का निर्देश दिया है और प्रत्येक जिले में राहत शिविरों की स्थापना की गई है।
स्थायी समाधान की ज़रूरत – सिर्फ राहत नहीं, योजना भी होनी चाहिए
हर साल मानसून में हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्यों में तबाही देखने को मिलती है।
ऐसे में अब केवल राहत कार्य ही नहीं, पूर्व नियोजन और मजबूत बुनियादी ढांचे की आवश्यकता है।
जल निकासी, मजबूत पुल और सड़कों की योजना बनाना अब विकल्प नहीं, आवश्यकता बन चुका है।
आपका अनुभव क्या कहता है? कमेंट में जरूर बताएं
क्या आपके क्षेत्र में भी बारिश से जुड़ी कोई गंभीर स्थिति बनी है? क्या सरकार की राहत योजनाएं कारगर साबित हो रही हैं?
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