प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर भारत की वैश्विक कूटनीति को नई दिशा देने के उद्देश्य से 4 दिवसीय विदेश यात्रा पर रवाना हो चुके हैं। यह दौरा दो महत्वपूर्ण देशों – ब्रिटेन और मालदीव – को कवर करता है। ऐसे समय में जब विश्व राजनीति में अस्थिरता और शक्ति संतुलन तेज़ी से बदल रहा है, भारत का यह दौरा कूटनीतिक रूप से बेहद अहम माना जा रहा है।
ब्रिटेन जहां भारत का पुराना रणनीतिक साझेदार रहा है, वहीं मालदीव हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की Neighbourhood First Policy का केंद्र बिंदु बनता जा रहा है।
ब्रिटेन दौरा: प्रमुख उद्देश्य और कार्यक्रम
प्रधानमंत्री मोदी की लंदन यात्रा का उद्देश्य केवल औपचारिकता नहीं बल्कि बहुपक्षीय सहयोग को नई ऊंचाई पर ले जाना है। यात्रा की शुरुआत आज लंदन एयरपोर्ट पहुंचने से हुई, जहां भारतीय उच्चायुक्त और ब्रिटिश प्रतिनिधियों ने उनका स्वागत किया।
ब्रिटिश प्रधानमंत्री के साथ बैठक:
इस दौरे की सबसे अहम कड़ी रहेगी प्रधानमंत्री ऋषि सुनक के साथ द्विपक्षीय बैठक। दोनों नेताओं के बीच व्यापार समझौता, रक्षा सहयोग, डिजिटल गवर्नेंस, और क्लाइमेट चेंज जैसे मुद्दों पर चर्चा प्रस्तावित है।
Day after tomorrow, 25th July, I will be in the Maldives at the invitation of the President Dr. Mohamed Muizzu. I am honoured to be taking part in the 60th Independence Day celebrations of the Maldives. This year we also mark 60 years of India-Maldives diplomatic relations. The…
— Narendra Modi (@narendramodi) July 23, 2025
भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौता (FTA):
FTA को लेकर भी चर्चा तेज़ होने की उम्मीद है। इससे भारतीय निर्यातकों और ब्रिटिश निवेशकों को व्यापक लाभ मिलने की संभावना जताई जा रही है।
डायस्पोरा को संबोधन:
PM मोदी इंडियन डायस्पोरा को भी संबोधित करेंगे, जिसमें वे भारत की प्रगति, डिजिटल इंडिया और आत्मनिर्भर भारत जैसे अभियानों की उपलब्धियों को साझा करेंगे।
संभावित घोषणाएं:
- विजा प्रक्रिया में सुधार
- शैक्षणिक संस्थानों के बीच नई MoU
- स्वास्थ्य क्षेत्र में तकनीकी सहयोग
इस दौरे का महत्व इस बात से भी स्पष्ट होता है कि हाल ही में जगदीप धनखड़ के इस्तीफे को लेकर देश की आंतरिक राजनीति गर्माई हुई है, ऐसे में यह यात्रा भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि को संतुलन देने में सहायक हो सकती है।
मालदीव दौरा: हिन्द महासागर में भारत की रणनीति
ब्रिटेन से लौटने के बाद प्रधानमंत्री मोदी मालदीव की राजधानी माले पहुंचेंगे। यह यात्रा क्षेत्रीय सुरक्षा, विकास और रणनीतिक साझेदारी के लिहाज से बेहद अहम है।
PM @narendramodi has embarked on an official visit to the United Kingdom. This will be PM’s fourth visit to 🇬🇧.
In the second leg of his visit, PM will undertake a State Visit to Maldives & participate as ‘Guest of Honour’ at the 60th anniversary celebrations of the… pic.twitter.com/3ik9zr78fj
— Randhir Jaiswal (@MEAIndia) July 23, 2025
राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़्जू से मुलाकात:
PM मोदी और मालदीव के राष्ट्रपति के बीच समुद्री सुरक्षा, आतंकवाद-निरोधक रणनीति, और इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को लेकर विस्तृत चर्चा होगी।
रणनीतिक सहयोग:
- सुरक्षा उपकरणों की आपूर्ति और प्रशिक्षण
- समुद्री निगरानी प्रणाली (Coastal Radar Chain) का विस्तार
- इंडिया ग्रांट्स के जरिए इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास
भारत-मालदीव संबंधों की ताज़ा स्थिति:
हालिया राजनीतिक उतार-चढ़ाव के बावजूद, दोनों देशों के रिश्तों में सुधार की उम्मीदें जताई जा रही हैं, और इस दौरे को इसी दिशा में एक ठोस प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।
🌐 भारत की वैश्विक कूटनीति को नई दिशा
यह यात्रा केवल द्विपक्षीय नहीं, बल्कि बहुपक्षीय सहयोग को भी प्रोत्साहित करती है। भारत की विदेश नीति अब “वसुधैव कुटुम्बकम्” को केंद्र में रखकर चल रही है।
Global South में भारत की भूमिका:
भारत अब न केवल विकासशील देशों का प्रतिनिधित्व कर रहा है बल्कि वैकल्पिक वैश्विक नेतृत्व की दिशा में भी अग्रसर है।
सामरिक साझेदारी:
इस दौरे से भारत अपनी स्थिति को न केवल रणनीतिक रूप से बल्कि अर्थव्यवस्था और वैश्विक मानवीय सहयोग के लिहाज से भी मजबूत करने की ओर बढ़ रहा है।
🔍दौरे का रणनीतिक और राजनीतिक महत्व
लोकसभा चुनाव और वैश्विक छवि:
इस यात्रा का समय भी अहम है क्योंकि भारत अगले साल लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुट चुका है। ऐसे में प्रधानमंत्री की विदेश यात्रा को देश और दुनिया में एक सशक्त छवि पेश करने का अवसर माना जा रहा है।
हिंद महासागर में चीन की उपस्थिति:
मालदीव और ब्रिटेन जैसे सहयोगी देशों के साथ मजबूत संबंध भारत को चीन के बढ़ते प्रभाव का संतुलन देने में मदद करेंगे।
भारत की स्वतंत्र कूटनीति:
इस दौरे के माध्यम से भारत यह भी दिखा रहा है कि वह किसी एक ध्रुवीय गठजोड़ का हिस्सा नहीं है, बल्कि एक स्वतंत्र रणनीतिक सोच रखता है।
📣क्यों है ये दौरा निर्णायक?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह यात्रा भारत के लिए केवल विदेश नीति का हिस्सा नहीं है, बल्कि यह उस सोच को दर्शाती है जहां राजनयिक संवाद, आर्थिक विकास, और रणनीतिक साझेदारी साथ-साथ चलते हैं।
इस दौरे के नतीजे भारत को वैश्विक मंच पर और अधिक सशक्त बनाएंगे। पाठकों से सवाल –
क्या आपको लगता है कि यह दौरा भारत की विदेश नीति को नई दिशा देगा? नीचे कमेंट में अपनी राय ज़रूर दें।