भारत में एक बार फिर से राजनीतिक माहौल गरमा गया है। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद अब सभी की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि अगला उपराष्ट्रपति कौन होगा। इस पद की गरिमा और संवैधानिक महत्त्व को देखते हुए सत्ताधारी दल भाजपा और उसकी सहयोगी पार्टियां बेहद सतर्कता के साथ संभावित नामों पर विचार कर रही हैं।
भाजपा की रणनीति: विचारधारा से नजदीकी होगी पहली प्राथमिकता
सूत्रों की मानें तो भाजपा इस बार ऐसा चेहरा उपराष्ट्रपति पद के लिए सामने लाना चाहती है, जो पार्टी की विचारधारा से गहराई से जुड़ा हो। यह रुख अप्रत्याशित नहीं है, क्योंकि भाजपा ने अपने अधिकतर शीर्ष पदों पर उन्हीं लोगों को प्राथमिकता दी है जिन्होंने पार्टी के मूल सिद्धांतों और राष्ट्रीय विचारधारा का स्पष्ट समर्थन किया हो।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पार्टी ने सदैव वैचारिक प्रतिबद्धता को महत्व दिया है। पार्टी नेतृत्व का मानना है कि उपराष्ट्रपति का पद सिर्फ एक औपचारिक जिम्मेदारी नहीं, बल्कि राष्ट्र की संवैधानिक परंपराओं और लोकतांत्रिक मूल्यों के संरक्षण का केंद्र भी है।
हाल ही में जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद कांग्रेस ने पीएम मोदी की सोशल मीडिया पोस्ट पर सवाल खड़े किए थे, जो इस पूरे घटनाक्रम को और भी राजनीतिक रूप से संवेदनशील बना देता है।
कौन-कौन हैं संभावित नाम? चर्चा में ये चेहरे
सत्ताधारी खेमे में इस वक्त कई नाम चर्चा में हैं। राजनीतिक गलियारों से जो जानकारी सामने आई है, उसके अनुसार कुछ प्रमुख संभावित नामों में कर्नल राज्यवर्धन राठौर, मुख्तार अब्बास नकवी और सुधांशु त्रिवेदी जैसे चेहरे शामिल हैं। ये सभी भाजपा की विचारधारा के पक्के समर्थक माने जाते हैं और लंबे समय से पार्टी के साथ सक्रिय भूमिका में रहे हैं।
हालांकि पहले यह कयास लगाए जा रहे थे कि रामनाथ ठाकुर, जो कि जेडीयू के वरिष्ठ नेता हैं, भी इस रेस में हो सकते हैं, लेकिन सूत्रों के अनुसार वे अब इस पद के लिए विचाराधीन नहीं हैं।
इन नामों को लेकर पार्टी के भीतर चर्चाएं तेज हैं, लेकिन किसी एक नाम पर अब तक अंतिम मुहर नहीं लगी है। जातीय और सामाजिक समीकरण को भी ध्यान में रखा जा रहा है, ताकि देशभर में एक संतुलित संदेश जाए।
MASSIVE CLAIM by journo covering the BJP
Nitish Kumar likely to become the next Vice President of India.
BJP to have its own Chief Minister in Bihar. pic.twitter.com/aF3zeUty8h
— Frontalforce 🇮🇳 (@FrontalForce) July 21, 2025
पीएम मोदी की वापसी के बाद होगा अंतिम फैसला
फिलहाल उपराष्ट्रपति पद को लेकर किसी भी नाम की औपचारिक घोषणा नहीं की गई है। यह बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश यात्रा से लौटने के बाद भाजपा और एनडीए का शीर्ष नेतृत्व एक बैठक करेगा, जिसमें इस मसले पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
पार्टी सहयोगियों से विचार-विमर्श के बाद ही किसी नाम की घोषणा की जाएगी ताकि एनडीए में तालमेल और सामूहिकता बनी रहे। इसके अलावा, पीएम मोदी के नेतृत्व में इस बार भी ऐसा नाम सामने लाने की कोशिश होगी जो न केवल वैचारिक रूप से मज़बूत हो, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित और सर्वस्वीकृत चेहरा भी हो।
संविधानिक प्रक्रिया: कैसे होता है उपराष्ट्रपति का चयन?
भारत के संविधान के अनुसार, उपराष्ट्रपति का चुनाव एक निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है, जिसमें लोकसभा और राज्यसभा दोनों के सदस्य शामिल होते हैं। इसमें नामांकन, चुनाव और मतगणना की प्रक्रिया होती है, जो राष्ट्रपति चुनाव की तुलना में अलग होती है।
उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति के रूप में भी कार्य करते हैं और इसलिए इस पद पर एक अनुभवी, संतुलित और निष्पक्ष व्यक्तित्व को चुना जाना ज़रूरी होता है।
राजनीतिक विश्लेषण: भाजपा की योजना और विपक्ष पर असर
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा उपराष्ट्रपति पद के माध्यम से एक बार फिर से यह संदेश देना चाहती है कि पार्टी “सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास” के सिद्धांत पर कार्य कर रही है। इसलिए ऐसा चेहरा चुना जा सकता है जो अल्पसंख्यक वर्ग, महिला वर्ग या सामाजिक रूप से पिछड़े तबकों से आता हो।
साथ ही 2024 के लोकसभा चुनावों को देखते हुए यह निर्णय काफी रणनीतिक साबित हो सकता है। इससे भाजपा को न केवल नैतिक बढ़त मिल सकती है, बल्कि विपक्ष को भी नई रणनीति बनाने पर मजबूर होना पड़ेगा।
कई राजनीतिक पंडितों का यह भी मानना है कि भाजपा की यह चाल विपक्ष को एकजुट होने से पहले ही बांधने का प्रयास हो सकती है। यदि उपराष्ट्रपति का चेहरा सर्वमान्य और बिना विवाद वाला होगा, तो विपक्ष के पास विरोध का कोई ठोस आधार नहीं बचेगा।
क्या भाजपा फिर एक बार चौंकाएगी?
भाजपा की राजनीति में चौंकाने वाले फैसलों का इतिहास रहा है। चाहे राष्ट्रपति का चुनाव हो, राज्यसभा की नियुक्तियाँ हों या केंद्रीय मंत्रिमंडल का विस्तार — हर बार भाजपा ने ऐसा नाम चुना है जो पहली नजर में अप्रत्याशित लगता है, लेकिन बाद में पार्टी की सोच को पूरी तरह परिभाषित करता है।
इस बार भी कुछ ऐसा ही होने की संभावना जताई जा रही है। पार्टी अपने आंतरिक विचार-विमर्श में जुटी है और जनता को उम्मीद है कि जल्द ही देश को एक नया उपराष्ट्रपति मिलेगा जो न केवल संविधान की रक्षा करेगा, बल्कि विचारों और सिद्धांतों का भी सशक्त प्रतिनिधित्व करेगा।