दक्षिण एशिया का शांत दिखाई देने वाला कोना एक बार फिर चर्चा में है। थाईलैंड और कंबोडिया की अंतरराष्ट्रीय सीमा पर 24 जुलाई को हुए हिंसक टकराव ने पूरे क्षेत्र को चिंता में डाल दिया है। दोनों देशों के बीच लंबे समय से चला आ रहा सीमा विवाद अब एक बार फिर गंभीर संघर्ष में तब्दील हो गया, जिसमें नौ निर्दोष नागरिकों की जान चली गई।
संघर्ष का पूरा घटनाक्रम
यह घटना सीमा के समीप एक संवेदनशील इलाके में हुई, जहां कई वर्षों से दोनों देशों के बीच मतभेद चला आ रहा है। जानकारी के अनुसार, झड़प की शुरुआत अचानक हुई जब दोनों देशों के सुरक्षाबलों के बीच गश्त के दौरान तीखी बहस छिड़ गई। बात इतनी बढ़ गई कि दोनों ओर से हथियार चलने लगे, जिससे इलाके में भारी तनाव फैल गया।
इस क्षेत्र में पहले भी सीमित संघर्ष होते रहे हैं, लेकिन इस बार झड़प ज्यादा तीव्र और जानलेवा रही। बंदूकधारी गतिविधियों और रॉकेट हमलों की आवाजें कई घंटों तक सुनाई देती रहीं।
नागरिकों की मौत और दहशत
अब तक नौ नागरिकों की मौत की पुष्टि की जा चुकी है, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। कई अन्य लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं और सीमावर्ती अस्पतालों में भर्ती हैं।
इलाके में रहने वाले लोगों के बीच भय का माहौल है और कई गांवों से लोग पलायन कर रहे हैं। कुछ ने अपने घर छोड़कर सुरक्षित इलाकों में शरण ले ली है। कई लोगों ने बताया कि बिना किसी चेतावनी के गोलियां चलने लगीं और स्थिति बेकाबू हो गई।
#CambodiaOpenedFire
Cambodia start fired
They use BM-21 rockets
They attack Hospital
They attack convenience store
They attack civilians’s house
They killed 5 years old kid and now at least 9 Thai civilians have reported deathpic.twitter.com/55wvF5egeR https://t.co/yrKP9PNKpH— mommie (@mommie505) July 24, 2025
सेनाओं की तैनाती और प्रतिक्रिया
घटना के तुरंत बाद दोनों देशों ने अपनी-अपनी सीमाओं पर सैन्य बल बढ़ा दिए हैं। तोपें, टैंक और हेलीकॉप्टर तैनात कर दिए गए हैं। अधिकारी इस टकराव को “आकस्मिक संघर्ष” कह रहे हैं, लेकिन जमीन पर तनाव किसी युद्ध से कम नहीं दिख रहा।
दोनों देशों के प्रवक्ताओं ने एक-दूसरे पर आरोप लगाए हैं, जिससे स्थिति और गंभीर होती जा रही है। हालांकि, सरकारें इस समय संयम बरतने की अपील कर रही हैं।
राजनीतिक और कूटनीतिक घटनाक्रम
घटना के बाद राजनीतिक बयानबाज़ी तेज़ हो गई है। दोनों देशों के विदेश मंत्रालयों ने एक-दूसरे से विरोध दर्ज कराया है और बातचीत के जरिए समाधान की बात की है।
इसी बीच अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी चिंता जताई जा रही है। क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने के लिए कुछ देशों ने मध्यस्थता की पेशकश की है, जबकि कुछ संस्थाओं ने संयम बरतने की अपील की है। इसी तरह, हाल ही में जब भारत के प्रधानमंत्री ने लंदन पहुंचकर एक अहम कूटनीतिक पहल की थी, तो वह भी वैश्विक साझेदारियों की दिशा में एक ठोस कदम माना गया था। पूरा विवरण यहां पढ़ें।
हालांकि थाईलैंड-कंबोडिया मामले में अब तक कोई ठोस समाधान सामने नहीं आया है।
सीमा विवाद का इतिहास
थाईलैंड और कंबोडिया के बीच यह सीमा विवाद बहुत पुराना और जटिल रहा है। 1960 के दशक में शुरू हुआ यह विवाद तब और गहरा गया जब सीमावर्ती मंदिर और क्षेत्र पर स्वामित्व को लेकर दोनों देशों में टकराव हुआ।
पिछले दशकों में कई बार टकराव हो चुके हैं, खासकर 2008 और 2011 में भी। हर बार संघर्ष के बाद थोड़ी शांति आती है, लेकिन जड़ में बसे विवाद को सुलझाने में असफलता ही इन झगड़ों की जड़ है।
आम लोगों की आवाज़
संघर्ष के केंद्र में रहने वाले नागरिकों का कहना है कि उन्हें ऐसी स्थिति की आदत पड़ चुकी है, लेकिन इस बार हिंसा ज्यादा गंभीर और अप्रत्याशित थी।
एक ग्रामीण ने बताया, “हम अपने खेतों में काम कर रहे थे कि अचानक फायरिंग शुरू हो गई। बच्चों को लेकर भागना पड़ा।”
दूसरे निवासी ने कहा, “हमें नहीं पता कि कब घर लौट पाएंगे। राशन और दवाइयों की कमी हो रही है।”
शांति की दिशा में संभावनाएं
फिलहाल क्षेत्र में सन्नाटा है लेकिन तनाव की तलवार लटक रही है। इस समय सबसे ज़रूरी है कि दोनों देश सीमा पर शांति बनाए रखें और बातचीत का रास्ता अपनाएं।
क्षेत्रीय संगठनों की भूमिका अहम हो सकती है, जो दोनों देशों के बीच संवाद की प्रक्रिया को आगे बढ़ा सकते हैं।
अगर संघर्ष को यहीं नहीं रोका गया, तो यह एक बड़े मानवीय संकट का कारण बन सकता है।
निष्कर्ष
थाईलैंड-कंबोडिया सीमा पर हालिया हिंसा ने यह साबित कर दिया है कि पुरानी रंजिशें जब तक सुलझाई नहीं जातीं, तब तक शांति एक सपना ही बनी रहती है।
इस संघर्ष में नौ निर्दोष नागरिकों की जान चली गई, और कई परिवार उजड़ गए।
अब ज़रूरत है कि संवेदनशीलता, समझदारी और संयम से इस मामले को सुलझाया जाए, ताकि इस क्षेत्र में स्थायी शांति आ सके।




















