हरियाली तीज का पर्व श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। वर्ष 2025 में यह त्योहार 31 जुलाई (गुरुवार) को मनाया जाएगा। यह दिन शिव और पार्वती के पुनर्मिलन के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि माता पार्वती ने वर्षों की तपस्या के बाद भगवान शिव को अपने पति के रूप में प्राप्त किया था। उसी उपलक्ष्य में महिलाएं इस दिन व्रत रखती हैं और पूजा-अर्चना करती हैं।
यह पर्व महिलाओं के सौंदर्य, प्रेम और समर्पण का प्रतीक होता है। खासकर नवविवाहित महिलाएं इसे बड़े धूमधाम से मनाती हैं और सास-ससुर के घर से मायके जाकर तीज का त्योहार अपने परिवार के साथ मनाती हैं।
व्रत और पूजा विधि
हरियाली तीज के दिन महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान करती हैं और स्वच्छ वस्त्र पहनकर व्रत का संकल्प लेती हैं। व्रत अधिकतर निर्जल होता है, यानी महिलाएं दिनभर कुछ नहीं खाती-पीतीं। कुछ महिलाएं फलाहार करती हैं, लेकिन अधिकतर पूर्ण उपवास रखती हैं।
पूजन में भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। पूजा के लिए बेलपत्र, धतूरा, फल, फूल, सिंदूर, कुमकुम, अक्षत, मिठाई और श्रृंगार सामग्री का प्रयोग होता है। कथा सुनने और झूला झूलने की परंपरा भी इस दिन विशेष होती है।
व्रत के नियम:
- स्नान के बाद स्वच्छ कपड़े पहनें और व्रत का संकल्प लें।
- पूजा में सोलह श्रृंगार करें।
- व्रत के दौरान माता पार्वती की कथा सुनना जरूरी होता है।
- व्रत समाप्ति पर जलपान करें और परिवारजनों को भोजन कराएं।
7 Signal BN organized a grand cultural program on 19 July 2025 on the auspicious occasion of HARIYALI TEEJ, celebrated with great enthusiasm and traditional fervor. The event was graced by the presence of the CRPF lady wives, childrens adding charm and warmth to the celebration. pic.twitter.com/VSspqUQC5k
— 7 SIGNAL BN CRPF (@7signal_crpf) July 20, 2025
शुभ रंग और पारंपरिक पहनावा
हरियाली तीज पर हरे रंग का विशेष महत्व होता है। यह रंग प्रकृति की हरियाली, जीवन और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। महिलाएं हरे रंग की साड़ी, लहंगा या सूट पहनकर पारंपरिक श्रृंगार करती हैं।
हरे रंग के साथ महिलाएं लाल, गुलाबी या पीले रंग की चूड़ियां, बिंदी और गहनों का भी प्रयोग करती हैं। गहनों में झुमके, मांगटीका, नथ, चूड़ियां, बिछुए और पायल प्रमुख होते हैं।
हर क्षेत्र में पहनावे की अपनी विशेषता होती है, पर श्रृंगार और सोलह शृंगार की परंपरा सभी जगह समान रूप से मानी जाती है।
मेकअप और सजने-संवरने के टिप्स
हरियाली तीज का त्योहार सजने-संवरने और अपने स्त्रीत्व को सम्मानित करने का दिन होता है। इस दिन महिलाएं विशेष श्रृंगार करती हैं और पारंपरिक वेस्टर्न मेकअप का सुंदर मेल देखने को मिलता है।
कुछ खास टिप्स:
- तीज से एक दिन पहले स्किन को घरेलू उबटन से साफ करें।
- हल्का फाउंडेशन, प्राकृतिक आईशैडो (हरा या गोल्डन) और विंग्ड लाइनर का उपयोग करें।
- लाल या गुलाबी लिपस्टिक के साथ सिंदूरी बिंदी सुंदरता में चार चांद लगाती है।
- बालों में गजरा लगाएं या सॉफ्ट बन बनाएं, जिससे लुक ट्रेडिशनल रहे।
- नाखूनों में भी हरे या सुनहरे रंग की नेलपॉलिश लगाना अच्छा विकल्प होता है।
हरियाली तीज के सात्विक व्यंजन
व्रत रखने के बाद महिलाएं सात्विक भोजन करती हैं। ये व्यंजन न केवल स्वादिष्ट होते हैं बल्कि सेहतमंद भी होते हैं। कुछ महिलाएं व्रत में सिर्फ फलाहार करती हैं, जबकि कुछ उपवास के बाद हल्का और पौष्टिक भोजन करती हैं।
लोकप्रिय व्यंजन:
- साबूदाना खिचड़ी: व्रत में सबसे आम और हल्का व्यंजन।
- मखाने की खीर: मिठास से भरपूर और सात्विक।
- कुट्टू के आटे के पराठे और आलू की सब्जी: व्रत के बाद पेट भरने वाला भोजन।
- फलाहार: पपीता, केला, अनार, दही और सूखे मेवे का सेवन।
ऐसे भोजन शरीर को ऊर्जा देते हैं और दिनभर के उपवास के बाद ताजगी भी प्रदान करते हैं।
सुहाग सामग्री और उपहारों का महत्व
हरियाली तीज पर महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं। इसके तहत सिंदूर, बिंदी, चूड़ियां, पायल, नथ, गजरा, मेहंदी, अंगूठी, मांगटीका, बिछुए, इत्र आदि का इस्तेमाल होता है।
इस दिन मायके से विवाहित बेटियों को ‘तीज का साजो-सामान’ भेजा जाता है जिसमें कपड़े, मिठाई, श्रृंगार सामग्री और उपहार होते हैं। पति भी अपनी पत्नी को इस दिन उपहार देकर उसे सम्मानित करते हैं। यह पारंपरिक भावनात्मक जुड़ाव का एक सुंदर माध्यम बनता है।
तीज और सोशल मीडिया का मेल
आज के समय में तीज जैसे पारंपरिक त्योहारों को भी डिजिटल प्लेटफॉर्म्स ने नया जीवन दे दिया है। महिलाएं अब इंस्टाग्राम, यूट्यूब और फेसबुक जैसे प्लेटफॉर्म्स पर अपने तीज लुक्स, मेहंदी डिज़ाइन्स और पूजा तैयारियों की तस्वीरें और रील्स शेयर करती हैं।
ऑनलाइन पूजा आयोजनों, डिजिटल कथा श्रवण और वर्चुअल उपहार आदान-प्रदान जैसी नई परंपराएं भी बन चुकी हैं।
हरियाली तीज 2025 की तिथि, परंपरा, पूजा विधि और सामाजिक महत्व जानें इस लेख में
इन सभी बातों से यह स्पष्ट है कि परंपरा और टेक्नोलॉजी का सुंदर मेल आज के समय में हरियाली तीज को और जीवंत बना रहा है।
हरियाली तीज: आस्था, परंपरा और उत्सव का संगम
हरियाली तीज केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि यह नारीत्व, आस्था, प्रेम और आत्मिक शक्ति का उत्सव है। इस दिन महिलाएं न केवल व्रत रखती हैं, बल्कि स्वयं को फिर से संवारती हैं और अपने रिश्तों में प्रेम और समर्पण का संचार करती हैं।
आज के समय में भी इस पर्व का महत्व कम नहीं हुआ है। बल्कि डिजिटल युग में यह नए रंगों और तरीकों से और भी खास हो गया है।
इस हरियाली तीज पर आप भी पारंपरिकता के साथ आधुनिकता का संतुलन बनाए रखें और इस पर्व को पूरे हर्षोल्लास और श्रद्धा के साथ मनाएं।