पंजाब का पठानकोट जिला न केवल अपने सामरिक महत्व के लिए जाना जाता है, बल्कि यह भारत-पाकिस्तान सीमा के बेहद करीब स्थित एक अत्यंत संवेदनशील क्षेत्र भी है। हाल ही में यहां एलओसी के पास अवैध खनन की खबरें सामने आने के बाद राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने इस पूरे मामले में गंभीर रुख अपनाया है।
खनन गतिविधियों का संचालन नियंत्रण रेखा (LoC) के 1 किलोमीटर के दायरे में होने की बात सामने आते ही यह मामला राष्ट्रीय सुरक्षा के नजरिए से भी बेहद महत्वपूर्ण हो गया। पर्यावरणीय असंतुलन और सुरक्षा दोनों पहलुओं को ध्यान में रखते हुए अब इस मामले ने कानूनी और राजनीतिक दोनों ही रंग ले लिए हैं।
🟩 NGT की बड़ी कार्रवाई: केंद्र और राज्य को भेजा नोटिस
26 जुलाई 2025 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने इस मुद्दे पर स्वतः संज्ञान लेते हुए केंद्र सरकार और पंजाब सरकार को नोटिस जारी किया। इस नोटिस में NGT ने स्पष्ट रूप से पूछा है कि पठानकोट में नियंत्रण रेखा के समीप चल रही खनन गतिविधियों की अनुमति कैसे दी गई और क्या इसके लिए पर्यावरणीय स्वीकृति प्राप्त की गई थी?
एनजीटी की बेंच, जिसमें न्यायमूर्ति प्रमोद कुमार और पर्यावरण विशेषज्ञ डॉ. अजय ए. देशपांडे शामिल हैं, ने संबंधित पक्षों से 18 सितंबर तक विस्तृत जवाब मांगा है।
इसमें केंद्र सरकार के अतिरिक्त, पर्यावरण मंत्रालय (MoEF), गृह मंत्रालय (MHA), पंजाब राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, और अन्य स्थानीय प्राधिकरणों को भी नोटिस भेजा गया है।
🟩 शिकायतकर्ता का दावा: 1 किलोमीटर से भी कम दूरी पर खनन
इस कार्रवाई की नींव एक शिकायत पर रखी गई, जिसे पर्यावरण कार्यकर्ता रजत शर्मा द्वारा दाखिल किया गया था। उनके अनुसार, खनन गतिविधियां एलओसी से महज़ 500 मीटर की दूरी पर चल रही हैं, जो न केवल पर्यावरणीय नियमों का उल्लंघन है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा को भी खतरे में डाल सकती है।
शिकायत में कई डिजिटल तस्वीरें, ईमेल रिकॉर्ड और स्थान की सटीक जानकारी साझा की गई हैं, जिनके आधार पर एनजीटी ने इस मामले को तुरंत गंभीरता से लिया।
⚠️ LoC के पास Pathankot, Punjab में अवैध रेत‑खनन का NGT नोटिस जारीhttps://t.co/LPwgVipFN0#illegalMining #NGTNotice #PathankotMining #PunjabEnvironment #SandMining #LoCRisk #EnvironmentalJustice pic.twitter.com/q8sp7JOBSD
— Zee Hulchul (@zeehulchul) August 1, 2025
🟩 प्रस्तुत किए गए प्रमाण और साक्ष्य की ताकत
शिकायतकर्ता द्वारा दिए गए साक्ष्य में क्षेत्र विशेष की जियो-टैग की गई तस्वीरें, ट्रकों की गतिविधि, खनन सामग्री की आवाजाही और स्थान की स्पष्ट जानकारी शामिल है।
इन साक्ष्यों के अनुसार, खनन कार्य उस इलाके में हो रहे हैं जहां सेना की तैनाती और सुरक्षा चौकियों की मौजूदगी आम बात है। ऐसे में इस प्रकार की खुदाई किसी भी तरह की सुरक्षा चूक का कारण बन सकती है।
🟩 LoC के पास खनन: सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा
पठानकोट एक ऐसा ज़िला है जो पहले ही कई बार आतंकी गतिविधियों का गवाह रह चुका है, जिसमें 2016 का पठानकोट एयरबेस हमला सबसे प्रमुख उदाहरण है। ऐसे क्षेत्र में यदि खनन जैसी गतिविधियां नियंत्रित न की जाएं तो न केवल सुरक्षाबलों की आवाजाही बाधित हो सकती है, बल्कि दुश्मन को भी मौका मिल सकता है।
एनजीटी ने इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए कहा है कि यह मुद्दा सिर्फ पर्यावरणीय नहीं बल्कि राष्ट्र की सुरक्षा से भी जुड़ा है।
🟩 नोटिस में शामिल पक्ष और उनका उत्तरदायित्व
NGT द्वारा जारी नोटिस में स्पष्ट रूप से यह निर्देश दिया गया है कि सभी संबंधित विभाग यह बताएं कि—
- खनन की अनुमति किस आधार पर दी गई?
- क्या इसकी पर्यावरणीय स्वीकृति ली गई थी?
- क्या सेना या BSF से पहले से इस गतिविधि की सूचना साझा की गई थी?
इन सवालों के जवाब तय करेंगे कि आने वाले दिनों में इस केस की दिशा क्या होगी।
🟩 स्थानीय प्रतिक्रिया: जनता और सोशल मीडिया की चिंता
पठानकोट के स्थानीय नागरिकों और सुरक्षा से जुड़े विशेषज्ञों में इस मुद्दे को लेकर काफी चिंता देखी जा रही है। सोशल मीडिया पर लगातार यह मांग उठ रही है कि सरकार और प्रशासन को सीमावर्ती क्षेत्रों में किसी भी तरह की गतिविधि को लेकर अधिक सतर्कता बरतनी चाहिए।
एक ओर जहां राज्य सरकार नशा मुक्त पंजाब की दिशा में स्कूलों में एविडेंस-बेस्ड करिकुलम जैसे ठोस कदम उठा रही है, वहीं दूसरी ओर इस तरह की गतिविधियां सरकार की नियत पर सवाल उठाती हैं।
🟩 राजनीतिक चुप्पी और संभावित बयानबाज़ी
अब तक राज्य सरकार या किसी भी प्रमुख मंत्री ने इस विषय पर खुलकर बयान नहीं दिया है। हालाँकि, विपक्षी दलों द्वारा सरकार पर “मौन समर्थन” का आरोप लगाया जा सकता है यदि समय रहते कोई कार्रवाई नहीं की जाती।
संभावना है कि आने वाले हफ्तों में यह मुद्दा पंजाब विधानसभा से लेकर संसद तक में गूंजे।
🟩अब अगला कदम क्या हो सकता है?
इस मामले में केंद्र और राज्य सरकार दोनों की भूमिका अब निर्णायक हो चुकी है।
एक ओर पर्यावरणीय संतुलन और दूसरी ओर राष्ट्रीय सुरक्षा—दोनों पर प्रश्नचिह्न खड़े हो चुके हैं। ऐसे में सभी पक्षों को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि न केवल अवैध खनन पर रोक लगे, बल्कि इस संवेदनशील क्षेत्र में कोई भी गतिविधि पूरी सतर्कता और अनुमति के साथ ही की जाए।
✅ आखिरी विचार: राष्ट्रहित सर्वोपरि
एलओसी के पास किसी भी प्रकार की गतिविधि का प्रभाव केवल स्थानीय स्तर पर नहीं होता—यह पूरे देश की सुरक्षा, सम्मान और संतुलन से जुड़ा होता है। NGT की पहल इस बात का संकेत है कि भारत की संस्थाएं हर स्तर पर सतर्क हैं, लेकिन अब प्रशासनिक क्रियान्वयन और राजनीतिक ईमानदारी भी ज़रूरी है।