Son of Sardaar 2 फिर चर्चा में क्यों?
बॉलीवुड अभिनेता अजय देवगन की बहुप्रतीक्षित फिल्म Son of Sardaar 2 इन दिनों एक नई वजह से सुर्खियों में है। जैसे ही फिल्म का ट्रेलर सामने आया, वैसे ही सेंसर बोर्ड यानी CBFC (Central Board of Film Certification) ने इसमें कुछ संवादों को आपत्तिजनक करार देते हुए बड़े बदलावों की मांग कर दी।
जहां एक ओर फिल्म के फैंस इसकी कहानी और एक्शन सीन्स को लेकर उत्साहित हैं, वहीं दूसरी ओर डायलॉग्स पर सेंसर बोर्ड की आपत्तियों ने एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। हालांकि निर्माताओं ने सेंसर के निर्देशों को स्वीकार कर फिल्म में जरूरी बदलाव कर दिए हैं।
CBFC की आपत्तियाँ – क्या बदला गया फिल्म में?
फिल्म के ट्रेलर में एक संवाद था: “कुत्ते की तरह मारूंगा”, जिसे CBFC ने “अत्यधिक आक्रामक” करार देते हुए हटाने का आदेश दिया। इसके अलावा कुछ अन्य संवादों को भी ऐसे शब्दों और टोन के लिए बदला गया है जो धार्मिक या जातीय भावनाओं को ठेस पहुंचा सकते थे।
👉 महत्वपूर्ण बात यह है कि CBFC ने फिल्म के किसी दृश्य को काटा नहीं है, सिर्फ संवादों में बदलाव किए गए हैं।
👉 बोर्ड का कहना है कि इस तरह के बदलाव जनभावनाओं का सम्मान करने के उद्देश्य से किए गए हैं।
सेंसर बोर्ड ने फिल्म को U/A सर्टिफिकेट देने से पहले यह शर्त रखी कि निर्माताओं को संवादों में संतुलन बनाए रखना होगा ताकि फिल्म दर्शकों को नकारात्मक रूप से प्रभावित न करे।
#AjayDevgn‘s Last 6 films at BO
👉 #Raid2 – HIT
👉 #SinghamAgain – AVERAGE
👉 #AuronMeinKahanDumTha – FLOP (12.91cr)
👉 #Maidaan – FLOP (68.09cr)
👉 #Shaitaan – SUPER-HIT (211.06cr)
👉 #Bholaa – AVERAGE (123cr)Comment #SonOfSardaar2 VERDICT & BOC?#SonOfSardaar2Review pic.twitter.com/PlZh1xWEBg
— ALLWood Reviews (@AllwoodReviews) July 31, 2025
निर्देशक और निर्माताओं की प्रतिक्रिया
फिल्म के निर्माताओं और अजय देवगन की टीम ने CBFC के निर्देशों का सम्मान करते हुए तुरंत संवादों को बदला और कहा कि:
“हमारी मंशा कभी किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाने की नहीं रही। यदि किसी शब्द या संवाद से ऐसा महसूस होता है, तो हम उसे बदलने को तैयार हैं।”
निर्देशक ने यह भी स्पष्ट किया कि संवादों में हुए बदलाव से फिल्म की कहानी या भावनात्मक प्रवाह पर कोई असर नहीं पड़ेगा। उनका मानना है कि दर्शकों तक सशक्त संदेश पहुंचाना ज्यादा जरूरी है, बजाय विवादास्पद भाषा का प्रयोग करने के।
कहानी की झलक – देशभक्ति और परिवार का मेल
Son of Sardaar 2 की कहानी में देशभक्ति, बलिदान और पारिवारिक मूल्यों को खूबसूरती से जोड़ा गया है। फिल्म में अजय देवगन एक पूर्व सैनिक की भूमिका निभा रहे हैं जो अपने गांव और परिवार की रक्षा के लिए वापस लौटता है।
👉 मृणाल ठाकुर एक सशक्त महिला किरदार में हैं, जो न सिर्फ फिल्म की लव स्टोरी को आकार देती हैं, बल्कि सामाजिक संदेश का भी हिस्सा बनती हैं।
कहानी में ड्रामा, एक्शन और इमोशन का संतुलन है। यह फिल्म क्लासिक बॉलीवुड मसाला से अलग एक गंभीर और भावनात्मक अनुभव देने का दावा करती है।
दर्शकों की प्रतिक्रिया और सोशल मीडिया का माहौल
फिल्म की सेंसरिंग के बाद ट्विटर और इंस्टाग्राम पर #SonOfSardaar2, #CBFC Controversy जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे। कई फैंस का कहना है कि:
“सेंसर बोर्ड कुछ ज्यादा ही संवेदनशील हो गया है, हर फिल्म को इतनी बारीकी से नहीं परखना चाहिए।”
वहीं, कुछ लोग CBFC के फैसले का समर्थन करते हुए कह रहे हैं कि फिल्मों को समाज में फैले तनाव को बढ़ाने की बजाय शांतिपूर्ण संदेश देना चाहिए।
हाल ही में इसी तरह की सेलिब्रिटी-संबंधित सोशल मीडिया चर्चा उस वक्त देखी गई जब Jackson Wang ने ऋतिक रोशन से Krrish 4 में रोल मांगा, और फैंस ने दिलचस्प प्रतिक्रियाएं दीं।
फिल्म की रिलीज़ और बुकिंग ट्रेंड
Son of Sardaar 2 अगले महीने बड़े पर्दे पर दस्तक देने वाली है। ट्रेलर लॉन्च के बाद से ही फिल्म के प्रति दर्शकों में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है।
🎟️ एडवांस बुकिंग के शुरुआती आंकड़ों से पता चलता है कि फिल्म को अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है, खासतौर पर उत्तर भारत के मल्टीप्लेक्स और सिंगल स्क्रीन थिएटर्स में।
ट्रेड एनालिस्ट्स का मानना है कि यदि फिल्म की कहानी और परफॉर्मेंस मजबूत रही, तो यह बॉक्स ऑफिस पर बेहतर प्रदर्शन कर सकती है।
❌ Son Of Sardaar 2 is all noise, over-acting & zero comedy 😬 Ajay Devgn & Mrunal Thakur stuck in chaos!https://t.co/84hRCaio5r#SonOfSardaar2 #AjayDevgn #MrunalThakur #BollywoodFlop
— Cinema Review (@cinemareviewfun) August 1, 2025
पुरानी फिल्म से तुलना – कितना बदला है पार्ट 2 में?
2012 में रिलीज़ हुई पहली फिल्म ‘Son of Sardaar’ एक हल्की-फुल्की एक्शन-कॉमेडी थी जिसमें रोमांच, मस्ती और पंजाबी संस्कृति की झलक थी। लेकिन दूसरा भाग ज्यादा गंभीर और संवेदनशील विषय को केंद्र में रखता है।
👉 फिल्म की टोन पहले से काफी अलग है
👉 किरदारों की गहराई और कहानी का संदेश ज्यादा प्रासंगिक लगता है
👉 कहीं भी पुरानी फिल्म के संवाद या सीन की दोहराव नहीं की गई है
क्या बदलाव ज़रूरी थे?
CBFC द्वारा मांगे गए बदलावों को लेकर सोशल मीडिया और फिल्म इंडस्ट्री में बहस चल रही है। कुछ लोग इसे रचनात्मक स्वतंत्रता पर हस्तक्षेप मानते हैं, जबकि अन्य इसका समर्थन करते हैं।
सवाल यह नहीं है कि बदलाव जरूरी थे या नहीं, बल्कि यह है कि क्या ये बदलाव दर्शकों के अनुभव को बेहतर बनाएंगे?
👉 CBFC की भूमिका का सम्मान करना चाहिए, लेकिन साथ ही यह भी ध्यान रखना जरूरी है कि सिनेमा एक अभिव्यक्ति का माध्यम है, जिसे समाज का आईना भी माना जाता है।
फिलहाल तो Son of Sardaar 2 की रिलीज़ का इंतज़ार है — फैसला अब दर्शकों के हाथ में है।