उत्तराखंड के चमोली जिले में शुक्रवार रात आई प्राकृतिक आपदा ने पूरे क्षेत्र को दहला दिया। थराली ब्लॉक के कई गांवों में अचानक बादल फटने (Cloudburst) से भारी तबाही मच गई। तेज बारिश के साथ आई बाढ़ ने देखते ही देखते घरों, दुकानों और खेतों को बहा दिया। लोग रातों-रात अपने घरों से निकलने पर मजबूर हो गए।
स्थानीय प्रशासन के मुताबिक, इस घटना में कई लोगों की मौत की पुष्टि हुई है जबकि दर्जनों लोग अभी भी लापता हैं। गांवों में हालात बेहद गंभीर बने हुए हैं और सड़कें जगह-जगह टूट गई हैं, जिससे राहत और बचाव कार्य में कठिनाई आ रही है।
🌧️ क्लाउडबर्स्ट कैसे और कब हुआ
यह क्लाउडबर्स्ट शुक्रवार देर रात करीब 2:30 बजे हुआ। चमोली जिले के थराली क्षेत्र और आसपास के गांवों में भारी बारिश हो रही थी। अचानक ऊपर पहाड़ियों से पानी और मलबे का सैलाब नीचे की ओर आया और पूरे इलाके को अपनी चपेट में ले लिया।
गांवों के लोग जब तक कुछ समझ पाते, तब तक घरों और खेतों को नुकसान पहुँच चुका था। प्रशासन को सूचना मिलने के तुरंत बाद NDRF और SDRF की टीमें मौके पर रवाना कर दी गईं।
कल देर रात चमोली ज़िले के थराली क्षेत्र (राड़ीबगड़) में बादल फटने से भीषण तबाही मची। भारी बारिश और मलबे के कारण नगर पालिका अध्यक्ष आवास, SDM आवास सहित कई घरों में मलबा घुस गया, कई वाहन क्षतिग्रस्त हुए और कुछ वाहन मलवे में दबे होने की सूचना है।
जानकारी के अनुसार, रात लगभग 12 बजे… pic.twitter.com/c38wlxdPBI
— Kumaon Jagran (@KumaonJagran) August 23, 2025
🏚️ जनहानि और तबाही का आँकड़ा
अब तक की आधिकारिक जानकारी के मुताबिक:
- कई लोगों की मौत हो चुकी है और यह संख्या और बढ़ सकती है।
- 20 से अधिक लोग लापता बताए जा रहे हैं।
- सैकड़ों घर और दुकानें पानी और मलबे में बह गईं।
- कृषि भूमि और फसलें पूरी तरह नष्ट हो गई हैं।
गांवों में जगह-जगह गाड़ियाँ, बिजली के खंभे और पेड़ बह गए हैं। कई परिवार पूरी तरह बेघर हो चुके हैं।
🚨 राहत और बचाव कार्य
राहत और बचाव कार्य युद्धस्तर पर जारी है।
- NDRF, SDRF, पुलिस और सेना की टीमें मलबे में दबे लोगों को निकालने का प्रयास कर रही हैं।
- हेलीकॉप्टर की मदद से ऊँचे इलाकों में फंसे लोगों को सुरक्षित जगह पहुँचाया जा रहा है।
- सरकार ने अस्थायी राहत कैंप स्थापित किए हैं जहाँ भोजन, पानी और दवाइयों की व्यवस्था की गई है।
- मेडिकल टीमें घायलों का उपचार कर रही हैं।
हालांकि, टूटी सड़कों और लगातार बारिश के कारण बचाव कार्य में कठिनाइयाँ आ रही हैं।
👀 स्थानीय लोगों के अनुभव
गांव के लोगों ने बताया कि अचानक तेज़ आवाज़ आई और पानी के साथ मिट्टी व पत्थरों का सैलाब नीचे की ओर बहता चला आया। कई लोगों ने अपने परिजनों को खो दिया।
एक स्थानीय महिला ने बताया, “हम सब सो रहे थे, तभी अचानक शोर सुनाई दिया। देखते ही देखते पानी और पत्थरों ने हमारा घर तोड़ दिया। हम जान बचाकर भागे, लेकिन कई पड़ोसी नहीं बच पाए।”
लोगों में अब भी डर का माहौल है और ज्यादातर लोग सुरक्षित स्थानों पर शरण लिए हुए हैं।
🏛️ सरकार और प्रशासन की प्रतिक्रिया
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घटना पर गहरा शोक व्यक्त किया है और मुआवजे का ऐलान किया है। उन्होंने प्रभावित परिवारों को हर संभव सहायता देने का आश्वासन दिया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट कर इस आपदा पर दुख जताया और कहा कि केंद्र सरकार पूरी तरह राज्य के साथ खड़ी है। आपदा प्रबंधन विभाग को अतिरिक्त सहायता भेजने के निर्देश दिए गए हैं।
🌍 क्लाउडबर्स्ट: प्राकृतिक आपदा या जलवायु परिवर्तन का असर
विशेषज्ञों का मानना है कि पहाड़ी इलाकों में बढ़ते क्लाउडबर्स्ट और भूस्खलन जलवायु परिवर्तन (Climate Change) की वजह से हो रहे हैं।
- ग्लेशियरों का पिघलना
- अनियमित बारिश
- वनों की कटाई और असंतुलित निर्माण कार्य
ये सभी कारण प्राकृतिक संतुलन को बिगाड़ रहे हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले समय में ऐसे हादसे और बढ़ सकते हैं।
हाल ही में जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ में भी ऐसा ही दर्दनाक हादसा हुआ था। वहां 60 लोगों की मौत और 100 से अधिक लोग घायल हुए थे।
👉 विस्तृत रिपोर्ट आप यहाँ पढ़ सकते हैं।
✅ निष्कर्ष
उत्तराखंड का यह हादसा एक बार फिर चेतावनी देता है कि हमें प्राकृतिक आपदाओं से निपटने की तैयारी और पुख्ता करनी होगी। पहाड़ी इलाकों में निर्माण कार्य, पर्यावरण संतुलन और आपदा प्रबंधन पर गंभीरता से काम करने की आवश्यकता है।
सरकार, प्रशासन और आम नागरिक अगर मिलकर प्रयास करें तो ऐसी आपदाओं के असर को कम किया जा सकता है।
💬 आपकी राय क्या है?
क्या आपको लगता है कि क्लाउडबर्स्ट जैसी आपदाओं से निपटने के लिए भारत को और मजबूत आपदा प्रबंधन सिस्टम बनाना चाहिए?
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