प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय यात्रा पर जापान पहुंचे हैं। यह दौरा इसलिए अहम माना जा रहा है क्योंकि भारत और जापान के रिश्ते न सिर्फ आर्थिक बल्कि रणनीतिक स्तर पर भी नई दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। मौजूदा वैश्विक परिदृश्य में जब बड़े देशों के बीच व्यापार और रक्षा नीतियों को लेकर असमंजस बढ़ा है, तब यह यात्रा एक नए भरोसे का प्रतीक मानी जा रही है।
जापान पहुंचने पर भव्य स्वागत और शुरुआती कार्यक्रम
टोक्यो एयरपोर्ट पर प्रधानमंत्री मोदी का पारंपरिक तरीके से स्वागत किया गया। जापानी अधिकारियों और भारतीय समुदाय ने उनका गर्मजोशी से अभिनंदन किया। आगमन के बाद प्रधानमंत्री ने भारत-जापान रिश्तों को और मज़बूत करने की प्रतिबद्धता जताई और कहा कि यह यात्रा दोनों देशों के बीच सहयोग का नया अध्याय खोलेगी।
वार्षिक भारत-जापान शिखर सम्मेलन 2025
इस यात्रा का प्रमुख आकर्षण भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन है। इसमें कई अहम मुद्दों पर चर्चा होने वाली है—
- रक्षा सहयोग और इंडो-पैसिफिक में साझेदारी
- तकनीकी विकास और स्टार्टअप्स को बढ़ावा
- मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट की समीक्षा
- द्विपक्षीय व्यापार और निवेश समझौते
यह सम्मेलन इसलिए भी अहम है क्योंकि दोनों देश मिलकर ऐसे मुद्दों पर काम कर रहे हैं जिनका सीधा असर एशिया की स्थिरता पर पड़ेगा।
Landed in Tokyo. As India and Japan continue to strengthen their developmental cooperation, I look forward to engaging with PM Ishiba and others during this visit, thus providing an opportunity to deepen existing partnerships and explore new avenues of collaboration.… pic.twitter.com/UPwrHtdz3B
— Narendra Modi (@narendramodi) August 29, 2025
रक्षा और रणनीतिक सहयोग
भारत और जापान लंबे समय से रक्षा क्षेत्र में साझेदारी को मज़बूत कर रहे हैं। नौसैनिक अभ्यास, सुरक्षा समझौते और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में संयुक्त रणनीति इस सहयोग की दिशा तय कर रहे हैं। मौजूदा भू-राजनीतिक हालात को देखते हुए यह साझेदारी और भी आवश्यक हो गई है।
इसी परिप्रेक्ष्य में यह तथ्य नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता कि हाल के समय में कुछ बड़ी शक्तियों द्वारा लिए गए कठोर आर्थिक फैसलों ने वैश्विक व्यापार और रिश्तों पर असर डाला है। इसी संदर्भ में देखा जाए तो भारत-अमेरिका व्यापारिक तनाव और शुल्क विवाद के बीच भारत-जापान सहयोग एक संतुलनकारी कदम साबित हो सकता है।
तकनीकी सहयोग और इनोवेशन
भारत और जापान दोनों ही तकनीक और इनोवेशन के क्षेत्र में मज़बूत हैं। इस यात्रा में स्टार्टअप्स, यूनिकॉर्न, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री को लेकर कई समझौते होने की संभावना है। जापानी कंपनियों का भारत में निवेश बढ़ाना और भारतीय स्टार्टअप्स को जापानी बाजार तक पहुंचाना इस सहयोग के अहम हिस्से होंगे।
बुलेट ट्रेन और इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स
मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट भारत-जापान सहयोग का सबसे बड़ा प्रतीक है। इस प्रोजेक्ट में जापानी तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है और इससे भारत में हाई-स्पीड रेल नेटवर्क का नया दौर शुरू होगा। रोजगार, औद्योगिक विकास और आधुनिक परिवहन व्यवस्था इस परियोजना से जुड़े मुख्य लाभ हैं।
व्यापार और निवेश समझौते
भारत और जापान के बीच द्विपक्षीय व्यापार लगातार बढ़ रहा है। दोनों देशों की कोशिश है कि छोटे और मध्यम उद्योगों (MSME) को भी इस साझेदारी से फायदा मिले। साथ ही सप्लाई चेन रेजिलिएंस इनिशिएटिव (SCRI) के तहत भी नए समझौते हो सकते हैं। इससे भारत को एशियाई व्यापार में और मज़बूती मिलेगी।
“पधारो म्हारो देश” 🙏🇮🇳
Watch the special welcome of PM Modi in Japan. 🇯🇵 pic.twitter.com/1qqf8zX11T— BJP (@BJP4India) August 29, 2025
सांस्कृतिक और शैक्षिक सहयोग
दोनों देशों के बीच शिक्षा और संस्कृति भी रिश्तों को गहराई देते हैं। छात्र विनिमय कार्यक्रम, योग और आयुर्वेद को जापान में लोकप्रिय बनाने के प्रयास इस यात्रा में प्रमुख चर्चा का हिस्सा रहेंगे। जापान में रह रहे भारतीय समुदाय ने भी इस यात्रा पर उत्साह प्रकट किया है।
वैश्विक स्तर पर भारत-जापान की साझेदारी
भारत और जापान न सिर्फ एशिया बल्कि पूरे विश्व में अहम भूमिका निभा रहे हैं। G7, QUAD और संयुक्त राष्ट्र जैसे मंचों पर दोनों देशों की साझेदारी ने वैश्विक मुद्दों—जैसे जलवायु परिवर्तन और सस्टेनेबल डेवलपमेंट—को नई दिशा दी है। भारत और जापान की यह नज़दीकी आने वाले समय में अंतरराष्ट्रीय राजनीति में बड़ा प्रभाव डाल सकती है।
निष्कर्ष – यात्रा से संभावित परिणाम
प्रधानमंत्री मोदी की जापान यात्रा केवल एक राजनयिक मुलाकात नहीं बल्कि दोनों देशों के बीच बहुआयामी सहयोग की नींव है। रक्षा, तकनीक, व्यापार और संस्कृति जैसे क्षेत्रों में यह साझेदारी भविष्य में और मज़बूत होगी।
पाठकों के लिए सवाल यही है—क्या यह यात्रा भारत-जापान संबंधों को उस स्तर तक ले जाएगी जिससे एशिया और दुनिया में स्थिरता और विकास को नई गति मिले?




















