नेपाल में बढ़ता युवा असंतोष
नेपाल इस समय गहरी राजनीतिक और सामाजिक उथल-पुथल से गुजर रहा है। राजधानी काठमांडू समेत कई शहरों में Gen Z युवाओं का विरोध प्रदर्शन लगातार तेज़ हो रहा है। संसद घेराव, सड़कों पर मार्च और सोशल मीडिया पर आक्रोश – ये सब मिलकर सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन चुके हैं।
इस बीच हालात काबू से बाहर होते देख नेपाल सरकार ने काठमांडू में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगा दिया है। वहीं भारत ने भी नेपाल में रह रहे अपने नागरिकों को सतर्क रहने की एडवाइजरी जारी की है।
काठमांडू में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू
नेपाल सरकार ने हालात को काबू में रखने के लिए कर्फ्यू लागू करने का बड़ा कदम उठाया है। संसद परिसर और उसके आसपास के इलाकों में युवाओं और सुरक्षा बलों के बीच झड़पें लगातार बढ़ रही थीं।
- सेना और आर्म्ड पुलिस फोर्स को तैनात किया गया है।
- कई प्रमुख चौक और सड़कें पूरी तरह से बंद कर दी गई हैं।
- स्थानीय नागरिकों को बाहर निकलने की अनुमति नहीं है।
लोगों का कहना है कि अचानक कर्फ्यू से खाने-पीने और जरूरी सामान की दिक्कत बढ़ गई है। दुकानों और बाजारों के बंद होने से आम जनता परेशान है।
Nepal Unrest Second Day
Protestors blocking roads outside the Nepal Parliament in Kathmandu.
Nepal Police/APF deployed in large numbers.
Curfew imposed since 8:30am yet again.
Protestors say won’t stop until PM KP Sharma Oli resigns for corruption.
Social Media ban lifted. pic.twitter.com/KUhntzZLCh
— Aditya Raj Kaul (@AdityaRajKaul) September 9, 2025
भारतीय नागरिकों के लिए दिल्ली की एडवाइजरी
भारत सरकार ने नेपाल में मौजूद अपने नागरिकों के लिए आधिकारिक चेतावनी जारी की है।
- विदेश मंत्रालय ने कहा है कि भारतीय नागरिक भीड़-भाड़ वाली जगहों से दूर रहें।
- अनावश्यक यात्रा फिलहाल स्थगित करने की सलाह दी गई है।
- अगर कोई भारतीय पहले से नेपाल में है तो वह स्थानीय प्रशासन और भारतीय दूतावास से संपर्क बनाए रखे।
भारत सरकार ने यह कदम इसलिए उठाया क्योंकि नेपाल में स्थिति लगातार अस्थिर बनी हुई है और हिंसा की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं।
सोशल मीडिया बैन और उसका असर
नेपाल सरकार ने हाल ही में सोशल मीडिया पर अस्थायी प्रतिबंध लगाया था। सरकार का कहना है कि सोशल मीडिया पर फैल रही अफवाहें और भड़काऊ पोस्ट प्रदर्शन को और हिंसक बना रही हैं।
लेकिन युवाओं का कहना है कि यह कदम उनकी अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हमला है।
- छात्रों और एक्टिविस्ट्स ने वैकल्पिक प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल शुरू कर दिया है।
- बैन के बावजूद विरोध प्रदर्शन को रोकने में सफलता नहीं मिली है।
- इससे लोगों को सही सूचना तक पहुंचने में कठिनाई हो रही है।
Kathmandu Nepal Protest Update 🚨
14 Died
170+ injured
Parliament gate vandalised
Shoot at site order applied
Army has been deployed
High level meetings are going onNepal’s Youth (Gen-Z) are protesting against the 26 Social media apps ban and corruption in country.
Videos 📷 pic.twitter.com/7h9DHt9cbo
— Mayank (@mayankcdp) September 8, 2025
आंदोलन की जड़ – Gen Z की मांगें
नेपाल का यह आंदोलन सिर्फ एक राजनीतिक मुद्दा नहीं है, बल्कि नई पीढ़ी की निराशा और असंतोष की झलक भी है।
- युवाओं का आरोप है कि सरकार पारदर्शिता नहीं रख रही।
- बेरोज़गारी तेजी से बढ़ रही है और अवसर कम हो रहे हैं।
- वे लोकतांत्रिक अधिकारों और सत्ता में जवाबदेही की मांग कर रहे हैं।
कई छात्र संगठनों ने संसद का घेराव किया है और सरकार से सीधी बातचीत की मांग रखी है।
अब तक की घटनाएं और मौतों का आंकड़ा
विभिन्न रिपोर्ट्स के मुताबिक, हालिया झड़पों में कम से कम 19 लोगों की मौत हो चुकी है।
- कई दर्जन लोग घायल बताए जा रहे हैं।
- अस्पतालों में इलाज की भारी दबाव की स्थिति है।
- दर्जनों प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया है।
यह आंकड़ा नेपाल के हालात की गंभीरता को साफ दर्शाता है।
नेपाल सरकार और प्रधानमंत्री का बयान
नेपाल के प्रधानमंत्री KP ओली ने इस पूरे प्रकरण पर बयान जारी करते हुए कहा कि विरोध प्रदर्शनों के पीछे “भ्रम और गलतफहमियां” हैं।
- सरकार का कहना है कि सुधार के लिए कदम उठाए जा रहे हैं।
- लेकिन विपक्ष ने सरकार पर युवाओं की आवाज़ दबाने का आरोप लगाया है।
- संसद में इस मुद्दे पर तीखी बहस जारी है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और भारत-नेपाल संबंध
नेपाल की मौजूदा स्थिति पर पड़ोसी देश भी करीबी नज़र बनाए हुए हैं।
- संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने शांति बनाए रखने की अपील की है।
- भारत के लिए यह स्थिति संवेदनशील है क्योंकि नेपाल उसके रणनीतिक हितों से जुड़ा है।
- व्यापार, पर्यटन और सीमा सुरक्षा पर भी इसका सीधा असर पड़ सकता है।
यहां अंतरराष्ट्रीय रणनीति और आर्थिक दबावों पर नजर डालते हुए, हाल ही में अमेरिकी ट्रेज़री प्रमुख ने तेल खरीददार देशों पर टैरिफ लगाने का सुझाव दिया, जिससे रूस की आर्थिक स्थिति और खराब हो सकती है। इस पर पूरी जानकारी के लिए पढ़ें – रूसी अर्थव्यवस्था पर संकट: अमेरिकी ट्रेज़री प्रमुख की चेतावनी।
आम जनता की मुश्किलें और जमीनी हालात
कर्फ्यू और विरोध प्रदर्शनों के चलते आम नागरिकों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।
- दुकानों, स्कूलों और दफ्तरों को बंद करना पड़ा है।
- परिवहन सेवाएं ठप हो गई हैं।
- रोज़गार और छोटे कारोबार पर बड़ा असर पड़ा है।
नेपाल में पर्यटन भी प्रभावित हुआ है, जो देश की अर्थव्यवस्था के लिए अहम क्षेत्र माना जाता है।
आगे की राह
नेपाल में Gen Z का यह आंदोलन सिर्फ एक विरोध नहीं, बल्कि नई पीढ़ी की बदलते समाज और राजनीति से जुड़ी अपेक्षाओं की झलक है।
सरकार और युवाओं के बीच संवाद ही इस संकट का सही समाधान हो सकता है।
पाठकों से सवाल:
आपकी राय में क्या नेपाल सरकार को तुरंत युवाओं की मांगों पर कदम उठाना चाहिए, या हालात को काबू करने के लिए कर्फ्यू और प्रतिबंध ही सही रास्ता है? अपनी राय नीचे कमेंट में ज़रूर लिखें।