भारत में उपराष्ट्रपति का पद केवल राज्यसभा के सभापति तक सीमित नहीं है, बल्कि यह संवैधानिक ढांचे का एक महत्वपूर्ण स्तंभ भी है। उपराष्ट्रपति संसद की कार्यवाही को सुचारु रूप से चलाने में अहम भूमिका निभाते हैं। इस बार का चुनाव खास है क्योंकि NDA और INDIA गठबंधन के बीच सीधी टक्कर देखने को मिल रही है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह मुकाबला संसद की मौजूदा राजनीतिक स्थिति का आइना भी साबित होगा। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा पहला वोट डालना इस चुनाव की गंभीरता और महत्व को और बढ़ाता है।
संसद भवन में मतदान की शुरुआत
आज सुबह संसद भवन में उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान की प्रक्रिया शुरू हुई। सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मतदान केंद्र पहुंचे और उन्होंने वोट डालकर प्रक्रिया का आगाज़ किया।
मतदान के दौरान सुरक्षा और अनुशासन पर विशेष ध्यान दिया गया। सांसदों के लिए निर्धारित कक्ष बनाए गए, जहाँ वे अपना वोट डालने के लिए कतारबद्ध दिखाई दिए। संसद भवन परिसर में चहल-पहल और मीडिया की उत्सुकता साफ झलक रही थी।
Voted in the 2025 Vice President election. pic.twitter.com/soCoJJmHSI
— Narendra Modi (@narendramodi) September 9, 2025
उम्मीदवारों पर एक नज़र: NDA बनाम INDIA गठबंधन
इस बार के चुनाव में मुकाबला NDA के उम्मीदवार सी.पी. राधाकृष्णन और INDIA गठबंधन के उम्मीदवार बी. सुधर्शन रेड्डी के बीच है।
- सी.पी. राधाकृष्णन – लंबे समय से बीजेपी से जुड़े रहे और संगठन में कई महत्वपूर्ण पदों पर काम कर चुके हैं। उनका अनुभव और प्रधानमंत्री मोदी से नज़दीकी उन्हें NDA का मजबूत चेहरा बनाता है।
- बी. सुधर्शन रेड्डी – विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार हैं। वे न्यायिक पृष्ठभूमि से आते हैं और उनकी पहचान निष्पक्ष छवि वाले नेता के रूप में है।
दोनों उम्मीदवारों की रणनीतियाँ अलग-अलग हैं। NDA बहुमत के आधार पर जीत का दावा कर रही है, जबकि INDIA गठबंधन इसे विचारधारा की लड़ाई के रूप में पेश कर रहा है।
राजनीतिक समीकरण और संभावित नतीजे
संसद के दोनों सदनों की ताकत को देखते हुए NDA की स्थिति फिलहाल मजबूत दिखाई देती है। हालांकि, विपक्ष भी इस चुनाव को प्रतीकात्मक जीत के तौर पर देख रहा है। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यदि विपक्ष के उम्मीदवार को अपेक्षा से अधिक वोट मिलते हैं, तो यह आगामी लोकसभा चुनावों के लिए संकेतक हो सकता है।
यहां यह भी दिलचस्प है कि संसद में हो रहे इस मतदान का असर आर्थिक नीतियों और भविष्य की दिशा पर भी पड़ेगा। हाल ही में देशभर में चर्चा हुई थी कि क्या GST दरों में कटौती से अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा। इस पर विस्तृत जानकारी आप यहाँ पढ़ सकते हैं। ऐसे मुद्दे संसद के समीकरणों से गहराई से जुड़े होते हैं।
ऐतिहासिक संदर्भ: पिछले उपराष्ट्रपति चुनावों की झलक
भारत में अब तक कई उपराष्ट्रपति निर्विरोध चुने गए हैं, जबकि कई बार चुनाव में बेहद करीबी मुकाबला हुआ है। पिछले कुछ दशकों में यह पद सत्ता और विपक्ष की ताकत का महत्वपूर्ण संकेतक माना जाता रहा है।
2017 और 2022 के चुनावों में भी यही देखा गया कि किस प्रकार गठबंधन की मजबूती ने नतीजों को प्रभावित किया।
सदन के भीतर माहौल और सांसदों की प्रतिक्रियाएँ
मतदान के दौरान संसद का माहौल उत्साहित लेकिन संयमित रहा। सांसदों ने अपने-अपने दल के उम्मीदवारों के लिए समर्थन जताया। कुछ नेताओं ने मीडिया से कहा कि यह चुनाव केवल व्यक्ति का नहीं बल्कि विचारधारा का भी चुनाव है।
सोशल मीडिया पर भी यह मुद्दा ट्रेंड कर रहा है। ट्विटर और यूट्यूब पर लाइव अपडेट्स के साथ-साथ आम जनता भी चर्चा कर रही है।
#WATCH | Delhi: Prime Minister Narendra Modi cast his vote for the Vice Presidential election at the Parliament House this morning.
(Video: DD News) pic.twitter.com/3cxQJNJSrm
— ANI (@ANI) September 9, 2025
परिणाम कब आएंगे और आगे की प्रक्रिया
मतदान समाप्त होने के बाद वोटों की गिनती की जाएगी और देर शाम तक नतीजों की घोषणा हो सकती है। नया उपराष्ट्रपति पदभार ग्रहण करने के लिए शपथ समारोह का आयोजन राष्ट्रपति भवन में होगा।
संविधान के अनुसार, उपराष्ट्रपति का चुनाव लोकतांत्रिक प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इस बार का चुनाव इसे और भी रोचक बना रहा है।
लोकतांत्रिक प्रक्रिया की मजबूती
उपराष्ट्रपति चुनाव केवल संवैधानिक औपचारिकता नहीं है, बल्कि यह भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया की मजबूती का प्रतीक है। आज जब संसद भवन में प्रधानमंत्री मोदी ने पहला वोट डाला, तो यह संदेश भी गया कि लोकतंत्र में हर वोट की अहमियत है।
अब देखना यह है कि इस मुकाबले में कौन आगे निकलता है।
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