प्रधानमंत्री ने कतर अमीर से फोन पर बातचीत करते हुए कहा कि किसी भी देश की संप्रभुता का उल्लंघन अस्वीकार्य है। दोहा पर हाल ही में हुए इजरायली हवाई हमले को भारत ने अंतरराष्ट्रीय कानून और भाईचारे की भावना के खिलाफ बताया। यह बयान भारत की विदेश नीति के रुख को स्पष्ट करता है, जहाँ भारत हमेशा शांति और संवाद का समर्थन करता रहा है।
दोहा पर इजरायली हमला: क्या है पूरा मामला?
हाल ही में दोहा को निशाना बनाते हुए हुए हवाई हमलों ने वैश्विक राजनीति को हिला दिया। पश्चिम एशिया में यह कदम नया तनाव पैदा कर रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि राजधानी शहर पर हमला केवल कतर ही नहीं बल्कि पूरे क्षेत्र की सुरक्षा को चुनौती देता है।
इजरायल के इस कदम ने एक बार फिर से उस बहस को तेज कर दिया है कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों में सैन्य कार्रवाई और राजनयिक संवाद के बीच संतुलन कैसे बनाया जाए।
पीएम मोदी और कतर अमीर की बातचीत
प्रधानमंत्री ने अपनी बातचीत में साफ कहा कि Violation of sovereignty किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं है। भारत ने यह भी स्पष्ट किया कि भाईचारे वाले देशों की सुरक्षा और सम्मान भारत के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता है।
कतर अमीर ने भी भारत की इस एकजुटता और समर्थन की सराहना की। दोनों नेताओं ने क्षेत्र में शांति बहाल करने के लिए कूटनीतिक प्रयासों पर जोर दिया।
भारत-कतर संबंधों पर असर
भारत और कतर के बीच ऊर्जा, व्यापार और प्रवासी भारतीय समुदाय को लेकर गहरे संबंध हैं। भारत का यह बयान सिर्फ एक औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं है, बल्कि एक मजबूत संदेश है कि किसी भी तरह की आक्रामकता को भारत चुपचाप नहीं देखेगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस घटना से दोनों देशों की कूटनीतिक समझ और भी मजबूत होगी।
Today, the Prime Minister condemned Israel’s strikes on Doha, which are a flagrant violation of Qatar’s sovereignty. I agree that this action risks setting back negotiations for a ceasefire, the only way we will achieve lasting peace. pic.twitter.com/WcCKtPn9Ri
— Mary Creagh CBE MP (@MaryCreagh_) September 10, 2025
अंतरराष्ट्रीय राजनीति में तनाव
इस घटना ने न केवल कतर और इजरायल के बीच तनाव बढ़ाया है बल्कि वैश्विक राजनीति को भी प्रभावित किया है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस बात से चिंतित है कि अगर ऐसे हमले जारी रहे तो यह संघर्ष और व्यापक हो सकता है।
कई देश क्षेत्र में शांति बनाए रखने के लिए सक्रिय भूमिका निभाने पर जोर दे रहे हैं।
72 घंटे में कई देशों पर हमले
पिछले कुछ दिनों में इजरायल द्वारा आसपास के कई देशों को निशाना बनाए जाने की खबरें सामने आई हैं। यह स्थिति पूरे क्षेत्र की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करती है।
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि अगर यह सिलसिला जारी रहा तो यह पूरे पश्चिम एशिया में अस्थिरता पैदा कर सकता है।
भारत की विदेश नीति का संतुलन
भारत हमेशा से इजरायल और अरब देशों दोनों के साथ संतुलन साधने की कोशिश करता रहा है। एक ओर भारत की इजरायल से मजबूत तकनीकी और रक्षा साझेदारी है, वहीं दूसरी ओर अरब देशों से ऊर्जा और प्रवासी भारतीयों के हित जुड़े हुए हैं।
ऐसे में भारत का यह बयान यह दर्शाता है कि वह किसी भी स्थिति में शांति और संप्रभुता का उल्लंघन बर्दाश्त नहीं करेगा।
जनता और विशेषज्ञों की राय
सोशल मीडिया पर लोगों ने पीएम के इस कदम को सराहनीय बताया। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत ने समय रहते एक मजबूत संदेश देकर अपनी जिम्मेदारी निभाई है।
जनता की राय है कि भारत को आगे भी इसी तरह शांति और संवाद की आवाज बुलंद करनी चाहिए।
दक्षिण एशिया और मध्य पूर्व: जुड़ी हुई स्थितियाँ
इस घटना का असर केवल पश्चिम एशिया तक सीमित नहीं है। दक्षिण एशिया के लोग भी इसे गंभीरता से देख रहे हैं।
उदाहरण के लिए, हाल ही में नेपाल में विरोध प्रदर्शन और सेना की पेट्रोलिंग जैसी घटनाएँ दर्शाती हैं कि अस्थिरता का असर पूरे क्षेत्र पर पड़ सकता है। यह बताता है कि क्षेत्रीय स्थिरता के लिए कूटनीति और शांतिपूर्ण संवाद कितना आवश्यक है।
शांति और संवाद ही समाधान
भारत ने जिस तरह स्पष्ट और सशक्त शब्दों में इजरायल के कदम की निंदा की है, वह अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एक बड़ा संदेश है।
भविष्य में यह देखना होगा कि क्या इस तरह की कार्रवाई रुकती है या क्षेत्र और अधिक संघर्ष की ओर बढ़ता है।
भारत का रुख साफ है – किसी भी राष्ट्र की संप्रभुता सर्वोपरि है और शांति का रास्ता ही आगे बढ़ने का मार्ग है।
अब सवाल यह है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय कितनी मजबूती से इस दिशा में कदम बढ़ाता है।




















