एशिया कप 2025 के भारत-पाकिस्तान मैच के बाद एक छोटा-सा दृश्य अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में बदल गया। मैच खत्म होने के बाद खिलाड़ियों के बीच पारंपरिक हैंडशेक नहीं हुआ, और देखते ही देखते सोशल मीडिया पर आरोप-प्रत्यारोप की बाढ़ आ गई। पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (PCB) ने इसे खेल भावना के खिलाफ बताया, जबकि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने कई दिनों की चुप्पी तोड़ते हुए स्पष्ट कहा—“अगर इस पर कोई नियम ही नहीं है तो शिकायत का सवाल ही नहीं।” यह बयान न केवल विवाद का केंद्र बन गया बल्कि क्रिकेट जगत को यह सोचने पर मजबूर कर गया कि खेल भावना के प्रतीक माने जाने वाले हैंडशेक को लेकर क्या सचमुच कोई लिखित कानून होना चाहिए?
घटना का पूरा विवरण
भारत और पाकिस्तान के बीच हुए इस हाई-वोल्टेज मुकाबले में मैदान पर जबरदस्त रोमांच देखने को मिला। लेकिन मैच खत्म होने के बाद दर्शकों ने नोटिस किया कि खिलाड़ी आपस में हाथ नहीं मिला रहे हैं। आमतौर पर अंतरराष्ट्रीय मैचों के बाद दोनों टीमों का आपसी हैंडशेक एक परंपरा रही है। इस बार ऐसा न होना सोशल मीडिया पर तुरंत ट्रेंड करने लगा। कुछ प्रशंसक इसे भावनात्मक तनाव से जोड़ने लगे तो कुछ ने इसे दोनों देशों के राजनीतिक रिश्तों का असर बताया।
दर्शकों का कहना था कि खेल को राजनीति से ऊपर रखना चाहिए, जबकि कुछ लोगों ने खिलाड़ियों का बचाव करते हुए कहा कि यह एक स्वाभाविक निर्णय था और मैच की तीव्रता के बाद ऐसा होना कोई बड़ी बात नहीं। इस बहस ने धीरे-धीरे अंतरराष्ट्रीय मीडिया और क्रिकेट बोर्ड्स का ध्यान खींच लिया।
BCCI Breaks Silence On India-Pak ‘Handshake’ Row: “If There Is No Law…”https://t.co/TF0b3VKMrZ@cheerica pic.twitter.com/qeCCjuyFYs
— NDTV (@ndtv) September 16, 2025
BCCI की आधिकारिक प्रतिक्रिया
कई दिनों तक चुप रहने के बाद BCCI ने अंततः अपनी बात रखी। बोर्ड ने साफ कहा कि हैंडशेक को लेकर कोई लिखित कानून नहीं है, इसलिए इसे लेकर किसी भी प्रकार की शिकायत या कार्रवाई का सवाल नहीं उठता। बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मीडिया से बातचीत में स्पष्ट किया कि खिलाड़ी आपसी सम्मान बनाए रखते हैं, और खेल भावना केवल हाथ मिलाने तक सीमित नहीं होती।
BCCI का यह बयान एक तरह से उन आलोचनाओं का जवाब था जो भारतीय खिलाड़ियों पर लग रही थीं। बोर्ड ने यह भी दोहराया कि खिलाड़ियों की प्राथमिकता हमेशा टीम की गरिमा और खेल की मर्यादा को बनाए रखना है, लेकिन किसी अनिवार्य प्रोटोकॉल का पालन न होना नियम उल्लंघन नहीं कहा जा सकता।
PCB की आपत्ति और परिषद की भूमिका
दूसरी ओर, पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने इसे गंभीर मुद्दा मानते हुए एशियन क्रिकेट परिषद (ACC) और अंतरराष्ट्रीय परिषद से शिकायत की। PCB का कहना था कि हैंडशेक खेल भावना का बुनियादी हिस्सा है और इसे नज़रअंदाज़ करना क्रिकेट की परंपरा के खिलाफ है।
ACC ने प्रारंभिक स्तर पर कहा कि वह पूरे मामले को देख रही है, लेकिन अब तक किसी आधिकारिक कार्रवाई का संकेत नहीं दिया। ICC के सूत्रों के अनुसार, मैच रेफरी की रिपोर्ट में किसी प्रकार की ‘कोड ऑफ कंडक्ट’ का उल्लंघन दर्ज नहीं किया गया। इसका मतलब साफ है कि अंतरराष्ट्रीय नियमों के हिसाब से कोई ठोस आधार नहीं बनता।
खेल भावना और नियम
क्रिकेट में ‘स्पिरिट ऑफ क्रिकेट’ का जिक्र अक्सर होता है, लेकिन यह ज़्यादातर नैतिक दिशा-निर्देश हैं, न कि सख्त कानून। इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (ICC) की आचार संहिता में हैंडशेक का कोई अनिवार्य प्रावधान नहीं है। इसका अर्थ यह है कि खिलाड़ी मैच के अंत में यदि हाथ नहीं मिलाते तो इसे औपचारिक नियम उल्लंघन नहीं माना जा सकता।
इतिहास पर नज़र डालें तो पहले भी कई मौकों पर टीमें या खिलाड़ी हैंडशेक से परहेज़ कर चुके हैं—चाहे वह तीखी प्रतिस्पर्धा हो, सुरक्षा कारण हों या मैच का तनाव। क्रिकेट विशेषज्ञ मानते हैं कि खेल भावना केवल एक इशारे से नहीं मापी जा सकती; यह खिलाड़ियों के पूरे आचरण में झलकती है।
प्रशंसकों की प्रतिक्रियाएँ
इस विवाद ने सोशल मीडिया पर तूफ़ान खड़ा कर दिया। ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर #HandshakeControversy जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे। कुछ पूर्व खिलाड़ियों ने कहा कि ऐसे विवाद खेल को नुकसान पहुँचाते हैं, जबकि कई प्रशंसकों ने भारतीय खिलाड़ियों का समर्थन करते हुए कहा कि “हैंडशेक न करना कोई अपराध नहीं, भावना ही खेल की असली पहचान है।”
मीम्स और तंज़ के बीच कई लोग यह भी सवाल उठाते दिखे कि क्या क्रिकेट बोर्ड्स को ऐसे अनलिखे नियमों को लिखित रूप देना चाहिए, ताकि भविष्य में इस तरह की बहस दोबारा न उठे।
भविष्य की राह
अब सवाल उठता है कि आगे क्या होगा। एशियन क्रिकेट परिषद और ICC दोनों ही फिलहाल किसी कठोर कदम के मूड में नहीं दिख रहे। हालांकि, क्रिकेट कूटनीति को ध्यान में रखते हुए संभव है कि भविष्य में मैच के बाद खिलाड़ियों के आचरण को लेकर कुछ दिशानिर्देश तय किए जाएं।
भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट पहले से ही राजनीतिक और भावनात्मक संवेदनशीलता से जुड़ा रहता है। ऐसे में कोई भी नई गाइडलाइन दोनों देशों के रिश्तों पर भी असर डाल सकती है।
यही वह जगह है जहां हम पिछले विवादों की ओर भी झाँक सकते हैं। इसी तरह की बहस पर हमारी वेबसाइट पर पहले एक विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की गई थी, जिसे आप यहाँ विस्तार से पढ़ सकते हैं।
निष्कर्ष
पूरे विवाद से यही स्पष्ट होता है कि खेल भावना का मूल्य केवल औपचारिक इशारों तक सीमित नहीं है। BCCI का बयान यह संकेत देता है कि जब तक कोई आधिकारिक नियम नहीं बनता, तब तक ऐसे मामलों को व्यक्तिगत निर्णय के रूप में देखा जाना चाहिए।
क्रिकेट प्रेमियों के लिए यह सोचने का विषय है कि क्या हैंडशेक को अनिवार्य बनाना सही रहेगा या खिलाड़ियों को स्वतंत्र छोड़ देना चाहिए।
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