पाकिस्तान ने हाल ही में अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में एक बड़ी हवाई कार्रवाई (एयरस्ट्राइक) की। इस हमले का दावा था कि लक्षित व्यक्ति नूर वली महसूद, यानी Tehreek-e-Taliban Pakistan (TTP) का प्रमुख, मारा गया है।
लेकिन कुछ ही दिनों बाद सोशल मीडिया पर एक वीडियो सामने आया, जिसमें महसूद अपनी उपस्थिति की पुष्टि करता दिखाई दिया। “मैं ज़िंदा हूँ, अपने क्षेत्र में हूँ” — इस बयान के साथ पाकिस्तान के लिए पूरा ऑपरेशन सवालों के घेरे में आ गया।
पिछले हफ्ते के भीतर यह घटनाक्रम पाकिस्तान-अफगान सीमाओं पर छह दिन तक चले संघर्ष का कारण बना। इस बीच दोनों देशों के बीच अविश्वास और बढ़ गया।(पढ़ें संबंधित रिपोर्ट: Pakistan-Afghan Border Fight Ceasefire
Noor Wali Mehsud कौन है?
नूर वली महसूद का नाम अरब जगत से लेकर दक्षिण एशिया तक आतंक के पर्याय के रूप में जाना जाता है। टीटीपी का यह नेता 1978 में पाकिस्तान के दक्षिण वज़ीरिस्तान इलाके में पैदा हुआ था। धार्मिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद उसने मेड्रेसों में अध्यापन शुरू किया, लेकिन जल्द ही चरमपंथ की राह चुन ली।
महसूद ने अपना दूसरा नाम “अब्दुल मंसूर आसिम” रखा, जिसका वह धार्मिक संदर्भों में इस्तेमाल करता है।
2018 में जब टीटीपी के पूर्व सरगना की ड्रोन हमले में मौत हो गई, तब नूर वली महसूद को नया नेता बनाया गया। उसके नेतृत्व में इस संगठन ने न सिर्फ पुनर्जीवित होकर नए हमले किए, बल्कि उसने खुद को “फौजी रणनीतिकार” के रूप में स्थापित किया।
महसूद का मोटो है – पाकिस्तान पर हमला “इस्लामी इज़्जत और न्याय” की पुनर्स्थापना के लिए है।
🚨 TTP chief Noor Wali Mehsud appears in a new video reportedly filmed in the mountains of Khyber district, KP rejecting Pakistan’s claims that he was killed in Kabul.
He says their fight is against Pakistan from within their own soil, denying any links or support from… pic.twitter.com/Fz6FIdnMsN
— Wahida 🇦🇫 (@RealWahidaAFG) October 16, 2025
वह हमला जिसने सबकुछ बदल दिया
9 अक्टूबर 2025 को पाकिस्तान ने दावा किया कि काबुल में किए गए एक हाई-प्रिसीजन हमले में महसूद सहित कई टीटीपी लड़ाके मारे गए। यह कार्रवाई पाकिस्तान की ओर से चलाए गए “बॉर्डर सिक्योरिटी ऑपरेशन” का हिस्सा थी।
हालांकि, अफगानिस्तान ने इस कार्रवाई को अपनी संप्रभुता का उल्लंघन बताया और जवाबी फायरिंग शुरू कर दी। नतीजा — दोनों देशों के बीच छह दिन तक सीमा पर युद्ध जैसे हालात रहे।
लेकिन इस पूरी कहानी में मोड़ तब आया जब महसूद का एक वीडियो सामने आया। वीडियो में उसने कहा —
“जो मुझे मरा हुआ समझ रहे हैं, उन्हें जान लेना चाहिए कि मैं अपने क्षेत्र में सुरक्षित हूँ।”
यह संदेश पाकिस्तान के दावे को ध्वस्त करने वाला साबित हुआ।
पाकिस्तान-अफगानिस्तान के बीच नया टकराव
इस हमले के बाद दोनों देशों के संबंध अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए हैं। पाकिस्तान का आरोप है कि अफगान तालिबान, टीटीपी को पनाह और प्रशिक्षण दे रहा है, जबकि अफगान पक्ष का कहना है कि इस्लामाबाद अपनी असफल नीतियों का ठीकरा काबुल पर फोड़ रहा है।
इस संघर्ष में अब तक दर्जनों सैनिकों की जान जा चुकी है और सीमावर्ती क्षेत्र में आम नागरिकों को पलायन करना पड़ा है।
हालात इतने गंभीर हो गए कि अंततः सीज़फ़ायर की घोषणा करनी पड़ी — वह भी अंतरराष्ट्रीय दबाव के बाद।
इस संकट ने दोनों देशों के बीच वर्षों से चले आ रहे “भरोसे के संकट” को फिर उजागर कर दिया है। पाकिस्तान चाहता है कि अफगान तालिबान टीटीपी के खिलाफ सख्त कदम उठाए, जबकि काबुल इसे अपने आंतरिक मामलों में दखल मानता है।
Noor Wali की विचारधारा और नई रणनीति
महसूद खुद को धार्मिक विद्वान मानता है और कई बार कह चुका है कि उसकी लड़ाई किसी “कौम” से नहीं बल्कि “काफिर शासन” से है।
2017 में उसने अपनी किताब “Inquilaab Mehsud South Waziristan: Farangi Raj se Ameriki Samraj tak” लिखी, जिसमें उसने तालिबान के “जिहाद” को औपनिवेशिक इतिहास की निरंतरता के रूप में बताया।
उसका कहना है कि पाकिस्तान की सरकार पश्चिम के आदेशों पर चलती है और “शरीयत” आधारित शासन को रोक रही है।
महसूद की यह रणनीति टीटीपी को स्थानीय समर्थन दिलाने का जरिया बनी, खासकर पश्तून बेल्ट में जहां समाजिक असमानताएं और अपराध काफी गहराई तक बसे हुए हैं।
पाकिस्तान की घरेलू सुरक्षा और असंतुलन
2025 साल पाकिस्तान के लिए सुरक्षा मोर्चे पर सबसे कठिन साबित हुआ है। अब तक हजारों सुरक्षाकर्मी टीटीपी के हमलों में मारे जा चुके हैं।
आंतरिक राजनीति, कमजोर शासन, और सीमा पार कट्टरपंथ के कारण पाकिस्तान का सुरक्षा संतुलन लगातार बिगड़ रहा है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि केवल सैन्य कार्रवाई पर्याप्त नहीं; पाकिस्तान को अपनी नीति दोबारा परिभाषित करनी होगी — खासकर उन क्षेत्रों में जहां तालिबान विचारधारा को जमीन मिल रही है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
इस पूरे घटनाक्रम पर विश्व शक्तियों ने संयम बरतने की अपील की है। अमेरिका ने कहा कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान को युद्ध टालकर बातचीत करनी चाहिए।
भारत, रूस, ईरान और चीन जैसे देशों ने स्थिति पर करीबी नजर रखी है।
यहां तक कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भी इस तनाव को लेकर “क्षेत्र की स्थिरता के लिए खतरा” बताया गया।
उल्टा वार
Noor Wali Mehsud का ‘जिंदा’ सामने आना पाकिस्तान की कूटनीतिक और सैन्य दोनों ही रणनीतियों के लिए झटका बन गया है।
जिस स्ट्राइक को जीत का प्रतीक बताया जा रहा था, वही चाल पाकिस्तान के खिलाफ गई।
अब सवाल यह है — क्या यह हमला आतंकवाद पर प्रहार था या नई अस्थिरता की शुरुआत?
पाकिस्तान की सीमा पर फैला धुआं भले थम गया हो, लेकिन दोनों पक्षों के बीच अविश्वास की आग अभी भी सुलग रही है।