होली, रंगों और प्रेम का त्योहार, पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन वृंदावन और मथुरा की होली की बात ही अलग होती है। यह सिर्फ़ एक उत्सव नहीं है; यह खुशी की धड़कन है जो उन पवित्र गलियों में धड़कती है जहाँ भगवान कृष्ण ने कभी होली खेली थी। होली तो पूरे भारत में जोश के साथ मनाया जाता है पर वृंदावन और मथुरा में मनाई गई होली का अपना एक अलग महत्व है. मथुरा और वृंदावन की होली बहुत ही प्रसिद्ध है और इसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं. अगर आप भी इस होली के मौके पर कहीं जाना चाहते हैं तो मथुरा-वृंदावन जरूर जाना चाहिए।
श्रीकृष्ण की नगरी मथुरा में होली का भव्य उत्सव शुरू हो चुका है। शनिवार को द्वारिकाधीश मंदिर से इस उत्सव का शुभारंभ हुआ, जो पूरे मार्च तक चलेगा।
मथुरा-वृंदावन और ब्रज की होली के उत्सव का कोई तोड़ नहीं है. यहां के बरसाना की लठमार होली से लेकर रंगभरी एकादशी, लड्डू मार होली से लेकर फूलों की होली विश्व प्रसिद्ध है।
वृंदावन और मथुरा में होली उत्सव 2025
2025 में होली का पर्व 13 और 14 मार्च को मनाया जाएगा। 7 मार्च से होलाष्टक की शुरुआत हो चुकी है। बारसाना, नंदगांव और वृंदावन की होली अपने अनोखे अंदाज के लिए जानी जाती है।
07 मार्च 2025: नंदगांव में फाग आमंत्रण उत्सव आयोजित होगा, जिसमें होली खेलने के लिए सखियों को बुलाने की परंपरा निभाई जाती है। इसी दिन बरसाना के श्रीराधारानी मंदिर में लड्डू मार होली खेली जाएगी।
08 मार्च बरसाना में लट्ठमार होली खेली जाएगी।
10 मार्च यानी रंगभरी एकादशी के दिन बांके बिहारी मंदिर और श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर
में रंगभरी होली खेली जाएगी।
11 मार्च को गोकुल के रमणरेती में होली का उत्सव मनाया जाएगा।
13 मार्च को होलिका दहन होगा।
14 मार्च 2025: धुलेंडी के दिन मथुरा, वृंदावन, नंदगांव और बरसाना में धूमधाम से रंगों की होली खेली जाएगी। द्वारिकाधीश मंदिर में टेसू के फूलों और अबीर-गुलाल से होली का आयोजन होगा।
15 मार्च 2025 को बलदेव दाऊजी के मंदिर में हुरंगा आयोजित होगा।
16 मार्च 2025 को नंदगांव में हुरंगा की धूम देखने को मिलेगी।
22 मार्च 2025: वृंदावन के रंगनाथ जी मंदिर में होली महोत्सव का समापन होगा, जहां विशेष पूजा-अर्चना के साथ उत्सव का अंत होगा।
वृंदावन में होली के अनोखे रंग
वृंदावन में बांके बिहारी मंदिर में रंगों की जगह फूलों की पंखुड़ियों से होली खेली जाती है। यह आयोजन मुख्य होली उत्सव से कुछ दिन पहले होता है और भक्ति गीतों और नृत्य के साथ उत्सव का दिव्य अनुभव प्रदान करता है।
रंगभरनी एकादशी वृंदावन में होली की शुरुआत का प्रतीक है, जहां भगवान कृष्ण की मूर्तियों पर रंगों की वर्षा की जाती है। इस दिव्य उत्सव में भाग लेने के लिए बड़ी संख्या में भक्त एकत्रित होते हैं।
मथुरा वृंदावन की होली राधा गोपीनाथ मंदिर में विधवाओं की होली के साथ चमकती है, जो एक दिल को छू लेने वाला नजारा है। सफ़ेद साड़ियों में सजी विधवाएँ, जो कभी मौज-मस्ती से दूर रहती थीं, अब गुलाल उड़ाती हैं और कृष्ण की धुनों पर झूमती हैं, उनके चेहरे खुशी से चमकते हैं।
यहाँ की होली को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी जाना जाता है, क्योंकि यह केवल रंगों से भरी नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक यात्रा भी है।
मथुरा में होली उत्सव
मथुरा वृंदावन होली मथुरा के मंदिरों में जीवंत हो उठती है, पवित्र जयकारों से गूंज उठती है। द्वारकाधीश पर पीले रंग का गुलाल उड़ता है, जबकि पुजारी पानी छिड़कते हैं, भीड़ के साथ-साथ ठहाके लगाते हैं।
होली की पूर्व संध्या पर मथुरा के द्वारकाधीश मंदिर में भजन, नृत्य और रंग खेलने के साथ भव्य उत्सव मनाया जाता है। मंदिर भक्ति और उत्सव का केंद्र बन जाता है।
मथुरा की गलियों में गोपियों और ग्वालों की होली का मनोरम दृश्य देखने को मिलता है, जिसमें श्रद्धालु और स्थानीय लोग कृष्ण की लीलाओं का आनंद लेते हैं।
बरसाना और नंदगांव की लट्ठमार होली
बरसाना की लड्डू मार होली बेहद खास होती है। इसे देखने और इसमें भाग लेने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। यह उत्सव श्री राधारानी मंदिर में मनाया जाता है, जहां भक्तों पर लड्डू बरसाए जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि जिसे यह लड्डू लगते हैं, वह खुद को सौभाग्यशाली मानता है और इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करता है।
वृंदावन की होली विश्वभर में प्रसिद्ध है और इसे बेहद अनोखे और भव्य तरीके से मनाया जाता है। वृंदावन,मथुरा और बरसाना क्षेत्र की होली पूरे भारत में सबसे खास मानी जाती है
होली महोत्सव की तिथियां 👇💚💛🩵❤️ pic.twitter.com/Ec2Y0OTp5N— 🌺 Sucheta 🌺🇮🇳 (@SuchetaSagar) March 3, 2025
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार कृष्ण जी राधा रानी से मिलने बरसाना पहुंचे, तो राधा जी और सखियों को चिढ़ाने लगे। उनके इस व्यवहार को देख राधा जी और उनकी संग की सखियों ने कृष्ण जी और ग्वालों को लाठी से पीटते हुए दौड़ाने लगी। इस तरह उन्होंने सभी को सबक सिखाया। ऐसी मान्यता है कि तभी से बरसाना और नंदगांव में लट्ठमार होली की शुरुआत हुई।
लट्ठमार होली के दिन बरसाना की सखियां नंदगांव के ग्वालों पर लाठियां बरसाती हैं। इस दौरान वह अपना बचाव ढाल के द्वारा करते हैं। साथ ही गीत, पद-गायन की परंपरा को भी निभाया जाता है।
होली का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व
वृंदावन और मथुरा में होली केवल रंगों का खेल नहीं है, बल्कि यह राधा-कृष्ण के प्रेम और भक्ति का प्रतीक भी है। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत और प्रेम व सौहार्द का संदेश देता है। यहाँ होली के दौरान संगीत, भजन, कीर्तन और श्रीकृष्ण की लीलाओं का मंचन किया जाता है, जिससे पूरे वातावरण में आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होता है।
यहाँ आकर आप रंगों, संगीत, नृत्य और भक्ति से भरपूर इस त्योहार का भरपूर आनंद उठा सकते हैं।
तो तैयार हो जाइए 2025 की वृंदावन और मथुरा की अद्भुत होली के लिए!