उत्तराखंड के उत्तरकाशी ज़िले में 5 अगस्त 2025 की रात एक भयावह हादसा हुआ। धाराली गांव में अचानक भारी बादल फटने से भीषण बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए। देखते ही देखते गंगा की सहायक नदी भागीरथी में पानी का स्तर इतना बढ़ गया कि आसपास के कई घर और खेत जलमग्न हो गए। प्रशासन की रिपोर्ट के अनुसार अब तक 6 लोगों की मृत्यु हो चुकी है, जबकि 10 से अधिक लोग लापता हैं।
इस आपदा के चलते धाराली और उसके आसपास के क्षेत्रों में अफरा-तफरी मच गई। कई लोगों के मकान बह गए और रातभर लोग सुरक्षित स्थानों की ओर भागते रहे। गांवों में बिजली और पानी की आपूर्ति पूरी तरह बाधित हो गई।
No Roads Lead to Harsil Tonight.
Landslides and Falling Boulders have made it impossible for rescuers to reach Dharali. 4 choppers are on standby in Chandigarh ready to take off as soon as the weather permits. #UttarakhandFlashFlood pic.twitter.com/uhiI2abpx8
— Shreya Dhoundial (@shreyadhoundial) August 5, 2025
🏔️ हिमाचल प्रदेश में हालात बिगड़े
उत्तराखंड के बाद अब हिमाचल प्रदेश भी प्रकृति के कहर से अछूता नहीं रहा। मंडी, कुल्लू और शिमला ज़िलों में मूसलधार बारिश के चलते स्थिति चिंताजनक हो गई है।
शिमला को चंडीगढ़ से जोड़ने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग-5 (NH-5) कई स्थानों पर भारी भूस्खलन के कारण पूरी तरह बंद हो गया है। हज़ारों यात्री बीच रास्ते में फंसे हुए हैं। सड़क पर भारी कीचड़, चट्टानों और पेड़ों के गिरने के कारण क्लियरेंस ऑपरेशन में बाधा आ रही है।
🚨 रेस्क्यू और राहत अभियान
आपदा की गंभीरता को देखते हुए केंद्र और राज्य सरकारें हरकत में आ गई हैं। NDRF (राष्ट्रीय आपदा मोचन बल), SDRF, सेना और स्थानीय प्रशासन ने तुरंत राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिया है।
अब तक 200 से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। हेलीकॉप्टरों की मदद से दुर्गम गांवों में फंसे लोगों को निकालने का काम जारी है। राहत सामग्री – जैसे राशन, पीने का पानी और दवाइयाँ – हवाई मार्ग से पहुंचाई जा रही हैं।
Kalka Shimla National Highway Closed due to Landslide at Chakki Mod Near Parwanoo. It Will take two hours to Open It.
@solanpolice #HimachalPradesh #Landslide #shimla pic.twitter.com/VsmBGKtACg— Vinod Katwal (@Katwal_Vinod) August 6, 2025
☎️ पीएम मोदी और सीएम धामी की प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से फ़ोन पर बात कर स्थिति की जानकारी ली। पीएम ने हर संभव मदद का आश्वासन देते हुए कहा कि केंद्र सरकार राज्य के साथ खड़ी है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी ट्वीट कर घटना पर दुख जताया और NDRF की टीमों को तुरंत रवाना करने का आदेश दिया। सीएम धामी ने पीड़ित परिवारों को ₹4 लाख की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है।
🌩️ मौसम विभाग की चेतावनी और अलर्ट
भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने अगले 48 घंटों के लिए रेड अलर्ट जारी किया है। उत्तराखंड, हिमाचल और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में भारी से बहुत भारी बारिश की संभावना जताई गई है।
लोगों को नदी किनारे, नालों और पहाड़ी क्षेत्रों से दूर रहने की सलाह दी गई है। साथ ही, यात्रियों से अपील की गई है कि अनावश्यक यात्रा से बचें और स्थानीय प्रशासन के निर्देशों का पालन करें।
👥 स्थानीय लोगों की आपबीती
धाराली गांव के एक बुजुर्ग निवासी ने रोते हुए कहा,
“पिछले 70 साल में ऐसा तूफान नहीं देखा। सब कुछ बह गया।”
एक परिवार की महिला सदस्य ने बताया कि उनके दो बच्चे और पति अभी तक लापता हैं।
“रातभर चीख-पुकार मची रही। बच्चों की किताबें, राशन – सब बह गया,” उन्होंने कहा।
कई गांवों में बिजली और मोबाइल नेटवर्क पूरी तरह ठप हो चुके हैं, जिससे संपर्क साधना मुश्किल हो गया है।
🏗️ सरकार की तैयारियाँ और योजनाएं
सरकार की तैयारियाँ और योजनाएं
उत्तराखंड और हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्यों में बार-बार हो रही आपदाओं को देखते हुए सरकार ने आपातकालीन बजट और योजनाओं पर काम तेज कर दिया है।
- डिजास्टर मैनेजमेंट फंड से विशेष बजट जारी किया गया है।
- मानसून से पहले अर्ली वार्निंग सिस्टम लगाने पर ज़ोर दिया जा रहा है।
- भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों की सड़क व पुल मरम्मत योजना शुरू की गई है।
इसके अलावा, हाल ही में भारत, अमेरिका और रूस के बीच व्यापारिक और कूटनीतिक रिश्तों को लेकर भी चर्चा तेज़ हुई है, जिसका प्रभाव अंतरराष्ट्रीय आपदा प्रबंधन सहयोग पर भी पड़ सकता है। इस विषय में विस्तार से पढ़ें हमारा विशेष लेख –
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🌍 भविष्य की रणनीति: जलवायु परिवर्तन की भूमिका
विशेषज्ञों का मानना है कि पहाड़ी क्षेत्रों में प्राकृतिक आपदाओं की बढ़ती आवृत्ति के पीछे सबसे बड़ा कारण जलवायु परिवर्तन है।
- बारिश के पैटर्न में असामान्य बदलाव
- ग्लेशियरों का तेज़ी से पिघलना
- वनों की कटाई और अनियंत्रित शहरीकरण
इन कारणों से हर साल मानसून में बाढ़, भूस्खलन और बादल फटने की घटनाएं बढ़ रही हैं। विशेषज्ञों का सुझाव है कि अब समय आ गया है जब हमें “सस्टेनेबल डेवलपमेंट” की दिशा में गंभीरता से सोचना होगा। पहाड़ों में निर्माण कार्य के लिए सख्त गाइडलाइन बनानी होंगी ताकि भविष्य में नुकसान कम से कम हो।
🔚 निष्कर्ष
उत्तराखंड और हिमाचल की ये घटनाएं हमें प्रकृति के प्रति सजग और जिम्मेदार बनने की चेतावनी देती हैं। सिर्फ राहत कार्यों पर ध्यान देना काफी नहीं, अब दीर्घकालिक समाधान पर काम करना ज़रूरी है।