दिल्ली में आवारा कुत्तों का मुद्दा लंबे समय से चर्चा में रहा है। आए दिन ऐसे मामले सामने आते हैं जिनमें स्थानीय लोग, खासकर बच्चे और बुज़ुर्ग, इनसे परेशान रहते हैं। इसी पृष्ठभूमि में सुप्रीम कोर्ट में इस विषय पर सुनवाई चल रही है। कोर्ट के फ़ैसले से पहले ही दिल्ली नगर निगम (MCD) ने बड़ा कदम उठाते हुए आक्रामक और बीमार आवारा कुत्तों को पकड़ने का आधिकारिक आदेश जारी कर दिया है।
आदेश की मुख्य बातें
MCD ने साफ किया है कि इस अभियान का उद्देश्य हर आवारा कुत्ते को हटाना नहीं है, बल्कि उन कुत्तों को पकड़ना है जो आक्रामक व्यवहार दिखाते हैं या जिनकी तबीयत खराब है और जिनसे इंसानों को खतरा हो सकता है। आदेश के अनुसार, संबंधित विभागों को निर्देश दिया गया है कि वे तत्काल प्रभाव से टीमों का गठन करें और चिन्हित इलाकों में कार्रवाई शुरू करें।
तीन-स्तरीय कार्ययोजना
MCD की कार्ययोजना को तीन चरणों में बाँटा गया है। पहले चरण में सबसे खतरनाक और आक्रामक कुत्तों को पकड़ने पर ज़ोर होगा। इन कुत्तों की पहचान स्थानीय निवासियों और RWA की मदद से की जाएगी।
दूसरे चरण में पकड़े गए कुत्तों की मेडिकल जांच और उपचार कराया जाएगा। इसमें बीमार कुत्तों को आवश्यक इलाज दिया जाएगा और जिनकी नसबंदी नहीं हुई है, उन्हें ABC सेंटर में भेजा जाएगा।
🚨 MCD order (19.08.25) after Hon’ble SC directions: “ferocious/aggressive” stray dogs to be picked up from schools, hospitals, parks & govt offices → sent to ABC centres.
🐾 Strays are NOT criminals. They need compassion, sterilization, vaccination & safe coexistence, not mass… pic.twitter.com/NYPvuRN6Qo
— Enakshi (@kohlienakshi1) August 20, 2025
तीसरे चरण में पुनर्वास और मॉनिटरिंग की प्रक्रिया शामिल होगी। जिन कुत्तों का इलाज हो चुका होगा या जिनमें आक्रामक प्रवृत्ति नहीं दिखेगी, उन्हें चिन्हित क्षेत्रों में छोड़ा जाएगा। इस दौरान निरंतर मॉनिटरिंग की जाएगी ताकि भविष्य में समस्याएँ न बढ़ें।
ज़मीनी चुनौतियाँ
दिल्ली जैसे बड़े शहर में इस तरह की योजना को लागू करना आसान नहीं है। संसाधनों की कमी और शेल्टर होम्स की सीमित क्षमता सबसे बड़ी चुनौती हैं। कई इलाकों में पकड़ने वाली टीमों को स्थानीय विरोध का भी सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा, बड़ी संख्या में आवारा कुत्तों की पहचान और उन्हें सुरक्षित ढंग से पकड़ना एक कठिन कार्य है।
सुप्रीम कोर्ट की भूमिका
सुप्रीम कोर्ट पहले ही इस विषय पर गंभीर चिंता जता चुका है। कोर्ट का रुख साफ है कि इंसानों की सुरक्षा और पशुओं के अधिकारों के बीच संतुलन बनाया जाना चाहिए। आने वाले दिनों में कोर्ट का अंतिम आदेश यह तय करेगा कि देशभर में इस तरह की नीतियाँ किस रूप में लागू होंगी। MCD का यह कदम इसी दिशा में एक प्रारंभिक तैयारी के रूप में देखा जा रहा है।
स्थानीय निवासियों और RWAs की राय
दिल्ली के कई रिहायशी इलाकों से बार-बार शिकायतें मिलती रही हैं कि आवारा कुत्तों की वजह से बच्चे स्कूल जाते समय और बुज़ुर्ग सुबह की सैर पर डर के माहौल में रहते हैं। RWAs का मानना है कि MCD का आदेश समय की मांग है। हालांकि कुछ लोग यह भी चाहते हैं कि प्रक्रिया मानवीय और संवेदनशील हो ताकि जानवरों के साथ किसी तरह का क्रूर व्यवहार न किया जाए।
पशु प्रेमियों और संगठनों की प्रतिक्रिया
पशु अधिकार कार्यकर्ता इस आदेश पर मिश्रित प्रतिक्रिया दे रहे हैं। उनका कहना है कि अगर कुत्तों को केवल पकड़कर बंद कर दिया गया तो यह अमानवीय होगा। वे मांग कर रहे हैं कि प्रक्रिया में पशुओं की देखभाल और उनके बुनियादी अधिकारों का पूरा ध्यान रखा जाए। कई संगठनों ने सुझाव दिया है कि केवल आक्रामक मामलों पर ही कार्रवाई हो और बाकी को टीकाकरण एवं नसबंदी के ज़रिये नियंत्रित किया जाए।
विशेषज्ञों की राय
वेटरिनरी डॉक्टरों का कहना है कि बीमार और आक्रामक कुत्तों को अलग करना ज़रूरी है क्योंकि यह इंसानों और अन्य जानवरों दोनों के लिए ख़तरा पैदा कर सकते हैं। वहीं पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह कदम दिल्ली में रेबीज़ और अन्य बीमारियों के खतरे को कम करने में मदद करेगा। शहरी योजना से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि दीर्घकालिक समाधान तभी संभव होगा जब नसबंदी और टीकाकरण को बड़े स्तर पर लागू किया जाए।
पहले के आदेश और अनुभव
दिल्ली में पहले भी कई बार आवारा कुत्तों को नियंत्रित करने के प्रयास किए गए, लेकिन वे ज़्यादा सफल नहीं हो पाए। कारण रहा – संसाधनों की कमी, निगरानी का अभाव और योजनाओं का अधूरा क्रियान्वयन। इस बार MCD ने खास रणनीति के तहत तीन-फेज़ योजना बनाई है ताकि पहले जैसी कमियों को दोहराया न जाए।
जनता की आवाज़ और सोशल मीडिया प्रतिक्रिया
इस आदेश के बाद सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है। कई लोग इस कदम का समर्थन कर रहे हैं, जबकि कुछ इसे पशु अधिकारों के खिलाफ मान रहे हैं। ट्विटर और अन्य प्लेटफ़ॉर्म्स पर #StrayDogs और #DelhiMCD जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। आम जनता की राय भी बंटी हुई है—कुछ इसे राहत मान रहे हैं तो कुछ संवेदनशीलता की कमी बता रहे हैं।
निष्कर्ष
MCD का यह आदेश एक महत्वपूर्ण कदम है लेकिन इसकी असली परीक्षा तब होगी जब इसे ज़मीनी स्तर पर लागू किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट के आने वाले फ़ैसले से स्थिति और स्पष्ट होगी। दिल्ली जैसे बड़े शहर में इंसानों की सुरक्षा और जानवरों के अधिकार, दोनों को संतुलित रखना ही सबसे बड़ी चुनौती है। नागरिकों, प्रशासन और पशु संगठनों की सामूहिक भागीदारी से ही इस समस्या का स्थायी समाधान निकाला जा सकता है।