अहमदाबाद एयरपोर्ट पर हाल ही में हुआ विमान हादसा अब एक नए मोड़ पर पहुंच गया है। प्रारंभिक जांच में जो कारण सामने आ रहे थे, वे अब बदलते नजर आ रहे हैं। पहले यह माना जा रहा था कि तकनीकी समस्या या अचानक आई खराब मौसम की स्थिति के चलते यह दुर्घटना हुई। लेकिन अब जांच से जुड़े अधिकारियों का ध्यान विमान के संचालन से संबंधित मानवीय पहलुओं पर केंद्रित होता दिख रहा है।
🎧 कॉकपिट रिकॉर्डिंग से बदली जांच की दिशा
हाल ही में जांचकर्ताओं को प्राप्त हुई कॉकपिट वॉइस रिकॉर्डिंग ने मामले में नया मोड़ ला दिया है। रिकॉर्डिंग से यह संकेत मिले हैं कि उड़ान के दौरान विमान के दोनों पायलटों के बीच संचार में स्पष्ट भ्रम की स्थिति थी।
मुख्य पायलट की भूमिका को लेकर अब सवाल खड़े हो रहे हैं क्योंकि रिकॉर्डिंग में कुछ ऐसे संवाद सामने आए हैं जो यह दर्शाते हैं कि विमान का नियंत्रण स्पष्ट रूप से और सही समय पर नहीं लिया गया।
👨✈️ वरिष्ठ पायलट की भूमिका पर उठे सवाल
जांचकर्ताओं के अनुसार, घटना के समय विमान में मौजूद वरिष्ठ पायलट ही उड़ान की कमान संभाल रहे थे। रिपोर्ट के अनुसार, जब विमान लैंडिंग की प्रक्रिया में था, तब कई महत्वपूर्ण निर्णयों में देरी और भ्रम की स्थिति रही।
रिपोर्ट में यह भी देखा गया कि कुछ निर्देशों को नजरअंदाज किया गया या फिर सही ढंग से लागू नहीं किया गया। इस वजह से विमान निर्धारित रूट से थोड़ा हट गया और लैंडिंग के दौरान असंतुलन की स्थिति बन गई।
🛑 SOP का पालन न होने का संदेह
हवाई उड़ानों के संचालन में स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) का पालन करना अनिवार्य होता है। लेकिन प्रारंभिक विश्लेषण से यह स्पष्ट हुआ है कि SOP के कई बिंदुओं को या तो गलत तरीके से अपनाया गया या पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया गया।
विशेषज्ञों का मानना है कि उड़ान की अंतिम स्थिति में यदि SOP का सही पालन होता, तो शायद दुर्घटना को रोका जा सकता था।
Air India crash probe focuses on actions of plane’s captain, Wall Street Journal reports https://t.co/mSzfb18enl
— Vishnu Som (@VishnuNDTV) July 17, 2025
📉 तनाव और भ्रम की स्थिति
कॉकपिट वॉइस रिकॉर्डिंग से यह भी सामने आया है कि विमान के दोनों पायलटों के बीच संचार में भ्रम और तनाव की स्थिति थी।
इस तरह की स्थिति आमतौर पर तब होती है जब कोई नया या अपर्याप्त रूप से प्रशिक्षित सदस्य किसी अनुभवी सदस्य के साथ उड़ान में होता है और दबाव की स्थिति में संतुलन बनाना मुश्किल हो जाता है।
👁️🗨️ प्रशिक्षण प्रक्रिया पर उठे सवाल
यह मामला केवल एक दुर्घटना भर नहीं है, बल्कि इसने विमानन क्षेत्र की प्रशिक्षण प्रणाली पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
अगर पायलटों की ट्रेनिंग, इमरजेंसी हैंडलिंग, और SOP से जुड़ी प्रक्रियाएं पूरी तरह प्रभावी होतीं, तो शायद स्थिति को नियंत्रित किया जा सकता था।
👨👩👧👦 यात्रियों के परिवारों में आक्रोश और चिंता
हादसे में घायल या प्रभावित हुए यात्रियों के परिवार अब स्पष्ट जवाब और पारदर्शिता की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि यदि पायलटों और फ्लाइट क्रू को पर्याप्त मानसिक व तकनीकी ट्रेनिंग दी गई होती तो यह हादसा टाला जा सकता था।
कुछ परिवारों ने एयरलाइन प्रबंधन से मुआवजा देने और जिम्मेदारी तय करने की अपील भी की है।
💬 पब्लिक रिएक्शन और सोशल मीडिया पर बहस
इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर लोग उड़ानों की सुरक्षा, पायलट ट्रेनिंग और एविएशन रेगुलेशन को लेकर चर्चा कर रहे हैं।
कुछ यूज़र्स ने पायलट्स के वर्किंग शेड्यूल, मेंटल हेल्थ सपोर्ट और SOP पालन पर भी सवाल उठाए हैं।
इसका सीधा असर एविएशन कंपनियों की साख और यात्रियों के विश्वास पर भी देखा जा रहा है।
🏢 एयरलाइन प्रबंधन ने क्या कदम उठाए?
एयरलाइन प्रबंधन की ओर से अभी तक कोई विस्तृत सार्वजनिक बयान नहीं आया है, लेकिन अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, पायलटों के प्रशिक्षण और SOP अनुपालन की गहन समीक्षा शुरू हो चुकी है।
इसके अलावा, जांच रिपोर्ट के आधार पर भविष्य में ऐसे हादसों को रोकने के लिए संशोधित प्रशिक्षण मापदंड और तकनीकी ऑडिट की योजना बनाई जा रही है।
🔍 आगे की जांच: अब क्या होगा?
फिलहाल जांच एजेंसियों ने वरिष्ठ पायलट और अन्य क्रू सदस्यों से पूछताछ शुरू कर दी है। कॉकपिट रिकॉर्डिंग और उड़ान डेटा का तकनीकी विश्लेषण जारी है।
उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दिनों में एक विस्तृत फाइनल रिपोर्ट सार्वजनिक की जाएगी, जो यह स्पष्ट करेगी कि वास्तव में यह हादसा किन कारणों से हुआ और इसमें किसकी जिम्मेदारी बनती है।
गौरतलब है कि इससे पहले भी एक अन्य रिपोर्ट में यह सामने आया था कि फ्यूल कट-ऑफ और कॉकपिट में भ्रम की स्थिति ने दुर्घटना को और गंभीर बना दिया था।
🧾पारदर्शिता और सुधार की जरूरत
इस हादसे ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि सिर्फ तकनीक पर निर्भरता काफी नहीं है, मानवीय त्रुटि भी किसी भी उड़ान के लिए एक बड़ा खतरा बन सकती है।
समय की मांग है कि एविएशन सेक्टर में मानव व्यवहार, संचार और प्रशिक्षण मानकों को प्राथमिकता दी जाए।
इससे यात्रियों का विश्वास भी बहाल होगा और भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सकेगा।