साल 2020 में एक गंभीर विमान हादसे ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। यह दुर्घटना दक्षिण भारत के कोझिकोड हवाई अड्डे पर हुई थी, जहाँ एक अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट रनवे पर लैंडिंग के दौरान फिसल गई।
विमान में कुल 190 लोग सवार थे, जिनमें से दोनों पायलटों सहित 21 लोगों की मौत हुई और अनेक यात्री गंभीर रूप से घायल हो गए।
यह हादसा बारिश के मौसम में हुआ जब विमान की लैंडिंग के दौरान रनवे से फिसल कर दो टुकड़े हो गया। विमान दुबई से भारत लौट रहा था और ‘वंदे भारत मिशन’ के अंतर्गत विशेष उड़ान के रूप में कार्य कर रहा था।
इस घटना को अब भारत के एविएशन इतिहास की एक सबसे भयावह दुर्घटनाओं में से एक माना जा रहा है।
India’s most tragic plane crash in over a decade has shaken the aviation insurance sector, triggering one of the country’s costliest claims, estimated at $475 million.
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— Marketing Mind (@MarketingMind_) June 17, 2025
बीमा दावों का प्रारंभिक आंकलन
इस दुर्घटना के बाद जो बीमा क्लेम सामने आया है, वह भारत में एविएशन इतिहास का अब तक का सबसे बड़ा क्लेम बताया जा रहा है।
कुल बीमा दावा लगभग $475 मिलियन (₹3960 करोड़ रुपये) आंका गया है, जो विमान, यात्रियों, कर्मचारियों और अन्य संबंधित संपत्तियों के नुकसान के लिए दर्ज किया गया है।
विशेषज्ञों के अनुसार, यह राशि भारतीय बीमा उद्योग पर एक बड़ा वित्तीय दबाव साबित हो सकती है, क्योंकि यह आम बीमा दावों से कई गुना अधिक है।
इतना बड़ा दावा इसलिए भी है क्योंकि इसमें केवल विमान की मरम्मत या हानि शामिल नहीं है, बल्कि यात्रियों के परिवारों को मुआवजा, चोटिलों की चिकित्सा, हवाई अड्डे के ढांचे की मरम्मत और कानूनी शुल्क भी जोड़े गए हैं।
हाल ही में अहमदाबाद में एक ड्रीमलाइनर विमान के हॉस्टल से टकराने की घटना ने भी इसी तरह की बीमा और सुरक्षा व्यवस्थाओं पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
बीमा प्रक्रिया में शामिल कंपनियां और पॉलिसी विवरण
इस दुर्घटना से पहले विमानन कंपनी के पास एक समुचित बीमा कवरेज मौजूद था, जिसमें हुल (Hull) और थर्ड पार्टी लाइबिलिटी दोनों शामिल थे।
प्रमुख बीमा कंपनियों के साथ साथ कई अंतरराष्ट्रीय पुनर्बीमाकर्ता (reinsurers) भी इस बीमा व्यवस्था में शामिल थे।
बीमा की पूरी संरचना इस प्रकार बनाई गई थी कि यदि किसी बड़ी आपदा की स्थिति आती है, तो उसका भार अकेले एक कंपनी न उठाए, बल्कि वैश्विक स्तर पर वितरित हो।
इस व्यवस्था के अंतर्गत विभिन्न स्तरों पर बीमा दावों को क्लियर किया जाएगा — जैसे कि विमान का मूल्य, क्षतिग्रस्त उपकरण, रनवे की मरम्मत, और घायल यात्रियों के इलाज और मुआवजे।
कानूनी और वित्तीय जाँचें
इस हादसे के बाद देश के नागरिक उड्डयन नियामकों और बीमा एजेंसियों ने मामले की गंभीर कानूनी जांच शुरू की।
बीमा दावों की प्रक्रिया पूरी तरह कानूनी और पारदर्शी हो, इसके लिए अलग-अलग जांच एजेंसियां इस पर कार्यरत हैं।
इसके साथ ही मृतकों और घायलों के परिवारों द्वारा मुआवजे के लिए मुकदमे दायर किए गए हैं, जिनकी सुनवाई देश की अलग-अलग अदालतों में चल रही है।
बीमा कंपनियों के लिए यह आवश्यक होता है कि वे हर केस की प्रामाणिकता की जांच करें, जिससे किसी भी प्रकार की फर्जीवाड़े की संभावना को रोका जा सके।
पीड़ितों को मुआवजा वितरण
इस दुर्घटना में जिन परिवारों ने अपनों को खोया, उन्हें सरकार और बीमा कंपनियों द्वारा विभिन्न स्तरों पर मुआवजा प्रदान किया गया है।
मृतकों के परिजनों को एक निश्चित राशि के साथ-साथ बीमा के माध्यम से अलग सहायता प्रदान की गई।
घायलों को उनके इलाज का पूरा खर्च कवर किया गया, जिसमें अस्पताल, ऑपरेशन, दवाइयाँ और अन्य चिकित्सा सेवाएं शामिल थीं।
हालांकि कुछ मामलों में मुआवजा प्रक्रिया में देरी की खबरें भी सामने आई थीं, लेकिन अधिकतर मामलों में तेजी से और संवेदनशीलता के साथ कार्यवाही हुई।
भारत में एविएशन बीमा का परिदृश्य
यह घटना भारत में एविएशन बीमा सेक्टर के लिए एक चेतावनी और परीक्षा दोनों रही।
इससे पहले भारत में कभी भी इतनी बड़ी राशि का बीमा दावा सामने नहीं आया था।
कोविड के बाद बीमा दरों में काफी बदलाव आया है और बीमा कंपनियां अब अधिक सतर्कता के साथ एविएशन सेक्टर को कवर कर रही हैं।
बीमा की नई पॉलिसियों में अब रनवे की लंबाई, मौसम की स्थिति, विमान की उम्र, और पायलट के अनुभव जैसे कारकों को ज्यादा महत्व दिया जा रहा है।
इस दुर्घटना ने यह भी दिखाया कि आपात स्थिति में बीमा पॉलिसी ही यात्रियों और उनके परिवारों की वित्तीय सुरक्षा की एकमात्र आधार होती है।
निष्कर्ष
यह हादसा न केवल एक मानव त्रासदी था, बल्कि इसका प्रभाव वित्तीय, कानूनी और औद्योगिक स्तर पर भी महसूस किया गया।
इतिहास के सबसे बड़े एविएशन बीमा दावों में शामिल यह घटना, भारत में बीमा उद्योग के लिए एक टर्निंग पॉइंट साबित हो सकती है।
आने वाले वर्षों में बीमा कंपनियों की रणनीतियों और एविएशन इंडस्ट्री के सुरक्षा मानकों पर इसका गहरा असर पड़ने की संभावना है।