भारत में पर्व-त्योहार केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक एकता के प्रतीक भी हैं। इन्हीं महत्वपूर्ण अवसरों में से एक है अनंत चतुर्दशी, जिसे भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के “अनंत” स्वरूप की पूजा की जाती है।
साथ ही यह दिन खास इसलिए भी माना जाता है क्योंकि गणेशोत्सव का समापन इसी दिन होता है। दस दिनों तक घर-घर और पंडालों में स्थापित गणपति बप्पा का विसर्जन अनंत चतुर्दशी को बड़े उत्साह के साथ किया जाता है।
अनंत चतुर्दशी 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त
अनंत चतुर्दशी 2025 की तिथि: 5 सितंबर 2025 (शुक्रवार)
पूजन का शुभ समय: प्रातःकाल से लेकर दिनभर शुभ मुहूर्त उपलब्ध
गणेश विसर्जन का शुभ समय: प्रातः 8:30 बजे से आरंभ होकर रात्रि तक
इस बार अनंत चतुर्दशी के समय एक और महत्वपूर्ण खगोलीय घटना होने वाली है। इसी महीने सितंबर 2025 का चंद्र ग्रहण भी पड़ेगा, जिसे खगोल विज्ञान और धार्मिक दृष्टि से खास माना जा रहा है।
अनंत चतुर्दशी व्रत की विधि और पूजन परंपरा
इस दिन अनंत व्रत किया जाता है। व्रत के दौरान भगवान विष्णु के समक्ष “अनंतसूत्र” अर्पित किया जाता है। यह सूत्र लाल या पीले धागे से बना होता है, जिस पर 14 गांठें लगाई जाती हैं।
पूजा विधि:
- प्रातः स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
- भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र को पूजन स्थल पर स्थापित करें।
- पुष्प, फल, धूप, दीप से पूजन करें।
- “ॐ अनन्ताय नमः” मंत्र का जप करें।
- अनंतसूत्र को हाथ में बांधकर व्रत कथा का श्रवण करें।
14 गांठों का महत्व: ये गांठें 14 लोकों और 14 वर्षों की समृद्धि का प्रतीक मानी जाती हैं।
गणेश विसर्जन 2025: परंपरा और महत्व
अनंत चतुर्दशी को गणपति विसर्जन का दिन भी कहा जाता है। दस दिनों तक गणपति की सेवा और भक्ति के बाद उन्हें विदा किया जाता है। विसर्जन का अर्थ है – भगवान गणेश को जल तत्व में समर्पित करना ताकि वे पुनः कैलाश लौट सकें।
भक्त इस दौरान “गणपति बप्पा मोरया” के जयकारे लगाते हुए नृत्य और भजन-कीर्तन करते हैं।
आधुनिक दृष्टिकोण:
आजकल इको-फ्रेंडली गणेश विसर्जन का महत्व तेजी से बढ़ रहा है। मिट्टी की प्रतिमाओं और कृत्रिम तालाबों का उपयोग कर भक्त पर्यावरण संरक्षण का संदेश देते हैं।
अनंत चतुर्दशी की कथा और धार्मिक मान्यताएं
धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस व्रत की शुरुआत महाभारत काल में हुई थी। कथा है कि जब युधिष्ठिर ने श्रीकृष्ण से अपने कष्टों का समाधान पूछा तो उन्होंने अनंत व्रत करने की सलाह दी।
कहा जाता है कि इस व्रत को श्रद्धा और विश्वास से करने पर सभी प्रकार की बाधाएँ दूर होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
समाज और संस्कृति में अनंत चतुर्दशी का स्थान
यह पर्व केवल व्यक्तिगत श्रद्धा तक सीमित नहीं है, बल्कि सामूहिक उत्सव का भी रूप ले चुका है। बड़े-बड़े शहरों में विशाल शोभायात्राएँ निकलती हैं, जबकि गांवों में लोग सामूहिक रूप से पूजा और व्रत करते हैं।
गणपति विसर्जन के दौरान लाखों लोग एकत्रित होते हैं, जो भक्ति और एकजुटता का अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करता है।
👉 इसी तरह के त्योहार समाज में धार्मिक आस्था के साथ-साथ सांस्कृतिक बंधन को भी मजबूत करते हैं।
Rajasthan Government ordered to close Meat Shops and Butcher Houses on the Occasion of Samvatsari and Anant Chaturdashi.
We altogether wish that this happens to 365 days a year. pic.twitter.com/8uWRXVAYRK— Be Jain (@be_jain_india) August 25, 2025
अनंत चतुर्दशी 2025 की विशेषताएं
- इस बार का पर्व शुक्रवार को पड़ रहा है, जो लक्ष्मी प्राप्ति का कारक माना जाता है।
- पंचांग के अनुसार 2025 में अनंत चतुर्दशी पर शुभ योग बन रहे हैं।
- भक्तों के लिए यह दिन व्रत, पूजन और गणपति विसर्जन तीनों दृष्टि से खास रहेगा।
निष्कर्ष
अनंत चतुर्दशी 2025 न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व से भी खास है। इस दिन का पालन करने से जीवन में समृद्धि, सौभाग्य और शांति आती है।
गणपति विसर्जन के साथ भक्त अगले वर्ष पुनः बप्पा के स्वागत का संकल्प लेते हैं।
🙏 अब आपकी राय क्या है?
क्या आप इस वर्ष अनंत चतुर्दशी का व्रत करेंगे या गणपति विसर्जन में शामिल होंगे?
अपने विचार हमें कमेंट सेक्शन में ज़रूर बताएं।