भारत की सुरक्षा एजेंसियों ने एक बार फिर सतर्कता और तेजी दिखाते हुए देश पर मंडरा रहे एक बड़े खतरे को टाल दिया है। गुजरात एटीएस की अगुवाई में हुए इस ऑपरेशन में दिल्ली, उत्तर प्रदेश और गुजरात से चार संदिग्ध आतंकियों को गिरफ्तार किया गया है। इन सभी पर अल कायदा के भारतीय उपमहाद्वीप मॉड्यूल से जुड़े होने और बड़े हमलों की साजिश रचने का आरोप है। यह कार्रवाई देश की आतंरिक सुरक्षा के प्रति एक बार फिर चेतावनी और जागरूकता का संकेत है।
कहां-कहां से हुई गिरफ्तारियां और कौन-कौन हैं आरोपी
गिरफ्तारी की गई चारों जगहें भारत के तीन प्रमुख राज्य हैं – गुजरात, दिल्ली और उत्तर प्रदेश। इन अभियुक्तों में से दो को गुजरात से, एक को दिल्ली से और एक को उत्तर प्रदेश से पकड़ा गया। शुरुआती जांच में सामने आया है कि इन सभी की गतिविधियां लंबे समय से एजेंसियों की नजर में थीं।
इन आरोपियों में शामिल हैं:
- इमरान (26 वर्ष) – अहमदाबाद निवासी, पेशे से दर्जी
- सलीम (29 वर्ष) – उत्तर प्रदेश का निवासी, किराने की दुकान में काम करता था
- शादाब (28 वर्ष) – दिल्ली में मोबाइल रिपेयरिंग की दुकान चलाता था
- रईस (30 वर्ष) – गुजरात में मजदूरी करता था
इन सभी की पहचान आम लोगों की तरह की जाती थी लेकिन इनका संपर्क एक संगठित आतंकवादी नेटवर्क से था।
शुरुआती पूछताछ में सामने आई साजिश की गहराई
गिरफ्तारी के बाद जब पूछताछ शुरू हुई, तो एक के बाद एक ऐसे राज सामने आने लगे जो देश की सुरक्षा व्यवस्था के लिए गंभीर चिंता का कारण बन सकते हैं। एजेंसियों को इन लोगों के पास से कोडवर्ड से भरी नोटबुक, डिजिटल डिवाइस और नकद राशि मिली है, जो कि इनकी आतंकी गतिविधियों की पुष्टि करती है।
इन सभी ने कबूला है कि वे लंबे समय से अल कायदा के भारतीय उपमहाद्वीप मॉड्यूल (AQIS) से संपर्क में थे और उन्हें ISI के निर्देश पर ट्रेनिंग और मिशन दिये जाते थे।
इनका मुख्य उद्देश्य भारत के प्रमुख शहरों में हमले कर, सांप्रदायिक तनाव और राजनीतिक अस्थिरता पैदा करना था। इस साजिश को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम दिया गया था, जिसमें धार्मिक स्थलों, त्योहारों और भीड़भाड़ वाले इलाकों को टारगेट किया जाना था।
क्या थी इनकी प्लानिंग और टारगेट?
जांच में यह भी पता चला है कि इन आतंकियों का मकसद केवल हिंसा फैलाना नहीं था, बल्कि देश के अलग-अलग हिस्सों में सामाजिक समरसता को तोड़ना और अराजकता फैलाना था। इनके टारगेट में खासतौर से निम्नलिखित स्थान शामिल थे:
- दिल्ली के प्रमुख धार्मिक स्थल और सार्वजनिक स्थल
- लखनऊ की भीड़भाड़ वाली बाजारें और बस स्टेशन
- अहमदाबाद में कुछ विशेष त्योहारों के दौरान आयोजन स्थल
इन जगहों पर आतंकी हमले की योजना बनाकर वे देश की अखंडता को चोट पहुंचाना चाहते थे।
कैसे चला ऑपरेशन: एजेंसियों का प्लानिंग और एक्शन
इस पूरे ऑपरेशन की शुरुआत कुछ महीनों पहले एक खुफिया इनपुट से हुई थी। सुरक्षा एजेंसियों ने कुछ संदिग्ध कॉल्स और सोशल मीडिया गतिविधियों को ट्रैक करना शुरू किया। धीरे-धीरे यह साफ हो गया कि कोई बड़ा नेटवर्क भारत में फिर से सक्रिय हो रहा है।
एजेंसियों ने डिजिटल निगरानी, फिजिकल ट्रेसिंग और लोकल इंटेलिजेंस की मदद से इन आतंकियों की गतिविधियों को चिन्हित किया। कोडवर्ड्स के जरिए बातचीत, नकद ट्रांजेक्शन और नकली आईडी कार्ड्स के इस्तेमाल से इनके नेटवर्क का संचालन होता था। आखिरकार, एक समन्वित योजना के तहत अलग-अलग शहरों में एक साथ छापेमारी कर इन चारों को दबोच लिया गया।
Gujarat Anti-Terrorism Squad (ATS) arrests 4 Al-Qaeda linked terrorists involved in running fake currency racket.
ATS DIG Sunil Joshi says accused had been actively propagating terrorist ideology through various social media platforms and suspicious applications. #GujaratATS… pic.twitter.com/Bw08oaNAjr
— All India Radio News (@airnewsalerts) July 24, 2025
विदेशी कनेक्शन: क्या ISI और पाकिस्तानी सेना भी शामिल?
पूछताछ में यह साफ हुआ है कि इनका कनेक्शन सीमा पार से था। पाकिस्तान में बैठे कुछ संचालकों के निर्देश पर यह समूह भारत में सक्रिय हुआ था। ISI की भूमिका भी इस मामले में संदिग्ध मानी जा रही है। डिजिटल ट्रेसिंग में पाकिस्तान से भेजे गए कुछ वीडियो, वॉइस मैसेज और निर्देश सामने आए हैं।
इन चारों आतंकियों ने स्वीकार किया है कि उन्हें पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी और एक धार्मिक समूह से आर्थिक और मानसिक समर्थन मिल रहा था। सोशल मीडिया और टेलीग्राम जैसे प्लेटफॉर्म्स के जरिए उन्हें कोडवर्ड में आदेश दिए जाते थे।
इस तरह की सुरक्षा एजेंसियों की कार्रवाइयों के बीच, देश की सियासी हलचलों पर भी नज़र रखना जरूरी हो जाता है, खासकर जब उच्च पदों को लेकर चर्चाएं तेज़ हो रही हों — ऐसे संकेत पहले भी देखने को मिले हैं।
भविष्य में सुरक्षा एजेंसियों की रणनीति और सतर्कता
इस गिरफ्तारी के बाद एजेंसियों ने अपने अभियान को और तेज़ कर दिया है। आने वाले त्योहारों, स्वतंत्रता दिवस और राजनीतिक आयोजनों के मद्देनज़र सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। ATS, IB और लोकल पुलिस के बीच समन्वय और मजबूत किया जा रहा है।
साथ ही, सरकार का फोकस युवाओं को कट्टरपंथी संगठनों के प्रभाव से दूर रखने पर भी है। स्कूलों, मदरसों और कोचिंग सेंटर्स में अवेयरनेस अभियान शुरू किए जा सकते हैं, ताकि ऐसे नेटवर्क की पहचान शुरू में ही की जा सके।
एक चेतावनी और सबक
यह पूरी घटना हमें एक बार फिर याद दिलाती है कि आतंकवाद की जड़ें आज भी ज़िंदा हैं और समय-समय पर सक्रिय होने की कोशिश करती हैं। यह एजेंसियों की सजगता और तकनीकी क्षमता का नतीजा है कि समय रहते एक बड़ी साजिश को नाकाम किया जा सका।
देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए हर नागरिक को सतर्क रहना होगा और संदिग्ध गतिविधियों की जानकारी तुरंत अधिकारियों तक पहुंचानी होगी। यही जागरूकता ऐसे खतरों को समय रहते खत्म कर सकती है।
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