बिहार में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण (Special Electoral Roll Revision) को लेकर बीते कुछ दिनों से राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में चल रही इस प्रक्रिया को लेकर आम नागरिकों से लेकर राजनीतिक दलों तक — हर कोई सतर्क नज़र आ रहा है।
राज्य में Aadhaar और वोटर आईडी लिंकिंग, नागरिकता की पुष्टि, और मतदाता हटाने की आशंकाएं — इन सबने मिलकर एक गहरी चिंता को जन्म दिया है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर अब तीन अलग-अलग दस्तावेजों के माध्यम से इस प्रक्रिया की समीक्षा की जा रही है।
👉 सुप्रीम कोर्ट की दखल: तीन दस्तावेजों में छिपा है समाधान का रास्ता
सुप्रीम कोर्ट ने तीन स्तर पर रिपोर्ट मांगी है ताकि संशोधन प्रक्रिया को बेहतर, पारदर्शी और निष्पक्ष बनाया जा सके:
1. चुनाव आयोग की रिपोर्ट
- मुख्य बिंदु:
- मतदाता सूची को अपडेट करने की प्रक्रिया क्या रही?
- Aadhaar लिंकिंग किस हद तक अनिवार्य है?
- मतदाता सूची को अपडेट करने की प्रक्रिया क्या रही?
2. राज्य सरकार की रिपोर्ट
- मुख्य बिंदु:
- क्या नागरिकता की पुष्टि के लिए पुलिस या प्रशासन की मदद ली गई?
- प्रक्रिया में कानून का पालन कितना हुआ?
- क्या नागरिकता की पुष्टि के लिए पुलिस या प्रशासन की मदद ली गई?
3. गृह मंत्रालय की रिपोर्ट
- मुख्य बिंदु:
- नागरिकता की जांच में गृह मंत्रालय की भूमिका क्या रही?
- क्या NRC जैसी प्रक्रिया की शुरुआत है?
- नागरिकता की जांच में गृह मंत्रालय की भूमिका क्या रही?
SC: Court suggests ECI should also consider Aadhaar, Voter ID & Ration Cards for Bihar electoral roll revision
Court intervenes in Bihar electoral roll revision after concerns that strict documentation requirements could disenfranchise legitimate voters. pic.twitter.com/znp3DBGH1O
— LawLens (@Lawlens_IN) July 10, 2025
👉 इन तीनों रिपोर्ट्स का उद्देश्य केवल यही है कि कोई भी भारतीय नागरिक गलती से मतदाता सूची से न हटे और साथ ही फर्जी नामों को भी हटाया जा सके।
👉 सुप्रीम कोर्ट का रुख: संशोधन जरूरी, लेकिन घबराहट नहीं
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि:
- वह इस प्रक्रिया को रोकने के पक्ष में नहीं है।
- लेकिन चुनाव आयोग को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि किसी भी नागरिक को आधार या अन्य दस्तावेज के बिना हटा न दिया जाए।
- “Panic dial down” करने की बात कहकर कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि प्रक्रिया का उद्देश्य डर फैलाना नहीं है।
👉 आम जनता में चिंता: NRC जैसा डर क्यों?
कई नागरिकों को यह डर सता रहा है कि यह प्रक्रिया कहीं NRC जैसी न बन जाए, जहां कागज़ी प्रमाण न होने के कारण हजारों लोगों को नागरिकता से वंचित कर दिया गया।
लोगों की मुख्य आशंकाएं:
- आधार कार्ड अनिवार्य तो नहीं बना दिया गया है?
- जिनके पास प्रमाण नहीं हैं, क्या उन्हें लिस्ट से हटा दिया जाएगा?
- क्या यह स्थानीय स्तर पर भेदभाव की शुरुआत है?
👉 इससे पहले भी हमने रिपोर्ट किया था कि कैसे इस प्रक्रिया से कोई भी संतुष्ट नहीं दिख रहा।
👉 चुनाव आयोग का जवाब: प्रक्रिया पारदर्शी है, नागरिकता जांच नहीं हो रही
चुनाव आयोग की ओर से कहा गया है कि:
- वोटर लिस्ट में संशोधन नियमित प्रक्रिया का हिस्सा है।
- Aadhaar लिंकिंग स्वैच्छिक है, अनिवार्य नहीं।
- किसी भी मतदाता को सिर्फ दस्तावेज़ के आधार पर बाहर नहीं किया जाएगा।
EC के मुख्य बिंदु:
- 18+ उम्र वालों का स्वतः नाम जुड़ना
- जिनकी मृत्यु हो गई या जो अब उस पते पर नहीं रहते, उनका नाम हटना
- नागरिकता जांच करना हमारा काम नहीं है
👉 राजनीतिक प्रतिक्रियाएं: समर्थन और विरोध दोनों
बिहार में विपक्ष और सत्ता पक्ष — दोनों ही इस मुद्दे पर अपनी-अपनी बात रख रहे हैं:
- कुछ दलों का आरोप है कि ये प्रक्रिया विशेष समुदाय को टारगेट करती है।
- वहीं, कुछ दल इसे डुप्लीकेट वोटर हटाने की दिशा में जरूरी कदम मानते हैं।
Rahul Ghandy made big fuss yesterday, even issued veiled threats to ECI.
ALL GONE DOWN GUTTER!
BIG WIN FOR .@ECISVEEP & HUGE HUMILIATION TO CHINDI RJD-CONgress🔥
Special Intensive Revision of electoral rolls in Bihar by ECI is as per Constitutional mandate- SC rules
Means-… pic.twitter.com/rEoIXLxibL
— BhikuMhatre (@MumbaichaDon) July 10, 2025
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि किसी राजनीतिक दृष्टिकोण या नीयत को लेकर कोई संकेत नहीं दिया गया है।
👉 प्रक्रिया का विश्लेषण: सावधानी और पारदर्शिता ही उपाय
इस तरह की व्यापक प्रक्रिया में सबसे जरूरी होता है — सही जानकारी, पारदर्शिता और नागरिकों का भरोसा।
अगर चुनाव आयोग और राज्य प्रशासन:
- प्रक्रिया को स्पष्ट दिशा-निर्देशों के साथ करें
- सूचना जन-संचार के माध्यम से फैलाएं
- और हर मतदाता को अपील और सुधार का अवसर दें
तो न सिर्फ संशोधन की विश्वसनीयता बढ़ेगी, बल्कि भय और भ्रम का माहौल भी खत्म होगा।
👉संशोधन जरूरी है, लेकिन नागरिकों के अधिकार पहले
बिहार की यह प्रक्रिया देशभर के लिए एक मिसाल बन सकती है — बशर्ते कि इसे निष्पक्ष, पारदर्शी और जनहितकारी तरीके से पूरा किया जाए।
मुख्य बातें दोहराएं तो:
- आधार लिंकिंग वैकल्पिक है
- नागरिकता की जांच नहीं की जा रही
- प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में है
- फर्जी नाम हटाने और असली वोटर जोड़ने पर ज़ोर
👉 आपकी राय क्या है?
क्या आपको लगता है कि यह प्रक्रिया सही दिशा में जा रही है?
क्या आपके मन में भी कुछ सवाल हैं वोटर लिस्ट को लेकर?
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