केंद्रीय सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए ज़िरकपुर और पंचकूला के बीच ट्रैफिक जाम की समस्या का स्थायी समाधान ढूंढने की दिशा में कदम बढ़ाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (CCEA) ने 19.2 किलोमीटर लंबे छह-लेन ज़िरकपुर बायपास के निर्माण को हरी झंडी दे दी है। यह बायपास ना केवल ज़िरकपुर और पंचकूला की ट्रैफिक से जूझती सड़कों को राहत देगा, बल्कि पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश के बीच की कनेक्टिविटी को भी नए आयाम देगा।
📍 परियोजना की रूपरेखा
- शुरुआत बिंदु: NH-7 (ज़िरकपुर-पटियाला)
- समाप्ति बिंदु: NH-5 (ज़िरकपुर-परवाणू, पंचकूला, हरियाणा)
- लंबाई: 19.2 किलोमीटर
- लेन: 6-लेन एक्सेस कंट्रोल्ड बायपास
- निर्माण मोड: Hybrid Annuity Mode (HAM)
यह बायपास बेहद शहरी और ट्रैफिक-भरे इलाकों को बायपास करता हुआ बनेगा जिससे मौजूदा ज़िरकपुर और पंचकूला के जाम से मुक्ति मिलेगी।
कैबिनेट ने पंजाब और हरियाणा में 19.2 किलोमीटर लंबाई वाले 6 लेन एक्सेस कंट्रोल्ड जीरकपुर बायपास के निर्माण को मंजूरी दी है, जिसकी कुल लागत ₹1878.31 करोड़ है। यह परियोजना हाइब्रिड एन्यूटी मोड पर कार्यान्वित की जाएगी।
इस परियोजना से जीरकपुर, पंचकूला और आसपास के क्षेत्रों में… pic.twitter.com/zfoFSSOshX
— पीआईबी हिंदी (@PIBHindi) April 9, 2025
🚦 क्यों ज़रूरी है ज़िरकपुर बायपास?
ज़िरकपुर और पंचकूला के क्षेत्र ट्राई-सिटी (चंडीगढ़, मोहाली, पंचकूला) में आते हैं, जहां रोज़ाना लाखों वाहन गुजरते हैं।
- ट्रैफिक जाम: NH-7, NH-5 और NH-152 पर लगातार जाम की स्थिति बनी रहती है।
- यात्रा समय: पैटियाला, दिल्ली या हिमाचल की ओर जाने वाले यात्रियों को ज़िरकपुर में घंटों फंसा रहना पड़ता है।
- ट्रांसपोर्ट लागत: देरी से डिलीवरी, फ्यूल खर्च और वायु प्रदूषण में इज़ाफा।
इस बायपास से सभी ट्रैफिक को शहर से बाहर डायवर्ट किया जाएगा, जिससे शहरी जीवन की गति सुधरेगी।
🛤️ PM गतिशक्ति योजना और इसका महत्व
प्रधानमंत्री गतिशक्ति योजना भारत के इन्फ्रास्ट्रक्चर को एकीकृत और स्मार्ट बनाने की योजना है।
- रिंग रोड कनेक्टिविटी: इस बायपास को बड़े रिंग रोड प्लान का हिस्सा माना जा रहा है, जो चंडीगढ़, मोहाली और पंचकूला को जोड़ने वाला नेटवर्क बनेगा।
- समन्वित विकास: सड़क, रेल, एयरपोर्ट और लॉजिस्टिक हब को आपस में जोड़ने का विजन।
ज़िरकपुर बायपास इस योजना का अहम हिस्सा है, जो क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर यातायात दक्षता को बढ़ावा देगा।
💰 आर्थिक पक्ष: लागत और मॉडल
- कुल लागत: ₹1,878.31 करोड़
- निर्माण मोड: Hybrid Annuity Mode (HAM)
- PPP मॉडल: 40% राशि सरकार देगी, और 60% राशि प्राइवेट डेवलपर द्वारा लोन या इक्विटी से।
Hybrid Annuity Mode का फायदा यह है कि सरकार और निजी कंपनियों दोनों की भागीदारी रहती है, जिससे प्रोजेक्ट तेज़ी से और गुणवत्ता के साथ पूरा होता है।
🧑🤝🧑 किसे क्या फ़ायदा होगा?
- स्थानीय नागरिक: ट्रैफिक कम, सफर सुगम, प्रदूषण में कमी
- यात्री: पटियाला, दिल्ली, हिमाचल जाने वालों को बायपास से डायरेक्ट रूट
- व्यवसाय: परिवहन की लागत घटेगी, सप्लाई चेन तेज़ होगी
- पर्यावरण: कम ट्रैफिक, कम ध्वनि और वायु प्रदूषण
- सरकार: रणनीतिक कनेक्टिविटी और राजनीतिक क्रेडिट
📲 सार्वजनिक प्रतिक्रियाएं
लोगों की प्रतिक्रियाएं सोशल मीडिया पर भी सामने आई हैं:
🗣️ @manmathnayak2:
“ज़िरकपुर बायपास को मंज़ूरी मिलना एक गेमचेंजर है। पंजाब-हरियाणा ट्रैफिक का हल अब नज़दीक है।”
🗣️ @UrbanPlanningHub:
“अब देखना ये होगा कि प्रोजेक्ट टाइमलाइन पर पूरा होता है या नहीं। उम्मीद है कि निर्माण के समय भी ट्रैफिक मैनेजमेंट अच्छे से हो।”
इन ट्वीट्स से साफ है कि जनता में उत्साह है, लेकिन साथ ही समय पर काम पूरा होने की उम्मीदें भी हैं।
🔭 भविष्य की योजनाएं और प्रभाव
- यह बायपास सिर्फ शुरुआत है – आगे पूरा रिंग रोड नेटवर्क बनाने की योजना है।
- इससे मोहाली, पंचकूला और चंडीगढ़ के चारों ओर ट्रैफिक डायवर्जन के लिए विकल्प मिलेंगे।
- अर्थव्यवस्था पर असर: निर्माण के दौरान रोज़गार, फिर व्यापार में तेज़ी
- संभावित चुनौतियां: ज़मीन अधिग्रहण, निर्माण में देरी, मॉनसून बाधा
यदि सरकार इन चुनौतियों से निपट पाई, तो यह प्रोजेक्ट नॉर्थ इंडिया की शहरी प्लानिंग का मॉडल बन सकता है।
✅ निष्कर्ष
ज़िरकपुर बायपास का निर्णय एक दूरदर्शी योजना का हिस्सा है, जिससे न सिर्फ ट्रैफिक की समस्या कम होगी, बल्कि पूरे क्षेत्र की लाइफ क्वालिटी सुधरेगी।
अब सरकार की अग्निपरीक्षा होगी – क्या ये प्रोजेक्ट समय पर और गुणवत्तापूर्ण तरीके से पूरा होगा?