भारत जैसे धार्मिक देश में नवरात्रि न केवल एक पर्व है, बल्कि यह देवी शक्ति की आराधना का प्रतीक भी है। हर वर्ष दो बार — चैत्र और शारदीय नवरात्रि — मनाई जाती हैं, जिनमें माँ दुर्गा के नौ रूपों की आराधना की जाती है।
चैत्र नवरात्रि, हिन्दू नववर्ष की शुरुआत का प्रतीक मानी जाती है। यह समय आत्मचिंतन, शक्ति संचय और देवी के नौ रूपों से ऊर्जा प्राप्त करने का काल होता है।
इसमें अष्टमी और नवमी तिथियों का विशेष महत्व होता है, क्योंकि इन्हीं दिनों में कन्या पूजन किया जाता है। आज हम बात करेंगे कि 2025 में कब है यह महत्वपूर्ण समय, किस दिन करें पूजन, क्या है सही विधि, और क्यों इससे जुड़ा है एक गहरा सामाजिक संदेश।
📅 चैत्र नवरात्रि 2025: तारीखें और खास बातें
चैत्र नवरात्रि 2025 की शुरुआत 30 मार्च 2025 (रविवार) से होगी और समाप्ति 6 अप्रैल 2025 (रविवार) को होगी। इस एक सप्ताह में देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधिपूर्वक पूजा होती है:
- शैलपुत्री
- ब्रह्मचारिणी
- चंद्रघंटा
- कूष्मांडा
- स्कंदमाता
- कात्यायनी
- कालरात्रि
- महागौरी
- सिद्धिदात्री
इस वर्ष विशेष बात यह है कि अष्टमी और नवमी की तिथियां एक ही दिन (5 अप्रैल) को आ रही हैं, जिससे भक्तों के लिए निर्णय लेना थोड़ा कठिन हो सकता है।
लेकिन चिंता की बात नहीं – हम यहां बताएंगे कि क्या है पंचांग आधारित सटीक मुहूर्त, ताकि आप सटीक समय पर कन्या पूजन कर सकें।
🗓️ अष्टमी और नवमी तिथि 2025: पंचांग आधारित जानकारी
इस वर्ष तिथियों का निर्धारण निम्नलिखित है:
- अष्टमी तिथि शुरू होगी:
4 अप्रैल 2025, रात 8:12 बजे
- समाप्त होगी:
5 अप्रैल 2025, शाम 7:26 बजे
- नवमी तिथि शुरू होगी:
5 अप्रैल 2025, शाम 7:26 बजे
- समाप्त होगी:
6 अप्रैल 2025, शाम 7:22 बजे
👉🏻 यानी 5 अप्रैल को दिन में अष्टमी पूजन और शाम से नवमी प्रारंभ।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यदि दोनों तिथियां एक दिन पड़ें तो एक ही दिन दोनों पूजन करने का प्रावधान है। यही कारण है कि अधिकांश भक्त 5 अप्रैल को कन्या पूजन करेंगे।
🙏 कन्या पूजन का महत्व और आध्यात्मिक भावना
कन्या पूजन देवी दुर्गा के जीवंत रूप की पूजा है। ऐसी मान्यता है कि 2 से 10 वर्ष की कन्याएं देवी दुर्गा के नौ रूपों की प्रतीक होती हैं। उन्हें भोजन कराना, पैर धोकर आरती करना, सम्मान देना — ये सब शक्तिरूपा माँ के पूजन का ही हिस्सा है।
बटुक भैरव यानी एक बालक को भी साथ बैठाना पुण्यदायक माना गया है।
इस पूजन के पीछे गहरी भावना छिपी है:
- नारी शक्ति का सम्मान
- बालिकाओं के प्रति प्रेम और आदर
- समाज को यह संदेश देना कि कन्या बोझ नहीं, शक्ति है

🕉️ शुभ मुहूर्त: कब करें कन्या पूजन?
पंचांग और विद्वानों की गणना के अनुसार, 2025 में कन्या पूजन के ये हैं श्रेष्ठ मुहूर्त:
🔷 अष्टमी पूजन मुहूर्त (5 अप्रैल 2025):
- प्रातः 11:59 बजे से दोपहर 12:49 बजे तक
🔷 नवमी पूजन मुहूर्त (6 अप्रैल 2025):
- प्रातः 11:59 बजे से दोपहर 12:50 बजे तक
💡 अगर आप 5 अप्रैल को ही दोनों पूजन करना चाहते हैं, तो अष्टमी पूजन दोपहर में और नवमी पूजन शाम या रात को करें।
❗ टिप: मुहूर्त स्थान-विशेष पर निर्भर करता है। अतः स्थानीय पंचांग या ज्योतिष से परामर्श लेना श्रेष्ठ रहेगा।
📿 कन्या पूजन विधि: स्टेप-बाय-स्टेप गाइड
कन्या पूजन करते समय इन बातों का ध्यान रखें:
📌 पूजन सामग्री:
- साफ आसन, फूल, चावल, हल्दी, कुमकुम, नैवेद्य, मिठाई, भोजन
- पैर धोने हेतु जल
- दक्षिणा और उपहार
🙏 विधि:
- कन्याओं को घर आमंत्रित करें (3, 5, 7 या 9)
- उनके पैर धोकर आसन पर बिठाएं
- माथे पर तिलक लगाएं, फूल चढ़ाएं
- आरती करें, भोजन कराएं
- दक्षिणा, वस्त्र या गिफ्ट दें
- उनके पैर छूकर आशीर्वाद लें
🚫 क्या न करें:
- कन्याओं के साथ भेदभाव न करें
- आधा अधूरा पूजन न करें
- उनके प्रति दिखावा न करें, भावना सच्ची होनी चाहिए
📱 ट्विटर और सोशल मीडिया पर श्रद्धा की झलक
सोशल मीडिया इस बार भी देवी भक्तों से भरा रहेगा। #Navratri2025, #KanyaPujan, और #Ashtami2025 जैसे हैशटैग ट्रेंड करेंगे।
कुछ ट्विटर यूजर्स पहले से ही अपने क्षेत्रीय पूजन की तैयारियों की तस्वीरें साझा कर रहे हैं।
नेताओं और सेलेब्स की ओर से शुभकामनाएं भी देखने को मिलेंगी, जैसे:
📌 “माँ दुर्गा से प्रार्थना है कि हर घर में सुख, शांति और कन्याओं का सम्मान बना रहे। जय माता दी!” – ट्विटर यूजर
यह दिखाता है कि कैसे आज भी धार्मिक परंपराएं लोगों को एकजुट करती हैं।
👧 आज के दौर में कन्या पूजन का सामाजिक संदेश
कन्या पूजन सिर्फ धार्मिक कर्मकांड नहीं, बल्कि यह एक सामाजिक आंदोलन बन सकता है – बालिकाओं के अधिकार, शिक्षा, और समानता को लेकर।
आज जब दुनिया लैंगिक असमानता से जूझ रही है, तब यह पर्व हमें याद दिलाता है कि नारी शक्ति पूजनीय है।
कई संस्थाएं और लोग अब कन्या पूजन के साथ-साथ कन्याओं को किताबें, स्टेशनरी, शिक्षा सामग्री भी भेंट कर रहे हैं — यह नई सोच है।
📝 निष्कर्ष
कन्या पूजन अंधभक्ति नहीं, अपितु यह देवी के उस रूप का सम्मान है जो हर बेटी, बहन और माँ में विद्यमान है।
5 और 6 अप्रैल 2025, दोनों दिन शुभ हैं — आप श्रद्धा और सुविधा अनुसार कन्या पूजन करें।
🗨️ आपकी राय? – कमेंट ज़रूर करें!
👉 आप इस वर्ष अष्टमी पर पूजन करेंगे या नवमी पर?
👉 क्या आप कन्याओं को कुछ नया उपहार देना चाहेंगे?
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