पुजारा की विदाई – भारतीय क्रिकेट के लिए एक भावुक पल
भारतीय क्रिकेट में जब भी भरोसे और धैर्य की बात होगी, तो Cheteshwar Pujara का नाम सबसे ऊपर लिया जाएगा। उन्होंने अपने बल्ले से न केवल भारत को कई अहम मुकाबलों में जीत दिलाई, बल्कि टेस्ट क्रिकेट के असली जज़्बे को भी जिंदा रखा। पुजारा के संन्यास की खबर ने फैन्स को भावुक कर दिया है। यह सिर्फ एक खिलाड़ी का विदाई लेना नहीं है, बल्कि भारतीय क्रिकेट में एक लंबे दौर का अंत है।
शशि थरूर का भावुक संदेश
पुजारा के संन्यास पर कई प्रतिक्रियाएँ सामने आईं, लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा में एक संदेश रहा। एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पुजारा को एक गरिमामय विदाई मिलनी चाहिए थी। उन्होंने इस बात पर दुख जताया कि इतने बड़े टेस्ट बल्लेबाज़ को वह सम्मान नहीं दिया गया, जिसके वह हकदार थे। उनका मानना है कि पुजारा को आखिरी बार मैदान पर उतारकर सम्मानपूर्वक विदाई दी जानी चाहिए थी।
यह संदेश क्रिकेट जगत और फैन्स दोनों के दिल को छू गया। कई लोगों ने इस विचार से सहमति जताई कि पुजारा को “फेयरवेल टेस्ट” मिलना चाहिए था।
I can’t help feeling a pang of regret at the retirement of @cheteshwar1. Even if it was inevitable after his recent string of exclusions from the Indian team, and even if he has nothing left to prove, he deserved a little longer in the saddle and a dignified farewell worthy of… pic.twitter.com/sOwotYcjH8
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) August 24, 2025
Cheteshwar Pujaraका करियर सफर
चेतेश्वर पुजारा का करियर भारतीय क्रिकेट के इतिहास का एक अहम अध्याय है। उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में भारत के लिए कई कठिन हालातों में मैच संभाले। शुरुआती दौर में ही उनकी तकनीक और संयम ने उन्हें खास पहचान दिलाई।
उनका करियर कई यादगार पारियों से भरा रहा—ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड जैसी मजबूत टीमों के खिलाफ विदेशी धरती पर शतक लगाना आसान नहीं होता, लेकिन पुजारा ने यह बार-बार कर दिखाया। उन्होंने 100 से अधिक टेस्ट मैच खेले और भारतीय टीम की जीतों में अहम भूमिका निभाई।
पुजारा को अक्सर “टीम इंडिया की दीवार” कहा गया क्योंकि उन्होंने मुश्किल परिस्थितियों में गेंदबाज़ों के खिलाफ लंबे समय तक डटे रहने की आदत विकसित की।
खास बल्लेबाज़ी स्टाइल
पुजारा की बल्लेबाज़ी आधुनिक क्रिकेट से अलग थी। आज जहां टी20 और वनडे क्रिकेट में तेज़ रन बनाने की होड़ है, वहीं पुजारा ने टेस्ट क्रिकेट की असली खूबसूरती दिखलाई। उनकी तकनीक, संयम और विकेट पर टिके रहने की क्षमता ने उन्हें सबसे अलग बना दिया।
उन्होंने यह साबित किया कि हर बार रन की स्पीड नहीं, बल्कि समय पर टिकना भी मैच जितवा सकता है। यही वजह थी कि उन्हें “Mr. Reliable” कहा जाने लगा।
Wearing the Indian jersey, singing the anthem, and trying my best each time I stepped on the field – it’s impossible to put into words what it truly meant. But as they say, all good things must come to an end, and with immense gratitude I have decided to retire from all forms of… pic.twitter.com/p8yOd5tFyT
— Cheteshwar Pujara (@cheteshwar1) August 24, 2025
क्रिकेट जगत और फैन्स की प्रतिक्रियाएँ
पुजारा के संन्यास के बाद सोशल मीडिया पर संदेशों की बाढ़ आ गई। फैन्स ने उनके लिए सम्मान जताया और कहा कि वह हमेशा याद किए जाएंगे। क्रिकेट के कई दिग्गजों ने भी माना कि उनकी जगह भरना आसान नहीं होगा।
बहुत से लोगों का मानना है कि पुजारा सिर्फ एक खिलाड़ी नहीं, बल्कि टेस्ट क्रिकेट की आत्मा थे। उन्होंने एक पूरी पीढ़ी को धैर्य, संघर्ष और क्लासिकल क्रिकेट का महत्व सिखाया।
विदाई पर सवाल
कई क्रिकेट प्रेमियों ने यह सवाल उठाया कि आखिर क्यों पुजारा को “विदाई मैच” नहीं दिया गया। पिछले समय में कई खिलाड़ियों को अंतिम टेस्ट में सम्मानित किया गया है, लेकिन पुजारा को यह अवसर नहीं मिला। यही कारण है कि उनकी विदाई पर चर्चा और गहराई से बढ़ गई।
दरअसल, बीसीसीआई की विदाई पॉलिसी को लेकर पहले भी सवाल उठ चुके हैं। हाल ही में विराट कोहली और रोहित शर्मा के Farewell Series को लेकर उठा विवाद यहाँ पढ़ें पूरी रिपोर्ट भी यही दिखाता है कि भारतीय क्रिकेट में बड़े खिलाड़ियों की विदाई का मुद्दा लगातार बहस का विषय रहा है।
पुजारा के 5 यादगार पल
- ऑस्ट्रेलिया दौरा 2018–19 – सिडनी और एडिलेड टेस्ट में उनकी शतकीय पारियां भारत को ऐतिहासिक जीत दिलाने में अहम साबित हुईं।
- बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी 2021 – ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ब्रिसबेन टेस्ट में चोटें खाने के बावजूद टिके रहना, और भारत को सीरीज जितवाना।
- इंग्लैंड के खिलाफ धैर्यपूर्ण पारियां – स्विंग और सीम गेंदबाज़ी के बीच उनका लंबा टिके रहना।
- घरेलू मैदानों पर बड़े शतक – कई बार भारतीय फैन्स को जश्न मनाने का मौका दिया।
- “Mr. Reliable” का तमगा – जब भी टीम संकट में आई, पुजारा ने बल्ला थामकर मोर्चा संभाला।
आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा
पुजारा ने यह दिखाया कि टेस्ट क्रिकेट सिर्फ रन बनाने का खेल नहीं, बल्कि धैर्य, क्लास और आत्मविश्वास का भी इम्तिहान है। युवा बल्लेबाज़ उनके खेल से यह सीख सकते हैं कि कभी-कभी धीरे चलना ही सबसे बड़ी जीत होती है।
संभव है कि भविष्य में पुजारा को कोचिंग या मेंटरिंग की भूमिका में देखा जाए, जहां वह नए खिलाड़ियों को सिखा सकें कि किस तरह क्लासिकल बल्लेबाज़ी से भी टीम को जीत दिलाई जा सकती है।
निष्कर्ष
चेतेश्वर पुजारा का करियर भारतीय क्रिकेट के लिए अनमोल रहा है। उनका नाम हमेशा उस खिलाड़ी के रूप में लिया जाएगा जिसने धैर्य और तकनीक के दम पर कई बार भारत को मुश्किल हालातों से बाहर निकाला।
उनकी विदाई भले ही उतनी भव्य न रही हो, लेकिन उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा। फैन्स का मानना है कि उन्हें एक गरिमामय विदाई ज़रूर मिलनी चाहिए थी।