सीरिया और इज़रायल के बीच चल रहे लंबे विवाद ने एक बार फिर गंभीर मोड़ ले लिया है। हाल ही में सीरिया के ड्रूज़ अल्पसंख्यक नेताओं ने एक नया संघर्षविराम घोषित किया, जिससे लोगों में राहत की उम्मीद जगी। लेकिन इसके बावजूद इज़रायल के हवाई हमले दमिश्क और स्वेइदा जैसे इलाकों में लगातार जारी हैं। यह घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है जब क्षेत्र में पहले से ही मानवीय संकट गहरा रहा है।
🟢 ड्रूज़ नेताओं की पहल से आया नया संघर्षविराम
सीरिया के दक्षिणी इलाके स्वेइदा में ड्रूज़ समुदाय की भूमिका हमेशा से महत्वपूर्ण रही है। हाल ही में इन समुदाय के वरिष्ठ नेताओं और सरकारी अधिकारियों के बीच बैठक हुई, जिसमें एक नया संघर्षविराम लागू करने का निर्णय लिया गया।
इस संघर्षविराम का उद्देश्य था:
- स्थानीय स्तर पर हिंसा को रोकना
- नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना
- सरकारी और असैनिक समूहों के बीच वार्ता का रास्ता खोलना
मुख्य बिंदु यह है कि ड्रूज़ समुदाय अब युद्ध नहीं, संवाद चाहता है, लेकिन जमीनी हालात इसे मुश्किल बना रहे हैं।
Syrian government officials and leaders in the Druze religious minority announced Wednesday a renewed ceasefire after days of clashes that led to rare airstrikes by Israel on Damascus.
Video released showed the aftermath of the airstrikes in Syria while the Israel Defense… pic.twitter.com/HEVVtJla75
— The National Desk (@TND) July 16, 2025
🟢 इज़रायल की जवाबी कार्रवाई: दमिश्क और स्वेइदा पर बमबारी
जहां एक ओर ड्रूज़ नेता शांति की पहल कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर इज़रायल ने अपने हवाई हमलों को और तेज कर दिया है।
- इज़रायली वायु सेना ने दमिश्क में सीरियाई रक्षा मंत्रालय के ठिकानों को निशाना बनाया।
- स्वेइदा में भी कई सैन्य प्रतिष्ठानों और शिया मिलिशिया ठिकानों पर हमले हुए।
- इज़रायली सेना का कहना है कि ये हमले “सीरियाई जमीन से होने वाली गतिविधियों को रोकने” के लिए हैं।
इन हमलों के चलते संघर्षविराम के प्रभाव पर सवाल उठने लगे हैं, क्योंकि शांति की घोषणा के तुरंत बाद बमबारी ने माहौल को और तनावपूर्ण बना दिया है।
🟢 सीरियाई सरकार का रुख और रणनीति
सीरिया की बशर अल-असद सरकार ने ड्रूज़ नेताओं की पहल का स्वागत किया है लेकिन इज़रायली हमलों के जवाब में तीखी प्रतिक्रिया दी है।
सरकारी प्रवक्ताओं ने कहा:
- “हम किसी भी प्रकार के बाहरी हस्तक्षेप को बर्दाश्त नहीं करेंगे”
- “सीरिया की संप्रभुता का उल्लंघन हुआ है”
- “इज़रायल को इस आग से खेलने की कीमत चुकानी होगी”
सरकार ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इज़रायल की निंदा की है और संयुक्त राष्ट्र से दखल की मांग भी रखी है।
🟢 स्थानीय जनता की स्थिति और मानवीय संकट
इस संघर्ष का सबसे बड़ा प्रभाव स्थानीय नागरिकों पर पड़ा है। दमिश्क और स्वेइदा के निवासी एक बार फिर विस्थापन और डर के साये में जीने को मजबूर हैं।
- सैकड़ों परिवारों ने अपने घर छोड़ने पड़े
- स्कूल और अस्पताल बंद हो चुके हैं
- खाने-पीने की चीजों की किल्लत बढ़ती जा रही है
मानवाधिकार संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि संघर्षविराम का पालन नहीं हुआ, तो सीरिया एक बार फिर मानवीय आपदा के मुहाने पर खड़ा हो जाएगा।
🟢 अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं और कूटनीतिक दबाव
इस ताजा हालात पर विश्व भर की निगाहें टिकी हुई हैं। कई देशों और संगठनों ने इसपर अपनी प्रतिक्रिया दी है:
- संयुक्त राष्ट्र ने दोनों पक्षों से संयम बरतने की अपील की
- अमेरिका और रूस ने अपने-अपने प्रभाव क्षेत्रों में कूटनीतिक हस्तक्षेप शुरू किया
- ईरान ने इज़रायली हमलों की निंदा करते हुए ड्रूज़ नेताओं की पहल की सराहना की
भारत ने भी इस पूरे मसले पर शांति की अपील की है। इससे जुड़ी अधिक जानकारी के लिए आप हमारी इस खबर को पढ़ सकते हैं: ईरान परमाणु कार्यक्रम पर भारत की प्रतिक्रिया और संघर्षविराम का स्वागत
🟢 ड्रूज़ समुदाय: इतिहास और वर्तमान दबाव
ड्रूज़ समुदाय एक धार्मिक अल्पसंख्यक है जिसकी जड़ें इस्लाम के भीतर गहराई से जुड़ी हैं।
- वे मुख्यतः सीरिया, लेबनान और इज़रायल में बसे हैं
- सीरिया में इनकी आबादी स्वेइदा क्षेत्र में केंद्रित है
- हमेशा से ही वे सत्ता और शांति के बीच संतुलन बनाने का प्रयास करते आए हैं
मौजूदा संकट में इन पर दोतरफा दबाव है—एक ओर सरकार, दूसरी ओर बाहरी ताकतें।
🟢 क्या संघर्षविराम का कोई असर होगा?
यह सवाल अभी अनुत्तरित है कि ड्रूज़ नेताओं की संघर्षविराम की पहल सफल होगी या नहीं।
- एक ओर आम जनता शांति चाहती है
- दूसरी ओर राजनीतिक हित और सैन्य कार्रवाइयां हालात को और पेचीदा बना रही हैं
सवाल यह है कि क्या इज़रायल अपने सैन्य अभियान को रोकेगा? क्या सीरिया सरकार बातचीत के जरिये आगे बढ़ेगी? और सबसे बड़ा सवाल — क्या इस बार आम लोगों को सच में राहत मिलेगी?
एक बार फिर शांति की उम्मीद
सीरिया में हालात जटिल और नाजुक हैं। ड्रूज़ नेताओं की ओर से किया गया संघर्षविराम एक आशा की किरण है, लेकिन इज़रायली हमलों के चलते यह उम्मीद कमजोर होती दिख रही है।
क्या आप मानते हैं कि यह संघर्षविराम पश्चिम एशिया में स्थायी शांति की शुरुआत बन सकता है?
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