हाल ही में कुछ बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने H-1B वीज़ा स्पॉन्सरशिप की अपनी नीति में कड़ा बदलाव किया है — कुछ ने स्पॉन्सरशिप पूरी तरह रोकी तो कुछ ने उसे सीमित कर दिया। इसका प्रभाव उन पेशेवरों पर प्रत्यक्ष है जो अमेरिका में काम करने या नौकरी बदलने की योजना बना रहे हैं।
इसके परिणामस्वरूप नौकरी-खोज, OPT से H-1B ट्रांजिशन, और वित्तीय स्थिरता पर दबाव बढ़ गया है। इस लेख में हम सरल भाषा में बताएंगे कि यह बदलाव क्यों आया, किस प्रकार के लोग प्रभावित होंगे, और आप क्या कदम उठा सकते हैं ताकि अनिश्चितता के बीच भी बेहतर निर्णय ले सकें।
ज़्यादा जानकारी के लिए आप यहाँ पढ़ी जा सकती है।
क्या हुआ? — संक्षेप में घटनाक्रम
पिछले कुछ महीनों में H-1B स्पॉन्सरशिप पर नीतिगत और व्यावहारिक परिवर्तन देखे गए हैं। कई बड़ी टेक और गैर-टेक फर्मों ने अपने भर्ती मानकों में बदलाव किया।
- H-1B-समर्थक पदों को घटाया गया
- नई पोस्टिंग में “विज़ा असिस्ट न होने” की शर्त जोड़ी गई
- कुछ मामलों में स्पॉन्सरशिप अस्थायी रूप से रोक दी गई
ये परिवर्तन एक साथ कई वजहों से हुए: नियामक संशोधन, वीज़ा-शुल्क में वृद्धि, कानूनी अनिश्चितताएँ और लागत-आधारित व्यापारिक निर्णय।
सरल भाषा में: जहाँ पहले कंपनियाँ वैश्विक प्रतिभा को सक्रिय रूप से आकर्षित करती थीं, अब जोखिम और लागत के आधार पर H-1B नीति में बदलाव किया जा रहा है। इसका असर विशेषकर उन उम्मीदवारों पर हुआ है जो अभी OPT/स्टूडेंट वीज़ा पर हैं या जिनकी नौकरी H-1B-स्पॉन्सरशिप पर निर्भर थी।
Trump’s H-1B reforms are having an effect. TCS (Tata Consultancy Services), one of the worst Indian bodyshops and a glorified visa mill, have announced they are no longer hiring H-1Bs.
However, it looks like companies are going to switch to L-1 visas instead. L-1 visas allow a… pic.twitter.com/8T6DGNe7zn
— Matt Forney (@realmattforney) October 13, 2025
किन चार बड़ी कंपनियों से असर पड़ रहा है — पाठक को क्या समझना चाहिए
यहाँ हम कंपनियों के नाम दिए बिना नीति-प्रभाव पर ध्यान केंद्रित करेंगे ताकि पाठक को वास्तविक जानकारी मिले।
कॉर्पोरेट-नाड़ी वाली बड़ी टेक कंपनियाँ: सामूहिक भर्ती-नीतियों में बदलाव आया है। स्पॉन्सरशिप अब केवल टीम की परियोजना-आवश्यकता और पूँजी-लाभ के हिसाब से दी जाती है।
बाहरी परामर्श/कॉन्ट्रैक्ट-आधारित कंपनियाँ: संरचनात्मक कारणों से स्पॉन्सरशिप कम कर दी गई — विशेषकर अनुबंध-आधारित कर्मचारियों के लिए।
राष्ट्रीय सुरक्षा/कानूनी-सेंसिटिव सेक्टर की कंपनियाँ: नियम-कठोर होने के कारण सबसे कम जोखिम लेने वाली नीतियाँ अपनाई गई।
मध्यम आकार की फर्में जो वैश्विक भर्ती करती थीं: अब वे लोकल-हायरिंग को प्राथमिकता दे रही हैं, विशेषकर वीज़ा प्रक्रिया पेचीदा होने पर।
मुख्य बात: कंपनियों के रुख का पैटर्न यही है — खर्च, जोखिम और कानूनी अनिश्चितता को कम करना। नामों पर ध्यान कम, नीति-प्रभाव और आपकी तैयारी पर ध्यान अधिक दें।
H-1B स्पॉन्सरशिप क्यों घट रही है — कारणों की व्याख्या
नीतिगत और नियामक दबाव: कानूनी नियमों ने कंपनियों को अतिरिक्त दस्तावेज़ी और अनुपालन लागत देने पर मजबूर किया।
कानूनी जोखिम और समीक्षा: वीज़ा प्रक्रिया में धोखाधड़ी या गलत प्रविष्टि की चिंताओं से कंपनियों ने रिस्क-मैनेजमेंट कड़ा किया।
लागत-आधारित निर्णय: H-1B स्पॉन्सरशिप में कानूनी, प्रशासनिक और फीस-सम्बन्धी लागतें आती हैं — खासकर छोटे पदों पर रिटर्न सीमित होने पर लोकल भर्ती को प्राथमिकता दी जा रही है।
स्थानीय भर्ती की प्राथमिकता: ‘लोकल-टैलेंट’ को बढ़ावा देने वाले नियमों का प्रभाव भी नीति बदलने में देखा गया।
बदलते बिज़नेस मॉडल: क्लाउड, ऑटोमेशन और लो-कोस्ट डिलीवरी मॉडल के कारण कई भूमिकाएँ रिमोट या आउटसोर्सिंग पर शिफ्ट हुईं।
निष्कर्ष: H-1B-पर निर्भर भूमिकाएँ अब पहले जैसी सार्वभौमिक नहीं रहीं।
इसका असर उम्मीदवारों और भारतीय पेशेवरों पर
- नौकरी-खोज कठिन हुई: हर ओपनिंग पर H-1B-सपोर्ट की उम्मीद जोखिमभरी
- OPT-to-H1B ट्रांजिशन में अनिश्चितता: स्पॉन्सरशिप कमी ने प्लानिंग प्रभावित की
- मानसिक और वित्तीय दबाव: करियर-परिवर्तन, घर लौटना या वैकल्पिक देशों में अवसर खोजने की मजबूरी
- कानूनी जोखिम का डर: वीज़ा स्थिति अस्थिर होने की आशंका
- रिमोट-वर्क और वैकल्पिक मार्ग: कई प्रोफेशनल रिमोट जॉब, ग्लोबल कॉन्ट्रैक्ट या अन्य देशों के विकल्प तलाश रहे
अधिकारी और कंपनियों द्वारा उठाए जा रहे कदम
- अस्थायी नीतियाँ और प्रतिबंध: विशिष्ट देशों/रोल्स के लिए अस्थायी स्पॉन्सरशिप रोक
- इंटरनल-हायरिंग-बूस्ट: लोकल-टैलेंट को ट्रेनिंग
- वैकल्पिक वीज़ा-मार्गों की वकालत: प्रक्रियाओं में स्पष्टता और अनुपालन-भार कम
- रिमोट-पहलों का विस्तार: रिमोट-कांट्रैक्ट प्राथमिक
लक्ष्य: जोखिम और लागत कम करके व्यापार स्थिरता बनाए रखना, जबकि वैश्विक अवसर पर असर पड़ना अनिवार्य हुआ।
अगर आप प्रभावित हैं, तो क्या करें
- रि-स्किल / अपस्किल करें: तकनीकी और सॉफ्ट-स्किल्स अपडेट
- रोल-फ्लेक्सिबिलिटी अपनाएँ: रिमोट, कन्ट्रैक्ट या फ्रिलांस विकल्प देखें
- वैकल्पिक देशों के वीज़ा विकल्प: स्टार्टअप-विज़ा, ब्लू-कार्ड मॉडल आदि
- नेटवर्किंग और इंटरनल-रिफरल: सीधे रिक्रूटर्स और कंपनी के संपर्क
- कानूनी सलाह लें: इमीग्रेशन-अटॉर्नी से मार्गदर्शन
- वित्तीय योजना संशोधित करें: बचत/बैक-अप प्लान रखें
- कंपनी-नीति जानें: जॉब इंटरव्यू में स्पॉन्सरशिप स्पष्ट करें
इन उपायों से अनिश्चितता में भी नियंत्रण में रहें और बेहतर करियर निर्णय लें।
आगे किस तरह सोचें
H-1B स्पॉन्सरशिप में हालिया बदलाव वैश्विक भर्ती और प्रतिभा-आकर्षण के तरीकों में बदलाव का संकेत हैं। INFORMED और PROACTIVE रहने से प्रभाव कम किया जा सकता है: स्किल-अप करना, वैकल्पिक मार्ग तलाशना और कानूनी समझ रखना जरूरी है।
क्या यह बदलाव आपने या आपके जानकारों ने महसूस किया है? नीचे कमेंट करें — आपकी कहानी और सवाल दूसरों के लिए मददगार हो सकते हैं।




















