भारत में इंटरनेट उपयोग और डिजिटल लेन-देन में तेजी के साथ साइबर फ्रॉड के मामले भी चिंताजनक रूप से बढ़े हैं। आए दिन लोग मोबाइल कॉल, मैसेज या ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के माध्यम से ठगी का शिकार हो रहे हैं। सरकार ने अब इन बढ़ते खतरों पर लगाम लगाने के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जो आम नागरिकों को इन फ्रॉड से बचाने के लिए बनाए गए हैं।
DOT के नए दिशानिर्देश: क्या हैं बदलाव
भारत सरकार के दूरसंचार विभाग (DoT) ने डिजिटल फ्रॉड को रोकने के लिए कई नई पहलें शुरू की हैं। इनमें प्रमुख है एक केंद्रीय प्लेटफॉर्म, जिसके माध्यम से सभी मोबाइल नंबरों की वैधता जांची जाएगी।
अब मोबाइल यूजर्स को यह जानकारी मिल सकेगी कि कोई नंबर वैध है या नहीं। इसके लिए एक सेंट्रलाइज्ड सिस्टम तैयार किया गया है जो उपयोगकर्ताओं को मोबाइल नंबर की स्थिति दर्शाएगा।
इसके अलावा, spoofing (जहां कॉल या मैसेज किसी और की पहचान के साथ आता है) को रोकने के लिए Sender ID की प्रमाणीकरण प्रक्रिया भी कड़ी कर दी गई है। यह सुनिश्चित करेगा कि कोई फर्जी नंबर से सरकारी या बैंकिंग मैसेज न भेज सके।
Fraud Risk Indicator Tool क्या है और कैसे करेगा मदद
DoT द्वारा विकसित किया गया Fraud Risk Indicator Tool (FRIT) एक नई तकनीक है जो मोबाइल नंबर की जांच कर उसकी धोखाधड़ी की संभावना का संकेत देता है।
यह टूल कॉल करने वाले नंबर की साख की जांच करता है और यूजर को सूचित करता है कि उस नंबर से जुड़ा कोई पूर्व फ्रॉड रिकॉर्ड है या नहीं। इससे यूजर तुरंत सतर्क हो सकता है और उस नंबर से बातचीत से बच सकता है।
यह टूल खासकर उन मामलों में उपयोगी है जहां यूजर्स को अनजान नंबर से कॉल आती है और उन्हें शक होता है कि ये धोखाधड़ी हो सकती है।
नागरिकों के लिए नए नियमों का प्रभाव
नए दिशा-निर्देश सीधे तौर पर आम नागरिकों को साइबर ठगी से बचाने पर केंद्रित हैं।
पहला बड़ा बदलाव है कि हर मोबाइल नंबर अब एक पंजीकृत पहचान से जुड़ा होगा और नागरिक अपने मोबाइल पर यह जांच सकेंगे कि कोई कॉल करने वाला नंबर वैध है या नहीं। इससे SMS spoofing और OTP चोरी जैसे मामलों में बड़ी कमी आएगी।
इन नियमों से ना सिर्फ ट्रांसपेरेंसी बढ़ेगी, बल्कि लोग खुद को पहले से बेहतर सुरक्षित महसूस करेंगे।
ऑनलाइन ‘लाइक्स’ और ‘रेटिंग’ से पैसे कमाने के नाम पर हो रही साइबर ठगी से सावधान रहें।
लुभावने ऑफर के जरिए लोगों के साथ ठगी करते हैं।
सावधान! ये नया साइबर फ्रॉड है।
फ्रॉड की 1930 और https://t.co/4k06czxAbN पर शिकायत करें।#RajasthanPolice #CyberAwareness pic.twitter.com/uJ1lh0Woxg
— Rajasthan Police (@PoliceRajasthan) June 25, 2025
टेलीकॉम कंपनियों की भूमिका और ज़िम्मेदारी
नए निर्देशों के अनुसार, अब टेलीकॉम कंपनियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि हर नंबर का KYC वैध और अद्यतन हो।
कोई भी नया नंबर जारी करने से पहले कंपनियों को पूरी प्रक्रिया से गुजरना होगा। DoT ने सख्ती से कहा है कि किसी भी संदिग्ध नंबर को तुरंत ब्लॉक किया जाए और उसके बारे में संबंधित एजेंसियों को सूचित किया जाए।
इससे पहले जहां सिर्फ यूजर्स की जिम्मेदारी थी कि वे सतर्क रहें, अब कंपनियों को भी बराबरी की जवाबदेही निभानी होगी।
आम नागरिक कैसे करें साइबर फ्रॉड से बचाव
नए टूल्स और प्लेटफॉर्म का लाभ उठाने के लिए नागरिकों को भी जागरूक होना होगा।
- अनजान नंबर से कॉल आने पर FRIT टूल या DoT पोर्टल के माध्यम से उस नंबर की जांच की जा सकती है।
- यदि कोई नंबर संदिग्ध लगे, तो उसे DoT के सेंट्रल पोर्टल पर रिपोर्ट करना चाहिए।
- किसी को भी OTP, बैंक डिटेल्स, या पर्सनल जानकारी साझा न करें।
- दो-चरणीय सुरक्षा (2FA) को हमेशा सक्रिय रखें और मजबूत पासवर्ड का उपयोग करें।
- सरकारी अथवा बैंक से संबंधित कॉल या SMS आए तो उनकी आधिकारिक वेबसाइट से वैधता जांच लें।
साइबर सुरक्षा का पहला कदम सतर्कता है। अगर आम नागरिक जागरूक रहेंगे तो कई तरह के फ्रॉड से खुद को और दूसरों को बचा पाएंगे।
हाल की घटनाओं से सीख
पिछले कुछ महीनों में देश भर में कई बड़े साइबर फ्रॉड केस सामने आए हैं, जिनमें लोगों को अनजान कॉल्स, लिंक या ऐप्स के माध्यम से लाखों का नुकसान हुआ।
एक केस में दिल्ली के एक रिटायर्ड सरकारी अधिकारी को इनकम टैक्स विभाग के नाम पर कॉल कर 5 लाख रुपये की ठगी कर ली गई। जांच में पाया गया कि कॉल एक spoofed ID से की गई थी जो असली सरकारी नंबर की तरह दिखती थी।
ऐसे मामलों से यह स्पष्ट होता है कि तकनीकी जागरूकता और सरकारी दिशा-निर्देशों का पालन ही साइबर अपराध से सुरक्षा की कुंजी है।
सुरक्षित भविष्य की ओर: तकनीक और सतर्कता की साझेदारी
सरकार की ओर से जो दिशा-निर्देश लागू किए गए हैं, वे निश्चित ही एक बड़ी शुरुआत हैं। परंतु इनका लाभ तभी होगा जब आम नागरिक और टेलीकॉम कंपनियां भी अपनी भूमिका ईमानदारी से निभाएं।
सरकार की योजना यह सुनिश्चित करने की है कि भारत डिजिटल तो बने, पर सुरक्षित भी रहे।
वहीं नागरिकों की भी जिम्मेदारी है कि वे दिए गए टूल्स का सही उपयोग करें और सतर्कता को अपनाएं।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से मदद
साइबर सुरक्षा में अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का भी उपयोग हो रहा है। FRIT जैसे टूल्स AI एल्गोरिद्म पर आधारित होते हैं जो कॉलिंग पैटर्न, फ्रॉड हिस्ट्री और अन्य फैक्टर्स के आधार पर संभावित खतरे का अनुमान लगाते हैं।
भारत में AI आधारित टूल्स का तेजी से विस्तार हो रहा है। अगर आपको इस बारे में और जानकारी चाहिए तो आप इस लेख को पढ़ सकते हैं, जिसमें भारत में उपयोग हो रहे प्रमुख AI टूल्स का विस्तृत विवरण दिया गया है।
निष्कर्ष
साइबर फ्रॉड एक ऐसा खतरा है जो हर दिन तेजी से बदल रहा है। सरकार द्वारा उठाए गए ये कदम नागरिकों को सुरक्षित रखने के लिए अत्यंत आवश्यक हैं।
इन दिशा-निर्देशों का सही पालन कर हम न केवल खुद को बल्कि पूरे डिजिटल इंडिया को सुरक्षित बना सकते हैं।