परिवार की असली ताकत रिश्तों से आती है और इनमें दादा-दादी और नाना-नानी की भूमिका सबसे अहम मानी जाती है। आधुनिक समय में जब लोग अपनी व्यस्त जिंदगी में भागते रहते हैं, तब भी बुज़ुर्ग अपने अनुभव, संस्कार और स्नेह से परिवार को जोड़कर रखते हैं। इन्हीं रिश्तों को सम्मान देने के लिए हर साल ग्रैंड पेरेंट्स डे मनाया जाता है।
यह दिन सिर्फ बुज़ुर्गों का सम्मान करने का अवसर नहीं है बल्कि बच्चों और युवाओं के लिए भी एक याद दिलाने वाला मौका है कि जिनकी वजह से आज हम इस मुकाम पर हैं, उनका आभार कैसे जताया जाए।
ग्रैंड पेरेंट्स डे 2025 की तारीख और कैलेंडर अपडेट
2025 में ग्रैंड पेरेंट्स डे सितंबर के दूसरे रविवार को मनाया जाएगा। इस साल यह दिन 14 सितंबर 2025 को पड़ेगा।
- अमेरिका सहित कई देशों में यह दिन हर साल सितंबर के दूसरे रविवार को मनाया जाता है।
- भारत में भी पिछले कुछ वर्षों से इस दिन को स्कूलों, कॉलेजों और समाजिक संस्थाओं द्वारा विशेष तौर पर मनाया जाने लगा है।
- यूरोप और एशिया के कई देशों ने भी इसे अपनी संस्कृति में जगह दी है।
इतिहास और शुरुआत
ग्रैंड पेरेंट्स डे की शुरुआत संयुक्त राज्य अमेरिका से हुई थी। 1970 के दशक में वेस्ट वर्जीनिया की एक सामाजिक कार्यकर्ता, मारियन मैक्वेड, ने इस दिन की नींव रखी। उनका उद्देश्य था कि समाज बुज़ुर्गों के महत्व को समझे और उनके योगदान को सम्मानित करे।
1978 में अमेरिकी राष्ट्रपति ने इसे आधिकारिक मान्यता दी और तब से यह एक राष्ट्रीय अवसर बन गया। धीरे-धीरे यह परंपरा दुनिया के अन्य देशों में भी फैल गई और आज यह एक अंतरराष्ट्रीय उत्सव बन चुका है।
ग्रैंड पेरेंट्स की अहमियत
- परिवार की जड़ों से जोड़ने वाले – दादा-दादी और नाना-नानी बच्चों को परिवार की कहानियों और परंपराओं से जोड़ते हैं।
- संस्कारों के वाहक – वे अगली पीढ़ी को जीवन के मूल्यों और संस्कारों की शिक्षा देते हैं।
- भावनात्मक सहारा – जब माता-पिता व्यस्त रहते हैं, तो दादा-दादी बच्चों के सबसे करीब होते हैं।
- अनुभव का खजाना – उनकी जीवन यात्रा और अनुभव परिवार के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।
आज के बदलते समय में जहां न्यूक्लियर फैमिली का चलन बढ़ रहा है, वहां भी बुज़ुर्गों की मौजूदगी परिवार को मजबूती देती है।
भारत में ग्रैंड पेरेंट्स डे का महत्व
भारतीय संस्कृति में बुज़ुर्गों का सम्मान सदियों से किया जाता रहा है। वे सिर्फ परिवार के मुखिया नहीं बल्कि संस्कारों और परंपराओं के रक्षक भी हैं।
संयुक्त परिवार की परंपरा में दादा-दादी और नाना-नानी बच्चों की परवरिश का अहम हिस्सा रहे हैं। हालांकि आज शहरीकरण और व्यस्त जीवनशैली के कारण परिवार छोटे हो गए हैं, लेकिन बुज़ुर्गों की अहमियत कम नहीं हुई है।
यही कारण है कि भारत में ग्रैंड पेरेंट्स डे को अब शिक्षा संस्थानों और समाजिक मंचों पर खास महत्व दिया जाने लगा है।
👉 इसी तरह भारतीय त्योहार भी परिवार को जोड़ते हैं। उदाहरण के लिए अनंत चतुर्दशी 2025 का पर्व पूरे परिवार को एक साथ लाकर भगवान गणेश की विदाई में सामूहिक भावनाएँ प्रकट करता है। यह दर्शाता है कि भारतीय संस्कृति में हर उत्सव रिश्तों और एकता का प्रतीक है।
ग्रैंड पेरेंट्स डे 2025 कैसे मनाएँ
ग्रैंड पेरेंट्स डे को मनाने के कई तरीके हैं, जो न सिर्फ बुज़ुर्गों को खुशी देंगे बल्कि परिवार को भी और करीब लाएँगे।
- परिवार के साथ समय बिताएँ – दादा-दादी या नाना-नानी को परिवार संग आउटिंग पर ले जाएँ।
- खास गिफ्ट दें – उनके शौक और ज़रूरत के अनुसार गिफ्ट देकर आभार जताएँ।
- बच्चों की भागीदारी – पोते-पोतियाँ कोई कविता, गाना या छोटा नाटक पेश कर सकते हैं।
- सोशल मीडिया कैंपेन – परिवार की तस्वीरें और यादें शेयर कर उन्हें सम्मानित करें।
- स्कूल और कॉलेज प्रोग्राम – बच्चों को बुज़ुर्गों की कहानियाँ सुनाने और उनसे जुड़ने के लिए प्रेरित करें।
बुज़ुर्गों की देखभाल और ज़िम्मेदारी
यह दिन सिर्फ एक उत्सव नहीं बल्कि हमें यह याद दिलाता है कि बुज़ुर्गों की देखभाल हर दिन हमारी ज़िम्मेदारी है।
- उनके स्वास्थ्य का ध्यान रखें।
- उन्हें मानसिक शांति और प्यार दें।
- उनकी बातों को सुनें और उन्हें परिवार के निर्णयों में शामिल करें।
- यह समझें कि सम्मान और देखभाल किसी एक दिन तक सीमित नहीं होनी चाहिए।
ग्रैंड पेरेंट्स डे से जुड़े लेटेस्ट ट्रेंड्स (2025)
- 2025 में कई संस्थाएँ बुज़ुर्गों की हेल्थ और वेलनेस को लेकर विशेष अभियान चला रही हैं।
- सोशल मीडिया पर #GrandparentsDay2025 जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं।
- भारत के कई शहरों में विशेष सांस्कृतिक कार्यक्रम और सोशल ड्राइव आयोजित होंगे।
- इस साल स्कूलों और कॉलेजों में भी ग्रैंड पेरेंट्स डे पर इंटरैक्टिव सेशंस और प्रतियोगिताएँ होंगी।
पाठकों से जुड़ाव
ग्रैंड पेरेंट्स डे 2025 सिर्फ एक कैलेंडर इवेंट नहीं बल्कि हमारे जीवन का मूल्यवान अवसर है। यह दिन हमें यह सिखाता है कि दादा-दादी और नाना-नानी के बिना परिवार अधूरा है।
उनकी मुस्कान, उनका प्यार और उनका मार्गदर्शन ही परिवार की नींव को मजबूत बनाता है।
👉 अब सवाल आपके लिए – आप इस बार अपने ग्रैंड पेरेंट्स डे को कैसे खास बनाएँगे? नीचे कमेंट में ज़रूर बताइए और अपने अनुभव साझा करें।




















