IPL 2025 का सीज़न हर मैच के साथ और भी रोमांचक होता जा रहा है। हर टीम नई रणनीतियाँ अपना रही है और हर मैच में कुछ न कुछ चौंकाने वाला देखने को मिल रहा है। हाल ही में एक ऐसा ही फैसला गुजरात टाइटन्स (GT) ने लिया, जिसने क्रिकेट फैंस को हैरान कर दिया।
₹3.2 करोड़ में खरीदे गए ऑलराउंडर वॉशिंगटन सुंदर को राजस्थान रॉयल्स के खिलाफ खेले गए मैच में प्लेइंग इलेवन से बाहर कर दिया गया। ये फैसला तब और भी बड़ा लगने लगा जब GT ने इस मुकाबले में शानदार जीत दर्ज की।
तो आखिर क्यों एक प्रदर्शन करता खिलाड़ी बेंच पर बैठा दिया गया? क्या ये रणनीति का हिस्सा था या कुछ और? इस लेख में हम इस पूरे घटनाक्रम की गहराई से पड़ताल करेंगे।
कौन हैं वॉशिंगटन सुंदर और क्यों है उनका बाहर बैठना बड़ा मुद्दा?
वॉशिंगटन सुंदर भारत के उन युवा खिलाड़ियों में से हैं जो गेंद और बल्ले दोनों से कमाल दिखा सकते हैं। बाएं हाथ के बल्लेबाज और ऑफ स्पिन गेंदबाज सुंदर ने IPL में खुद को एक उपयोगी ऑलराउंडर के रूप में स्थापित किया है। GT ने उन्हें ₹3.2 करोड़ की मोटी रकम देकर अपनी टीम में शामिल किया था, जिससे ये उम्मीद लगाई जा रही थी कि वो टीम का अहम हिस्सा होंगे।
Wonderful knock played by Washington Sundar in his debut match for Gujarat Titans @gujarat_titans in #TATAIPL2025 💥 💥
Hey @sundarpichai did you miss this guy from Tamil Nadu.
Well, your wish was justified.
Will @Google analysis rule @Sundarwashi5 out?
Anyway great display… pic.twitter.com/CsD87G3Ydz
— Ashwini Roopesh (@AshwiniRoopesh) April 6, 2025
सुंदर पावरप्ले में गेंदबाज़ी करने में माहिर हैं और उनकी बल्लेबाज़ी भी टीम को अंत के ओवरों में गहराई देती है। ऐसे में जब उन्हें प्लेइंग इलेवन से बाहर किया गया, तो ये सवाल उठना लाज़मी था कि क्यों?
GT vs RR मैच का हाल: एकतरफा मुकाबला, लेकिन रणनीति दिलचस्प
राजस्थान रॉयल्स के खिलाफ GT ने पहले बल्लेबाज़ी करते हुए 217 रन बनाए, जिसमें सबसे बड़ा योगदान रहा साई सुदर्शन का। उन्होंने 53 गेंदों पर 82 रनों की शानदार पारी खेली। गेंदबाज़ी में भी GT ने जबरदस्त प्रदर्शन किया और RR को मात्र 159 रनों पर समेट दिया।
प्रसिध कृष्णा ने 3 विकेट झटके, वहीं राशिद खान और साई किशोर ने 2-2 विकेट लेकर राजस्थान की कमर तोड़ दी। सुंदर इस पूरे मुकाबले में बेंच पर बैठे रहे।
टीम जीती जरूर, लेकिन सवाल यही बना रहा — सुंदर को क्यों नहीं खिलाया गया?
पर्थिव पटेल का बयान: “हमारे पास काफी बल्लेबाज़ थे”
मैच के बाद GT के असिस्टेंट कोच पर्थिव पटेल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में सुंदर को बाहर रखने के फैसले पर बात की। उन्होंने साफ कहा:
“सुंदर हमारे स्क्वॉड का हिस्सा हैं, लेकिन हर मैच की स्थिति अलग होती है। इस मुकाबले में हमें लगा कि एक अतिरिक्त तेज गेंदबाज ज़्यादा उपयोगी रहेगा।”
उन्होंने आगे जोड़ा,
“अगर शुरुआत में जल्दी विकेट गिरते तो कहानी कुछ और होती। लेकिन हमारे पास पहले से ही ऐसे बल्लेबाज़ थे जो जरूरत पड़ने पर रन बना सकते थे।”
इस बयान से साफ है कि सुंदर को हटाने का फैसला रणनीतिक था, न कि उनके प्रदर्शन को देखते हुए।
टीम का लचीलापन: GT की सबसे बड़ी ताकत
GT की खासियत है उनका लचीला टीम कॉम्बिनेशन। वे हर मैच में परिस्थिति के अनुसार टीम बनाते हैं। अगर पिच तेज गेंदबाजों को मदद दे रही हो, तो स्पिनर को बाहर करना समझदारी हो सकती है।
सुंदर जैसे खिलाड़ी की उपयोगिता पिच पर भी निर्भर करती है। अगर विकेट स्लो हो और स्पिन को टर्न मिल रही हो, तो उनकी जगह पक्की होती है। लेकिन इस मैच में प्लेसिड (सपाट) विकेट और हाई स्कोरिंग गेम को देखते हुए टीम ने एक अतिरिक्त पेसर को तरजीह दी।
GT का बैलेंस: बल्लेबाज़ी और गेंदबाज़ी का सही मिश्रण
GT के लिए यह फैसला इसलिए भी काम कर गया क्योंकि बल्लेबाज़ी क्रम पहले से ही मजबूत था — साई सुदर्शन, शुभमन गिल, डेविड मिलर और राहुल तेवतिया जैसे खिलाड़ी पहले से लाइनअप में थे। ऐसे में सुंदर की बल्लेबाज़ी की आवश्यकता नहीं पड़ी।
गेंदबाज़ी में भी साई किशोर ने सुंदर की कमी नहीं महसूस होने दी। लेफ्ट आर्म स्पिन और टाइट लाइन लेंथ से उन्होंने विपक्षी बल्लेबाज़ों को बांध कर रखा।
राजस्थान रॉयल्स की राय: “टारगेट चेज़ किया जा सकता था”
राजस्थान रॉयल्स के स्पिन गेंदबाज़ी कोच सैराज बहुटुले ने GT की रणनीति की सराहना की। उन्होंने कहा:
“वो 200+ स्कोर एकदम पार स्कोर था, और हम उसे चेज़ कर सकते थे अगर हम सही पार्टनरशिप बना पाते।”
उन्होंने साई सुदर्शन की तारीफ करते हुए कहा कि उन्होंने मैच का रुख पूरी तरह बदल दिया।
इसका सीधा संकेत था कि GT ने न केवल प्लानिंग सही की, बल्कि उसे बखूबी अंजाम भी दिया।
IPL और टीम चयन का दबाव: आंकड़े नहीं, परिस्थितियाँ बोलती हैं
IPL जैसे टूर्नामेंट में खिलाड़ियों की कीमत, नाम और ब्रांड वैल्यू से ज़्यादा अहम होता है — उस मैच में उनकी भूमिका कितनी फिट बैठती है। वॉशिंगटन सुंदर एक मैच विनर हैं, इसमें शक नहीं, लेकिन हर मैच उनकी ज़रूरत नहीं होती।
GT ने सुंदर को बाहर कर यह साबित कर दिया कि उनके लिए टीम का बैलेंस और जीत की संभावना सबसे बड़ी प्राथमिकता है। ऐसे फैसले ही किसी टीम को चैंपियन बनाते हैं।
क्या सुंदर करेंगे वापसी?
यह कहना जल्दबाज़ी होगी कि सुंदर को लेकर टीम ने भरोसा खो दिया है। IPL लंबा टूर्नामेंट है और पिचें बदलती रहती हैं। अगर कोई स्पिन-फ्रेंडली विकेट आती है, तो सुंदर निश्चित रूप से GT की पहली पसंद होंगे।
उनकी ऑलराउंड क्षमता ऐसी है जो टीम को कई तरह से फायदा देती है। अगले कुछ मुकाबलों में हम उन्हें फिर से मैदान पर देख सकते हैं।
GT की जीत के मायने: रणनीति vs नाम
सुंदर को हटाना एक बड़ा नाम हटाने जैसा था, लेकिन टीम ने दिखाया कि रणनीति और परिस्थिति के अनुसार फैसले लेना ही असली क्रिकेट होता है। चाहे वो ₹3.2 करोड़ का खिलाड़ी हो या कोई उभरता हुआ युवा — GT हर किसी के लिए एक समान नीति अपनाती है।
निष्कर्ष
गुजरात टाइटन्स का यह कदम दिखाता है कि IPL में केवल नाम नहीं, मैच की ज़रूरत मायने रखती है। सुंदर को बाहर करना एक बड़ा फैसला था, लेकिन नतीजे ने साबित किया कि रणनीति सही थी।
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क्या GT ने वॉशिंगटन सुंदर को बाहर रखकर सही रणनीति अपनाई? या फिर एक बड़े खिलाड़ी को मौका देना चाहिए था?
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