उत्तराखंड के हरिद्वार में स्थित प्रसिद्ध मां मनसा देवी मंदिर में शनिवार देर शाम एक भीषण भगदड़ की घटना सामने आई, जिसमें कम से कम 6 लोगों की मौत हो गई और कई घायल बताए जा रहे हैं। यह हादसा उस वक्त हुआ जब मंदिर में भारी भीड़ उमड़ी हुई थी और अचानक बिजली के तार टूटने की अफवाह फैल गई। चंद सेकंडों में स्थिति भयावह हो गई और श्रद्धालु एक-दूसरे को रौंदते हुए भागने लगे।
🛑 हादसा कैसे हुआ? भीड़ कैसे बेकाबू हुई?
मंदिर प्रशासन के अनुसार, यह हादसा उस समय हुआ जब हजारों श्रद्धालु मंदिर में दर्शन के लिए लाइन में खड़े थे। भीड़ पहले से ही अपेक्षाकृत ज्यादा थी और शाम होते-होते वह “बहुत तेजी से बहुत बड़ी” हो गई। इसी बीच, यह अफवाह फैल गई कि मंदिर परिसर के पास बिजली का तार टूट गया है, जिससे श्रद्धालुओं में दहशत फैल गई।
👉 “भीड़ बहुत तेज़ी से बढ़ी और बेकाबू हो गई” – चश्मदीद श्रद्धालु
कुछ लोगों ने अफरातफरी में दौड़ना शुरू किया, जिससे बाकी श्रद्धालु भी घबरा गए और देखते ही देखते भगदड़ मच गई। सीढ़ियों, गलियारों और मंदिर प्रांगण में मौजूद लोगों को बचने का मौका तक नहीं मिला। कुछ लोग नीचे गिर गए और कई उनके पैरों तले रौंदे गए।
💔 मृतक कौन थे और घायल कहां हैं?
सरकारी बयान के मुताबिक, अब तक 6 श्रद्धालुओं की मौत की पुष्टि हो चुकी है। मृतकों में अधिकांश महिलाएं थीं जो परिवार के साथ दर्शन के लिए आई थीं। घायलों की संख्या करीब 15 बताई जा रही है, जिनमें से कुछ की हालत गंभीर है। उन्हें हरिद्वार और ऋषिकेश के नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।
👉 “कई शवों की पहचान तक नहीं हो पाई” – मेडिकल स्टाफ
हादसे के बाद मंदिर परिसर में अफरातफरी का माहौल बना रहा। कई लोगों के मोबाइल, चप्पल, बैग आदि भीड़ में गुम हो गए। कई परिवार अपने बिछड़े सदस्यों को खोजते रहे। यह मंजर श्रद्धालुओं की आंखों में डर और प्रशासन के प्रति गुस्से के साथ उभरा।
Stampede at #Haridwar‘s Mansa Devi temple, 6 people died
25 to 30 people injured in the stampede
It is being said that this accident happened due to electric current in the stairs pic.twitter.com/co7QG0Vn0r
— Siraj Noorani (@sirajnoorani) July 27, 2025
🔥 अफवाह ने कैसे बिगाड़ा हालात?
पूरा मामला एक झूठी अफवाह पर आधारित निकला। मंदिर प्रशासन और स्थानीय पुलिस ने पुष्टि की कि कहीं भी कोई बिजली का तार नहीं टूटा था और करंट लगने जैसी कोई घटना नहीं हुई थी। लेकिन किसी एक व्यक्ति ने जब ‘करंट लगने’ की बात चिल्ला दी, तो कुछ सेकंड में स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई।
👉 “अगर अफवाह पर तुरंत रोक लगाई जाती, तो जानें बच सकती थीं” – एक अफसर की प्रतिक्रिया
बिना सत्यापन के इस अफवाह ने लोगों की जान ले ली। अब पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि यह अफवाह फैलाने वाला व्यक्ति कौन था और क्या उसके पीछे कोई मकसद था।
🚨 प्रशासनिक चूक और सुरक्षा की पोल
यह हादसा केवल अफवाह की वजह से नहीं, बल्कि प्रशासनिक असावधानी और व्यवस्थागत कमी के कारण भी हुआ। मौके पर पर्याप्त पुलिस बल मौजूद नहीं था, न ही भीड़ को संभालने के लिए कोई बैरिकेडिंग या कंट्रोल गेट लगे थे। श्रद्धालुओं की लाइनें अव्यवस्थित थीं और दिशा-निर्देश देने वाला कोई मौजूद नहीं था।
👉 “सिर्फ भीड़ प्रबंधन होता, तो यह हादसा टल सकता था” – स्थानीय दुकानदार
मंदिर के बाहर भी पार्किंग से लेकर प्रवेश द्वार तक अव्यवस्था का आलम था। दर्शन व्यवस्था को नियंत्रित करने के लिए लगाए गए CCTV कैमरे जरूर थे, लेकिन उनके आधार पर पहले कोई चेतावनी नहीं दी गई। इससे पहले भी सालों में छोटे हादसे होते रहे हैं, लेकिन कभी किसी गंभीर कदम की जरूरत नहीं समझी गई।
👮♂️ प्रशासन और पुलिस का क्या कहना है?
हादसे के तुरंत बाद जिला प्रशासन हरकत में आया और DM और SSP ने मौके का दौरा किया। पुलिस ने मंदिर प्रशासन के साथ मिलकर स्थिति को सामान्य किया और भीड़ को हटाया। अब CCTV फुटेज की जांच की जा रही है और घटनास्थल पर मौजूद सभी अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी गई है।
👉 “हम जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे” – जिला प्रशासन
On the stampede at Mansa Devi temple, Haridwar SSP said –
‘A total of 35 people were brought to the hospital. Out of these, 6 people have died so far. A rumour spread that a wire had broken on the staircase of the temple, which caused the stampede.’ pic.twitter.com/PiONsWqE59
— Mohd Nadeem Siddiqui🇮🇳 (@nadeemwrites) July 27, 2025
प्रशासन ने यह भी दावा किया कि मंदिर में श्रद्धालुओं की अनुमानित संख्या से तीन गुना अधिक लोग पहुंचे थे, जिससे हालात संभालना मुश्किल हो गया। इसी बीच राजधानी दिल्ली से लेकर देश की संसद तक, धार्मिक स्थलों की सुरक्षा को लेकर बहस शुरू हो गई है, जहां ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे मामलों को लेकर भी सरकार की रणनीति पर सवाल उठ रहे हैं। संसद में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर छिड़ी बहस इस पूरे घटनाक्रम के बीच और अधिक प्रासंगिक हो जाती है।
इस घटना के बाद उत्तराखंड सरकार ने भीड़ नियंत्रण और सुरक्षा की समीक्षा के आदेश दे दिए हैं।
📲 सोशल मीडिया पर श्रद्धालुओं का गुस्सा
घटना के बाद से सोशल मीडिया पर श्रद्धालुओं का आक्रोश देखने को मिल रहा है। ट्विटर/एक्स पर #MansaDeviTragedy ट्रेंड कर रहा है। कई यूजर्स ने मंदिर परिसर के वीडियो क्लिप्स और भगदड़ के दृश्य शेयर किए हैं।
👉 “धार्मिक स्थलों पर भीड़ नियंत्रित करने की ठोस नीति कब बनेगी?” – यूजर की टिप्पणी
कई लोगों ने ये भी कहा कि यह सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि लापरवाही और कमजोर प्रशासनिक सोच का नतीजा है। लोगों की मांग है कि भविष्य में ऐसे आयोजनों के लिए पूर्व योजना और आपदा प्रबंधन फोर्स तैनात की जाए।
⚠️ भविष्य के लिए क्या सबक?
इस हादसे ने फिर से सवाल खड़ा किया है कि भारत में धार्मिक स्थलों पर भीड़ नियंत्रण के लिए कोई मजबूत नीति क्यों नहीं है? हर त्योहार और विशेष अवसर पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटती है, लेकिन व्यवस्था वही पुरानी होती है।
👉 “हर धार्मिक आयोजन के लिए डिजास्टर मैनेजमेंट ज़रूरी” – सुरक्षा विशेषज्ञ
अब ज़रूरत है कि प्रशासन मंदिरों में टेक्नोलॉजी, मोबाइल एप अपडेट्स, लाइव ट्रैकिंग जैसी सेवाओं का प्रयोग करे। साथ ही भीड़ के लिए दिशा-निर्देश, संकेत बोर्ड और पुलिस गाइडेंस को अनिवार्य किया जाए।
🔚 निष्कर्ष
हरिद्वार का यह हादसा महज एक अफवाह का परिणाम नहीं था, यह प्रशासनिक अनदेखी, सुरक्षा व्यवस्था की कमी और पुख्ता तैयारी के अभाव की कहानी है। श्रद्धालुओं की श्रद्धा को व्यवस्था की अनदेखी ने रौंद दिया। अब ज़रूरी है कि इस दर्दनाक हादसे से सीखा जाए और भविष्य में ऐसे हादसों को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।