हरियाली तीज महिलाओं के लिए समर्पित एक प्रमुख हिन्दू पर्व है जो श्रावण मास में विशेष रूप से सुहागन स्त्रियों द्वारा मनाया जाता है। यह पर्व न केवल धार्मिक भावनाओं से जुड़ा है, बल्कि प्रकृति प्रेम और सौंदर्य की अनुभूति का प्रतीक भी है। सावन की हरियाली के बीच जब महिलाएं हरे वस्त्र पहनकर झूले झूलती हैं, तो पूरा वातावरण सौंदर्य और भक्ति में लिप्त हो जाता है।
हरियाली तीज 2025 : कब है और क्या है शुभ मुहूर्त?
वर्ष 2025 में हरियाली तीज 31 जुलाई, गुरुवार को मनाई जाएगी। इस दिन व्रत रखने और पूजन का विशेष महत्व होता है। पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह से लेकर शाम तक होता है, परंतु कथा सुनने और पूजा करने का उत्तम समय प्रातःकाल या संध्या काल होता है।
शुभ मुहूर्त:
- व्रत आरंभ: प्रातः ब्रह्म मुहूर्त से
- पूजा काल: प्रातः 9:30 बजे से दोपहर 1:00 बजे तक
- कथा श्रवण: संध्या समय 6:00 बजे के बाद
Jaipur Teej Festival 2025___ pic.twitter.com/taZU294lnD
— Pratima Saran (@Preeti_074) July 24, 2025
त्योहार की परंपराएं और रस्में
हरियाली तीज की सबसे प्रमुख परंपरा झूला झूलने की होती है। स्त्रियां समूह में मिलकर गीत गाती हैं, नृत्य करती हैं और पेड़ों पर डाले गए झूलों पर झूलती हैं। इस दिन हरे रंग के वस्त्र, चूड़ियां और बिंदी पहनने की परंपरा होती है। हरे रंग को सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
हर प्रमुख रस्म:
- मेंहदी रचाना
- सोलह श्रृंगार करना
- व्रत रहकर निर्जल पूजा
- सुहाग की सामग्री का आदान-प्रदान
पूजा विधि और जरूरी सामग्री
हरियाली तीज की पूजा विधि सरल होते हुए भी भावनात्मक रूप से अत्यंत गूढ़ होती है। व्रती महिलाएं दिनभर उपवास रखती हैं और शाम को विधिपूर्वक पूजा करती हैं। पूजा में जिन वस्तुओं की आवश्यकता होती है, उनमें शामिल हैं:
पूजा सामग्री:
- गीला मिट्टी का शिवलिंग
- लाल चंदन, धूप-दीप
- बेलपत्र, पुष्प, फल, सुपारी, दूर्वा
- चूड़ियां, मेंहदी, लाल वस्त्र
- माता पार्वती की प्रतिमा या चित्र
व्रत की विशेषता:
- निर्जल व्रत रखा जाता है
- कथा का श्रवण आवश्यक होता है
- व्रत के पश्चात दान का विशेष महत्व
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हरियाली तीज व्रत कथा : प्रेम, तपस्या और पुनर्मिलन की गाथा
माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए अनेक जन्मों तक तपस्या की। कहते हैं कि उन्होंने 108 जन्मों तक कठिन साधना की, जिसके बाद भगवान शिव ने उन्हें अपनी अर्धांगिनी रूप में स्वीकार किया। यह कथा नारी के प्रेम, तप और समर्पण की जीवंत मिसाल है।
कथा का सार:
- माता पार्वती का संकल्प
- कठिन तपस्या और सात्विक जीवन
- अंततः भगवान शिव का स्वीकार
महिलाओं के लिए तीज का सामाजिक और व्यक्तिगत महत्व
यह पर्व महिलाओं के लिए न केवल धार्मिक आस्था से जुड़ा है, बल्कि यह उनके सामाजिक जुड़ाव, आत्मबल और मानसिक संतुलन का प्रतीक भी बन गया है। आज के समय में, जब महिला सशक्तिकरण की बातें होती हैं, हरियाली तीज उस परंपरा की याद दिलाता है जिसमें नारी ने अपने संकल्प, त्याग और शक्ति से नए आयाम गढ़े।
आज की सोच:
- परंपरा के साथ आधुनिकता का मेल
- स्वास्थ्य और आत्मचिंतन का अवसर
- परिवार को जोड़ने वाला पर्व
Glimpses of Teej Mela, today. Let’s enjoy rain in Delhi. pic.twitter.com/eck3h3hrh1
— SAMPURNA (@ngo_sampurna) July 18, 2025
हरियाली तीज 2025 से जुड़ी कुछ खास बातें
इस वर्ष हरियाली तीज को लेकर कई शहरों में विशेष आयोजन हो रहे हैं। वृक्षारोपण से लेकर सामूहिक पूजा, और सोशल मीडिया अभियानों तक, तीज को लेकर खास उत्साह देखा जा रहा है।
खास पहलें:
- सामूहिक सुहाग सामग्री वितरण
- महिलाओं के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम
- सोशल मीडिया पर #HariyaliTeej2025 ट्रेंड
हरियाली तीज में रखें यह सावधानियां
व्रत करते समय खासकर गर्मियों में महिलाओं को अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना चाहिए। निर्जल व्रत शरीर पर असर डाल सकता है, इसलिए ज़रूरत हो तो फलाहार ज़रूर लें।
जरूरी सुझाव:
- गर्भवती महिलाएं उपवास डॉक्टर की सलाह से रखें
- मधुमेह या अन्य बीमारियों से ग्रस्त महिलाएं सावधानी बरतें
- व्रत के साथ जलपान की अनुमति परिवार से लें
परंपरा, प्रकृति और आस्था का संगम
हरियाली तीज का पर्व भारतीय संस्कृति की उस जड़ों से जुड़ी याद दिलाता है जो हमें प्रकृति, नारी शक्ति और आस्था से जोड़ता है। यह पर्व परंपरा को न केवल जीवित रखता है, बल्कि सामाजिक सौहार्द और पर्यावरण प्रेम का संदेश भी देता है।
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