मध्य पूर्व एक बार फिर वैश्विक सुर्खियों में है। ईरान और इज़राइल के बीच हालिया संघर्ष ने न केवल क्षेत्रीय स्थिरता को चुनौती दी, बल्कि परमाणु हथियारों की सुरक्षा को लेकर अंतरराष्ट्रीय चिंता को भी बढ़ा दिया। हालांकि दोनों देशों के बीच युद्धविराम की घोषणा कर दी गई है, लेकिन हालात पूरी तरह शांत नहीं हैं।
इस पूरे घटनाक्रम में भारत ने शांति बनाए रखने की दिशा में संतुलित और स्पष्ट रुख अपनाया है। विदेश मंत्रालय (MEA) ने ईरान-इज़राइल संघर्ष के दौरान संयम और बातचीत के ज़रिए समाधान की वकालत की, और अब इस युद्धविराम का स्वागत करते हुए क्षेत्रीय स्थिरता पर ज़ोर दिया है।
The @IDF just announced
“We’ve set Iran’s nuclear project back by years, and the same applies to its missile program.”-Chief of the General Staff LTG Eyal Zamir during a situational assessment following the beginning of the ceasefire with Iran.#IranVsIsrael#Israel #INDvsENG pic.twitter.com/5mnUvq3lzD
— Wise Andre✳️ (@wiseandre1) June 24, 2025
🟩 भारत का आधिकारिक रुख: MEA ने किया युद्धविराम का स्वागत
भारतीय विदेश मंत्रालय ने ईरान-इज़राइल संघर्ष पर जारी बयान में कहा कि भारत हमेशा से मध्य पूर्व में शांति और स्थिरता का समर्थक रहा है। मंत्रालय ने सभी पक्षों से संयम बरतने और कूटनीतिक रास्ता अपनाने की अपील की।
MEA का बयान:
“हम युद्धविराम का स्वागत करते हैं और आशा करते हैं कि यह आगे शांति की दिशा में एक निर्णायक कदम साबित होगा। भारत मानता है कि किसी भी संघर्ष का समाधान संवाद से ही निकलता है।”
यहां गौरतलब है कि इस विषय पर zeehulchul.com की पिछली विस्तृत रिपोर्ट में भी बताया गया था कि
ईरान-इज़राइल संघर्ष पर ईरान ने अचानक युद्धविराम की घोषणा कर दी थी।
🟩 ट्रम्प का दावा: ‘हमने ईरान के परमाणु ठिकाने तबाह कर दिए’
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया कि अमेरिका द्वारा किए गए मिसाइल हमलों ने ईरान के प्रमुख परमाणु स्थलों को पूरी तरह नष्ट कर दिया है। ट्रम्प के मुताबिक, इस ऑपरेशन ने “ईरान के परमाणु कार्यक्रम को हमेशा के लिए खत्म कर दिया है।”
हालांकि, उनके इस बयान को लेकर सवाल उठने लगे हैं। कई विशेषज्ञों ने इस दावे को अतिरंजित और भ्रामक बताया है। कुछ अमेरिकी रक्षा विश्लेषकों का मानना है कि यह बयान ज़्यादातर राजनीतिक रणनीति के तहत दिया गया है, जिसमें आगामी चुनावों को भी ध्यान में रखा गया है।
🟩 सच्चाई क्या है? विशेषज्ञों की राय और सैटेलाइट इमेज रिपोर्ट
ट्रम्प के दावों के तुरंत बाद अंतरराष्ट्रीय मीडिया संगठनों और सुरक्षा एजेंसियों ने सैटेलाइट इमेज का विश्लेषण शुरू किया।
इन छवियों में किसी भी प्रमुख परमाणु संयंत्र में भारी विनाश के संकेत नहीं मिले।
National Herald की रिपोर्ट के अनुसार, “ईरान के नटांज़ और फोर्डो परमाणु संयंत्रों पर मामूली संरचनात्मक क्षति देखी गई है, लेकिन वे पूरी तरह नष्ट नहीं हुए हैं।”
The Hindu ने भी इसी तरह की जानकारी देते हुए लिखा कि “मौजूदा सबूतों से यह स्पष्ट होता है कि ट्रम्प के दावे को पुष्टि नहीं मिलती।”
विशेषज्ञों की राय:
- जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के परमाणु विश्लेषक डॉ. क्लार्क कहते हैं:
“यह कहना कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम खत्म हो गया है, तथ्यों से परे है। केवल कुछ महीने की रुकावट आई है।” - सैटेलाइट इंटेलिजेंस ग्रुप ‘Maxar’ द्वारा जारी ताजा इमेज में निर्माण गतिविधियों के कुछ हिस्सों में हल्का नुकसान दिखा, लेकिन अधिकांश इंफ्रास्ट्रक्चर जस का तस रहा।
🟩 ईरान का जवाब: ‘कार्यक्रम सुरक्षित है, बस कुछ महीनों की देरी’
ईरान ने अमेरिका और इज़राइल के दावों को खारिज करते हुए कहा कि उनका परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह सुरक्षित है।
तेहरान के मुताबिक, केवल कुछ हिस्सों को मरम्मत की आवश्यकता है और कार्यक्रम “तीन से चार महीने में पूरी क्षमता से फिर शुरू हो जाएगा।”
ईरान के सरकारी चैनल IRNA ने बताया कि हमले के बाद वैज्ञानिकों की टीम सक्रिय हो गई है और सभी ज़रूरी उपाय तुरंत शुरू कर दिए गए हैं।
ईरान की संसद की रक्षा समिति के एक सदस्य ने कहा:
“हमारे दुश्मन चाहें जितनी कोशिश कर लें, ईरान का वैज्ञानिक विकास नहीं रुकेगा।”
🟩 क्षेत्रीय असर और वैश्विक प्रतिक्रिया
ईरान-इज़राइल संघर्ष और उसके बाद हुए परमाणु ठिकानों पर हमलों ने कई देशों को सुरक्षा चिंताओं से भर दिया है। खाड़ी देशों, विशेष रूप से सऊदी अरब और यूएई, ने भी इस मामले में संयम की अपील की है।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने एक बयान में कहा:
“हम सभी पक्षों से संयम बरतने और बातचीत की मेज़ पर लौटने का आग्रह करते हैं।”
इसके अलावा, तेल की कीमतों में भी उतार-चढ़ाव देखने को मिला। संघर्ष की शुरुआत के बाद क्रूड ऑयल की कीमतें 4% तक बढ़ गई थीं, लेकिन युद्धविराम के बाद स्थिति धीरे-धीरे स्थिर हो रही है।
🟩क्या यह सिर्फ ठहराव है या स्थायी शांति?
इस पूरे घटनाक्रम से एक बात तो साफ है — ईरान का परमाणु कार्यक्रम खत्म नहीं हुआ है, सिर्फ अस्थायी रूप से धीमा पड़ा है। ट्रम्प के दावों को लेकर भी कई संदेह हैं। ऐसे में यह युद्धविराम कितना स्थायी रहेगा, यह आने वाले हफ्तों में साफ होगा।
भारत जैसे देश जो मध्य पूर्व की शांति में गहरी रुचि रखते हैं, उनके लिए यह एक चिंताजनक परंतु आशावादी स्थिति है। भारत का संतुलित रुख क्षेत्र में उसकी सकारात्मक भूमिका को और मजबूत करता है।
अब दुनिया को इंतजार है — क्या यह शांति स्थायी होगी या यह सिर्फ एक अस्थायी ठहराव है?