सुबह-सुबह सूरज निकला भी नहीं था कि पुरी की सड़कों पर रौनक दिखाई देने लगी। मंदिर की घंटियों की आवाज़, “जय जगन्नाथ” के नारों की गूंज, और हाथ में पूजा की थाली लिए भक्तों की टोलियाँ… सबकुछ जैसे किसी फिल्म का दृश्य हो — लेकिन नहीं, ये रियल है। ये पुरी की वो सुबह है, जब हर साल भगवान जगन्नाथ अपने भाई और बहन के साथ रथ पर सवार होकर नगर भ्रमण के लिए निकलते हैं।
🛕 आखिर क्या है रथ यात्रा और क्यों मचता है इतना उत्साह?
पुरी का जगन्नाथ मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं है, ये करोड़ों लोगों की आस्था का केंद्र है।
हर साल जून-जुलाई के बीच जब रथ यात्रा होती है, तो मानो भगवान खुद सड़कों पर आ जाते हैं।
लाखों लोग जुटते हैं — कोई भगवान का रथ खींचता है, तो कोई बस दर्शन के लिए दूर-दूर से आता है।
👉 कहते हैं, रथ खींचने से सारे पाप कट जाते हैं।
ये परंपरा कोई नई नहीं है, सदियों से चली आ रही है। राजा हो या रंक, यहां सब बराबर हैं।
🗓️ 2025 का शेड्यूल: कौन-सा दिन किस रस्म के लिए है?
इस साल रथ यात्रा का शुभारंभ 27 जून को हुआ है। पूरा कार्यक्रम 9 दिन चलेगा।
📅 27 जून – पहंडी यात्रा (भगवान को रथ तक लाने की रस्म)
📅 28 जून से 5 जुलाई – भगवान गुंडिचा मंदिर में विश्राम करेंगे
📅 6 जुलाई – बहुदा यात्रा (वापसी यात्रा)
📅 7 जुलाई – सुनाबेसी (स्वर्ण आभूषण दर्शन)
📅 8 जुलाई – नीलाद्री विजय (भगवान वापस अपने मंदिर लौटते हैं)
👉 हर दिन का अपना महत्व है, और भक्त हर पड़ाव पर शामिल होते हैं।
The divine chariots🛞 roll #RathaJatra2025 of Jagannath Puri is a profound spiritual journey,a rich legacy unfolding.Experience the cultural tapestry as the Deities step out embracing all in this magnificent saga.This 9 days event will begin on 27 June 2025 & conclude on 5 July pic.twitter.com/ZWR14h2Uep
— BSF_ODISHA (@BSFODISHA) June 27, 2025
🪔 पहंडी से चेर-पहरा तक: अनोखी रस्में जो पुरी को खास बनाती हैं
रथ यात्रा में सिर्फ रथ खींचना ही नहीं होता, कई परंपराएं हैं जो इस आयोजन को अनोखा बनाती हैं:
🔸 पहंडी यात्रा – भगवान को पालकी में रथ तक लाया जाता है
🔸 चेर-पहरा – गजपति राजा खुद सोने की झाड़ू से रथ की सफाई करते हैं
🔸 भोग प्रसाद – रथों पर विशेष भोग चढ़ाया जाता है
👉 ये सब रस्में ना केवल धार्मिक महत्व रखती हैं, बल्कि समाज में विनम्रता और सेवा का संदेश देती हैं।
🛤️ पुरी की गलियों से गुजरता आस्था का रथ
पुरी की मुख्य सड़क — जिसे बड़ा डांडा कहा जाता है — रथ यात्रा का मार्ग है।
यहां से तीनों रथ निकलते हैं:
🛕 नंदीघोष रथ – भगवान जगन्नाथ का रथ
🛕 तालध्वज रथ – बलभद्र का रथ
🛕 दर्पदलन रथ – सुभद्रा का रथ
लोग अपने हाथों से इन रथों को खींचते हैं। उनके चेहरे पर थकान नहीं, भक्ति दिखाई देती है।
👉 यही वो पल होता है जब भक्त कहते हैं — भगवान हमारे सामने हैं।
🛡️ प्रशासन की तैयारी: हेलिकॉप्टर से लेकर पानी की बोतल तक
जैसे-जैसे भीड़ बढ़ती है, वैसे-वैसे प्रशासन की ज़िम्मेदारी भी।
इस बार ओडिशा सरकार ने पूरी ताकत झोंक दी है:
🔹 100 से ज्यादा मेडिकल टीम
🔹 300 मोबाइल टॉयलेट
🔹 हर चौराहे पर हेल्प डेस्क
🔹 ट्रैफिक कंट्रोल के लिए ड्रोन और CCTV
🔹 मोबाइल ऐप से लाइव अपडेट
👉 श्रद्धालु आएं तो केवल दर्शन की चिंता करें, बाकी सबका ध्यान प्रशासन रख रहा है।
🌍 विदेशों में भी पहुंची पुरी की रथ यात्रा की गूंज
रथ यात्रा अब सिर्फ पुरी की नहीं रही। देश-विदेश में लोग इसे मनाते हैं:
🌐 लंदन – डिजिटल झांकी
🌐 न्यूयॉर्क – सामूहिक भजन
🌐 सिडनी, टोक्यो, मलेशिया – मंदिरों में आयोजन
👉 आस्था की कोई सीमा नहीं होती — और भगवान जगन्नाथ इसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं।
⚠️ अगर आप रथ यात्रा में जा रहे हैं तो ये 5 बातें ध्यान रखें
- हल्का और सादा खाना खाएं
- पानी की बोतल हमेशा साथ रखें
- मोबाइल और पर्स संभालकर रखें
- भीड़ में बच्चों का खास ध्यान रखें
- धार्मिक मर्यादा बनाए रखें
👉 यात्रा में शरीक होना सौभाग्य है, इसे सहज और शांति से जीएं।
🪷 एक भावनात्मक समापन — रथ यात्रा का मतलब सिर्फ रथ नहीं
रथ यात्रा देखना एक भाव है, एक अनुभव है।
जब भगवान खुद भक्तों के बीच आते हैं, तो भक्ति और भव्यता का मेल होता है।
और अगर आप इस बार नहीं जा पाए, तो ये लेख जरूर पढ़ें — इसमें भगवान जगन्नाथ मंदिर के चमत्कारों का ज़िक्र है।
👉 रथ यात्रा सिर्फ एक त्यौहार नहीं, ये भारत की आत्मा है।