जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले के चिशोती इलाके में बादल फटने से आई भीषण तबाही ने पूरे क्षेत्र को हिला कर रख दिया है। भारी बारिश के बीच हुई इस घटना में अब तक 60 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि 100 से अधिक लोग घायल हैं। कई लोग अब भी लापता हैं और राहत-बचाव कार्य तीसरे दिन भी युद्धस्तर पर जारी है।
किश्तवाड़ के चिशोती गांव में 13 अगस्त की सुबह अचानक मौसम ने करवट बदली। आसमान में काले बादल छाए और कुछ ही मिनटों में तेज़ गर्जना के साथ बादल फटने की घटना हुई। इसने पलक झपकते ही गांव में तबाही मचा दी।
- तेज़ बहाव अपने साथ घर, दुकानें, वाहन और खेत बहा ले गया।
- दर्जनों लोग मलबे में दब गए और कई बहाव में बह गए।
- गांव की सड़कों और पुलों को भी भारी नुकसान पहुंचा।
स्थानीय लोगों के अनुसार, इतनी तेज़ और अचानक आई बाढ़ उन्होंने पहले कभी नहीं देखी थी। पानी और मलबे का प्रवाह इतना तीव्र था कि भागने का मौका तक नहीं मिला।
कैसे हुआ हादसा
पहाड़ी इलाकों में मानसून के दौरान बादल फटना कोई नई बात नहीं है, लेकिन इस बार इसकी तीव्रता बहुत ज्यादा थी।
- अचानक जमा हुई भारी मात्रा में बारिश का पानी पहाड़ की ढलानों से नीचे उतरा।
- रास्ते में मिट्टी, पत्थर और पेड़ों के साथ तेज़ी से बहता पानी नीचे बस्तियों में आ घुसा।
- चिशोती गांव इसका सबसे बड़ा शिकार बना।
स्थानीय भूगोल विशेषज्ञ बताते हैं कि पिछले कुछ दिनों से हो रही लगातार बारिश ने मिट्टी को पहले ही संतृप्त कर दिया था। ऐसे में बादल फटने से पानी और मलबा रुकने की बजाय पूरे वेग से नीचे की ओर आया।
NDRF officials said, “65 dead bodies have been recovered so far, 167 are rescued in injured condition and 38 people are in serious condition. While hundreds are missing.”#kishtwarflashflood #cloudburst pic.twitter.com/Fin1KBDrOu
— Matakti aankhein (@prettymoon_23) August 15, 2025
राहत व बचाव अभियान
घटना के तुरंत बाद स्थानीय प्रशासन, सेना, NDRF और SDRF की टीमें मौके पर पहुंचीं।
- बचावकर्मियों ने स्निफर डॉग्स और अर्थमूवर्स की मदद से मलबा हटाने का काम शुरू किया।
- हेलीकॉप्टर के जरिए दुर्गम इलाकों में राहत सामग्री पहुंचाई जा रही है।
- घायलों को नज़दीकी अस्पतालों और बड़े मेडिकल सेंटरों में शिफ्ट किया गया है।
हालांकि राहत कार्य में कई चुनौतियां हैं – दुर्गम पहाड़ी रास्ते, टूटे पुल, खराब मौसम और संचार बाधित होने से बचावकर्मियों को दिक्कतें आ रही हैं।
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घायलों और मृतकों के परिवारों की स्थिति
किश्तवाड़ जिला अस्पताल और अन्य स्वास्थ्य केंद्रों में घायलों का इलाज चल रहा है। डॉक्टरों और नर्सों की टीमें 24 घंटे काम कर रही हैं।
- कई परिवारों ने अपने घर और रोज़गार दोनों खो दिए हैं।
- प्रशासन ने मृतकों के परिवारों और गंभीर रूप से घायलों के लिए आर्थिक मदद की घोषणा की है।
- प्रभावित गांवों में अस्थायी राहत शिविर लगाए गए हैं, जहां खाना, पानी और आवश्यक सामान उपलब्ध कराया जा रहा है।
मौसम और भविष्य की चेतावनियां
मौसम विभाग ने आने वाले दिनों में जम्मू-कश्मीर के ऊपरी इलाकों में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है।
- लोगों को नदी किनारे और ढलानों के पास जाने से बचने की सलाह दी गई है।
- प्रशासन ने पर्वतीय क्षेत्रों में अनावश्यक यात्रा से बचने की अपील की है।
- आपदा प्रबंधन टीमों को तैयार रहने के निर्देश दिए गए हैं।
सरकार और प्रशासन की प्रतिक्रिया
राज्य के मुख्यमंत्री ने प्रभावित इलाकों का हवाई सर्वे किया और अधिकारियों के साथ स्थिति की समीक्षा की।
- मृतकों के परिजनों को मुआवजा और घायलों को मुफ्त इलाज की घोषणा की गई है।
- केंद्र सरकार ने भी बचाव कार्यों के लिए अतिरिक्त फंड और संसाधन भेजने का निर्णय लिया है।
- प्रशासन ने एक हेल्पलाइन नंबर जारी किया है, जिस पर लापता लोगों की जानकारी दी जा सकती है।
सामाजिक और मानवीय पहलू
इस कठिन समय में स्थानीय स्वयंसेवी संगठन और आम लोग भी बचाव कार्य में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं।
- कई लोग अपने घरों को राहत शिविर में बदलकर प्रभावित परिवारों को आश्रय दे रहे हैं।
- सोशल मीडिया पर राहत सामग्री और आर्थिक सहायता के लिए अपील की जा रही है।
निष्कर्ष
किश्तवाड़ की यह त्रासदी हमें यह याद दिलाती है कि पहाड़ी इलाकों में आपदा प्रबंधन को और मजबूत करने की आवश्यकता है।
- शुरुआती चेतावनी प्रणालियों को बेहतर बनाना होगा।
- पहाड़ी बस्तियों में सुरक्षित निर्माण और निकासी योजनाओं पर जोर देना होगा।
- स्थानीय समुदायों को आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण देना चाहिए ताकि ऐसे हादसों में नुकसान कम हो।
आप इस घटना पर क्या सोचते हैं? क्या आपको लगता है कि पहाड़ी क्षेत्रों में चेतावनी सिस्टम और इंफ्रास्ट्रक्चर को और मजबूत करने की ज़रूरत है? नीचे कमेंट में अपनी राय ज़रूर दें।