भारत की टेस्ट टीम के लिए बीते कुछ सालों का रिकॉर्ड जितना आंकड़ों में भरा हुआ दिखता है, उतना ही परेशान करने वाला भी बन गया है। न्यूज़ीलैंड के खिलाफ 3-0 से मिली करारी हार, और ऑस्ट्रेलिया में बहुप्रतीक्षित सीरीज़ गंवाना—ये केवल हार नहीं थीं, ये संकेत थीं कि भारत की टेस्ट रणनीतियों में कहीं ना कहीं खामियां हैं।
अब अगली चुनौती इंग्लैंड के खिलाफ है, जो अपने घर में किसी भी टीम के लिए सबसे कठिन मानी जाती है। भारतीय टीम के प्रदर्शन में निरंतरता की कमी, खासकर गेंदबाज़ी यूनिट में कार्यभार और फिटनेस को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं।
बुमराह पर भारी पड़ रहा है कार्यभार, बीसीसीआई को मिली कड़ी चेतावनी
टेस्ट सीरीज़ दर टेस्ट सीरीज़ जसप्रीत बुमराह पर निर्भरता बढ़ती जा रही है। टीम इंडिया की सफलता का सीधा संबंध बुमराह की उपलब्धता और फिटनेस से जुड़ गया है। एक अनुभवी क्रिकेट विशेषज्ञ ने हाल ही में संकेत दिया कि अगर बीसीसीआई ने बुमराह के कार्यभार को नियंत्रित नहीं किया, तो इसका खामियाजा भारत को आने वाली सीरीज़ में भुगतना पड़ सकता है।
बुमराह के करियर की शुरुआत से ही उनकी यॉर्कर और पेस ने भारतीय आक्रमण को धार दी है, लेकिन उसी पेस और विविधता का नुकसान उनकी फिटनेस पर पड़ा है। पहले भी लंबी इंजरी से बाहर रहने के बाद उन्होंने वापसी की, लेकिन उनकी वापसी के साथ ही उन्हें लगातार तीनों फॉर्मेट्स में झोंक दिया गया।
बीसीसीआई के सामने अब सवाल यह है कि क्या टीम को बुमराह के बिना जीतने की तैयारी करनी चाहिए, या फिर उसी खिलाड़ी पर सारा दारोमदार छोड़ देना चाहिए?
India losing a Test match after setting a target of 350+
Before Bumrah’s debut: 0
Last 3 years with Bumrah in the XI: 2
(In one match, he led the team as well)
I don’t know it’s a Karna curse or something… He becomes useless when we need him the most pic.twitter.com/ozpqnWskJ5— Nishant (@NishantMShakya) June 25, 2025
क्या बुमराह अब भी हैं भारत के सबसे भरोसेमंद गेंदबाज़?
2025 के अब तक के प्रदर्शन पर नजर डालें तो बुमराह ने कई बार शानदार वापसी की है। लेकिन क्या उनकी परफॉर्मेंस अब उतनी ही घातक है?
गेंदबाज़ी में स्पेल की लंबाई, फॉलो-थ्रू में गिरावट, और विकेटों की संख्या में अस्थिरता साफ इशारा करती है कि उनका शरीर अब पहले जैसी तीव्रता से गेंदबाज़ी का साथ नहीं दे रहा।
इसका सीधा असर भारत की गेंदबाज़ी योजनाओं पर भी पड़ा है। जब-जब बुमराह ने शुरुआती विकेट नहीं लिए, टीम का पूरा संतुलन बिगड़ गया।
इंग्लैंड की चुनौती: क्या बुमराह अकेले काफी हैं?
इंग्लैंड की परिस्थितियां तेज गेंदबाज़ों के लिए फायदेमंद मानी जाती हैं। लेकिन वहां की बाज़ बल्लेबाज़ी लाइन-अप, आक्रामक एप्रोच और तेज रन बनाने की मानसिकता के सामने अकेले बुमराह की रणनीति ज्यादा कारगर नहीं दिखती।
भारत को इस बार यह सोचकर मैदान में उतरना होगा कि गेंदबाज़ी इकाई एक टीम के रूप में काम करे, न कि किसी एक सुपरस्टार गेंदबाज़ के सहारे।
गौरतलब है कि भारत बनाम इंग्लैंड पहले टेस्ट के विश्लेषण में भी साफ देखा गया कि रणनीतिक चूक और गेंदबाज़ी योजनाओं की विफलता ने हार को बुलावा दिया।
विशेषज्ञों की राय: भविष्य को लेकर चिंता
टीम इंडिया के पूर्व कोच और कई अन्य अनुभवी खिलाड़ियों ने सार्वजनिक रूप से इस विषय में अपनी चिंता जाहिर की है। उनका कहना है कि यदि बुमराह को ब्रेक नहीं दिया गया या नई गेंदबाज़ों को मौके नहीं दिए गए, तो आने वाले वर्षों में भारत की टेस्ट गेंदबाज़ी कमजोर पड़ सकती है।
कई युवा गेंदबाज़ जैसे अर्शदीप, आवेश, या उमरान की अनदेखी करना टीम के भविष्य के साथ खिलवाड़ है।
अब क्या है बीसीसीआई की रणनीति?
अब जब चेतावनियां साफ हैं और परफॉर्मेंस गिर रही है, बीसीसीआई के सामने दो ही रास्ते हैं:
- या तो वर्कलोड मैनेजमेंट को गंभीरता से लागू किया जाए
- या फिर लगातार इंजरी और थकावट के बाद भी बुमराह को खेलने पर मजबूर किया जाए
यह फैसला सिर्फ एक खिलाड़ी के करियर का नहीं, बल्कि भारतीय टेस्ट क्रिकेट के भविष्य का है।
अब नहीं संभले तो देर हो जाएगी
बुमराह एक कीमती खिलाड़ी हैं, इसमें कोई शक नहीं। लेकिन हर कीमती चीज की एक सीमा होती है। भारत को यह समझना होगा कि जीत के लिए हर खिलाड़ी को मौके देने होंगे, और समय पर ब्रेक देने होंगे।
अगर अब भी वर्कलोड और रणनीति पर ध्यान नहीं दिया गया, तो आने वाली इंग्लैंड सीरीज़ में भी भारत को हार का मुंह देखना पड़ सकता है।