मुंबई एक बार फिर मूसलाधार बारिश से जूझ रही है। शहर की लाइफलाइन कही जाने वाली लोकल ट्रेनें पानी में डूबकर थम गई हैं और इसका सबसे बड़ा कारण है मिटी नदी का उफान। लगातार होती बारिश ने नदी का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंचा दिया, जिसके चलते कई इलाकों में पानी भर गया। सबसे ज्यादा असर रेलवे ट्रैक पर पड़ा, जिससे हज़ारों यात्री फंस गए।
मिटी नदी का कहर: कैसे बिगड़े हालात
मुंबई में मिटी नदी का जलस्तर अचानक तेज़ी से बढ़ गया। नदी का पानी रेलवे ट्रैक और सड़कों पर घुस गया, जिसके कारण कई ट्रेनों को रद्द करना पड़ा। कुछ ट्रेनों को बीच रास्ते रोकना पड़ा, जिससे यात्री घंटों तक फंसे रहे।
लोगों का कहना है कि बारिश इतनी तेज़ थी कि कुछ ही घंटों में हालात बिगड़ गए। निचले इलाकों में घरों और दुकानों में भी पानी भर गया। इस बीच, लोगों को ऑफिस और अस्पताल जाने में भारी दिक्कतें हुईं।
@rushikesh_agre_ Mithi River in upper areas of Marol. Flowing with fierce force and currents good enough for any sort of river rafting. River finally being a river. #mumbairains pic.twitter.com/sE83X71FGR
— Vishal Mashelkar (@Vishal_imback) August 19, 2025
लोकल ट्रेन सेवाएं थमीं: यात्रियों की मुश्किलें
मुंबई की लाइफलाइन कही जाने वाली लोकल ट्रेनें जब थमती हैं तो पूरा शहर रुक जाता है। यही हाल इस बार भी हुआ। सेंट्रल और वेस्टर्न दोनों लाइनों पर ट्रेनों की रफ्तार थम गई, कई ट्रेनें रद्द हो गईं और कुछ घंटों तक कोई विकल्प भी उपलब्ध नहीं था।
यात्रियों ने सोशल मीडिया पर अपनी परेशानी जाहिर की। कुछ लोगों ने तस्वीरें शेयर करते हुए लिखा कि स्टेशन पर पैर रखने तक की जगह नहीं है। बच्चे, बुज़ुर्ग और महिलाएं घंटों तक फंसे रहे।
👉 इसी बीच, एक दिलचस्प पहलू यह भी सामने आया कि लोगों ने एक-दूसरे की मदद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। यह वही “मुंबई स्पिरिट” है, जो हर संकट में दिखाई देती है।
हवाई और सड़क यातायात पर असर
मिटी नदी के उफान और तेज बारिश ने सिर्फ रेलवे ही नहीं, बल्कि हवाई और सड़क यातायात पर भी असर डाला। कई फ्लाइट्स को डायवर्ट किया गया, कुछ देर तक एयरपोर्ट पर संचालन बाधित रहा।
सड़कों पर जलभराव की वजह से गाड़ियां घंटों तक जाम में फंसी रहीं। कई जगह स्कूल और कॉलेजों में छुट्टी करनी पड़ी। ऑफिस जाने वाले लोग भी मजबूर होकर घर लौट गए।
प्रशासन और सरकार की तैयारियां
हालात बिगड़ते ही मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बयान जारी कर कहा कि अगले 48 घंटे बेहद अहम हैं। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे बिना जरूरत घरों से बाहर न निकलें।
BMC, रेलवे प्रशासन और पुलिस की टीमें लगातार हालात पर नज़र रखे हुए हैं। ट्रैक से पानी निकालने के लिए पंपिंग स्टेशन तेज़ी से काम कर रहे हैं। राहत कार्यों में एनडीआरएफ की टीमों को भी लगाया गया है।
मगर सवाल यह उठता है कि हर साल मुंबई इसी समस्या से क्यों जूझती है?
मुंबईकरों की प्रतिक्रिया और जज़्बा
मुंबईकरों ने हमेशा की तरह इस बार भी हिम्मत दिखाई। सोशल मीडिया पर कई लोग फंसे यात्रियों की मदद के लिए जानकारी शेयर करते रहे। कुछ स्थानीय लोग अपने घरों के दरवाज़े खोलकर यात्रियों को आराम और खाना देने लगे।
ट्रेन के फंसे होने पर आसपास के दुकानदारों ने भी यात्रियों को पानी और जरूरी सामान पहुंचाया। यह जज़्बा मुंबई को अलग पहचान देता है।
मिटी नदी और बाढ़ की पुरानी घटनाएं
मिटी नदी का नाम सुनते ही कई लोगों को 2005 की भयंकर बाढ़ याद आती है, जब पूरा शहर ठहर गया था। उस समय भी मिटी नदी का उफान ही तबाही का बड़ा कारण बना था।
विशेषज्ञों का कहना है कि नदी के आसपास अनियोजित निर्माण और गंदगी की वजह से हालात बार-बार बिगड़ते हैं। अगर समय रहते सफाई और ड्रेनेज सिस्टम मजबूत किया जाए, तो इस तरह की आपदाओं से बचा जा सकता है।
आगे की राह
मुंबई हर साल भारी बारिश का सामना करती है, लेकिन सवाल यही है कि क्या शहर का इंफ्रास्ट्रक्चर इसके लिए तैयार है? ट्रेनें थम जाना, फ्लाइट्स डायवर्ट होना और सड़कों का डूबना एक सामान्य घटना बन चुकी है।
जरूरत है कि सरकार, प्रशासन और नागरिक मिलकर स्थायी समाधान तलाशें। मिटी नदी की सफाई, आधुनिक ड्रेनेज सिस्टम और बेहतर प्रबंधन ही भविष्य की कुंजी हैं।
👉 अब सवाल आपके लिए है:
क्या मुंबई को हर साल यही स्थिति झेलनी पड़ेगी या अब कुछ बदलना चाहिए?
अपनी राय नीचे कमेंट में ज़रूर बताएं।