बिहार एक बार फिर चुनावी रंग में रंगने को तैयार है। जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, राज्य की राजनीति में नई घोषणाएं और वादों की बाढ़ सी आ गई है। खासतौर पर नीतीश कुमार की सरकार ने मुफ्त बिजली और सोलर योजना को जिस आक्रामक तरीके से आगे बढ़ाया है, उसने सबका ध्यान खींचा है।
राजनीति में यह कोई नई बात नहीं कि चुनावी मौसम में जनहित योजनाएं तेज़ी से लागू की जाती हैं, लेकिन इस बार मामला कुछ खास है। सरकार की ओर से 125 यूनिट मुफ्त बिजली और ‘हर घर सौर’ योजना को गति देने की बात की जा रही है। सवाल यह है कि अब इस समय इन योजनाओं की ज़रूरत क्यों महसूस हुई?
मुफ्त बिजली का वादा: क्या है योजना का मूल स्वरूप?
राज्य सरकार ने घोषणा की है कि हर परिवार को प्रति माह 125 यूनिट बिजली मुफ्त दी जाएगी। इस योजना के तहत राज्य के लाखों घरों को राहत मिलने की उम्मीद है। इसका सबसे बड़ा फायदा गरीब और मध्यम वर्ग को होगा, जिनका बिजली बिल सीमित होता है।
बिजली की औसत खपत पर नज़र डालें तो बिहार में ग्रामीण इलाकों में एक परिवार की मासिक खपत लगभग 90-110 यूनिट होती है। ऐसे में यह योजना व्यावहारिक तौर पर उपयोगी भी साबित हो सकती है। हालांकि, शहरों में रहने वाले परिवारों के लिए यह काफी नहीं है, लेकिन फिर भी यह एक बड़ी पहल मानी जा रही है।
हमलोग शुरू से ही सस्ती दरों पर सभी को बिजली उपलब्ध करा रहे हैं। अब हमने तय कर दिया है कि 1 अगस्त, 2025 से यानी जुलाई माह के बिल से ही राज्य के सभी घरेलू उपभोक्ताओं को 125 यूनिट तक बिजली का कोई पैसा नहीं देना पड़ेगा। इससे राज्य के कुल 1 करोड़ 67 लाख परिवारों को लाभ होगा। हमने यह…
— Nitish Kumar (@NitishKumar) July 17, 2025
‘हर घर सौर’ योजना की रफ्तार क्यों बढ़ाई जा रही है?
बिजली की आपूर्ति बढ़ाने के लिए सरकार अब सोलर एनर्जी को विकल्प के तौर पर तेज़ी से आगे बढ़ा रही है। ‘हर घर सौर’ योजना का मकसद है कि राज्य के लाखों घरों की छतों पर सोलर पैनल लगाए जाएं, जिससे वे खुद बिजली उत्पन्न कर सकें और ग्रिड पर निर्भरता कम हो।
इस योजना में सरकारी सब्सिडी का प्रावधान भी है, जिससे आम आदमी को जेब पर भार नहीं पड़ेगा। इससे न सिर्फ ग्रामीण इलाकों में बिजली पहुंचाई जा सकेगी, बल्कि पर्यावरण के लिहाज़ से भी यह एक सकारात्मक पहल होगी।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्पष्ट कहा है कि आने वाले समय में ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में यह कदम एक बड़ी भूमिका निभाएगा।
राजनीतिक अर्थ: चुनावी मौसम में योजनाएं क्यों तेज़?
बिहार की राजनीति में चुनावी घोषणाएं नया अध्याय नहीं हैं। लेकिन इस बार जब नीतीश कुमार ने बिजली को लेकर बड़ी घोषणा की, तो राजनीतिक विश्लेषक इसे चुनावी हथियार मान रहे हैं।
इससे पहले भी राज्य में चुनाव से पहले कई लोकलुभावन घोषणाएं की जा चुकी हैं। फ्री लैपटॉप, साइकिल योजना, ड्रेस योजना जैसी घोषणाएं नीतीश कुमार की छवि को मजबूत करने में सफल रही थीं।
ऐसे में 125 यूनिट मुफ्त बिजली और सौर ऊर्जा योजना को भी उसी कड़ी का हिस्सा माना जा रहा है। यह न केवल जनता को राहत देने की दिशा में है, बल्कि एक राजनीतिक दांव भी है, जो मतदाताओं को आकर्षित कर सकता है।
जनता और विपक्ष की प्रतिक्रिया: समर्थन या संदेह?
राज्य के आम लोगों में इस घोषणा को लेकर उत्साह और शंका दोनों देखी जा रही है। कई लोगों का मानना है कि सरकार अगर इसे पूरी ईमानदारी से लागू करती है, तो यह वास्तव में मददगार साबित होगी। वहीं कुछ लोगों का कहना है कि यह सब चुनावी स्टंट है, जो हर बार की तरह चुनाव के बाद ठंडा पड़ जाएगा।
विपक्षी दल इस घोषणा को साफ तौर पर चुनावी चाल बता रहे हैं। उनका कहना है कि जनता को बहलाने के लिए इस तरह की घोषणाएं बार-बार की जाती हैं, जबकि ज़मीन पर कुछ ठोस नहीं होता।
ठीक वैसे ही जैसे हाल ही में दिल्ली के 45 स्कूलों को बम की धमकी वाला ईमेल मिला और प्रशासन को त्वरित कार्रवाई करनी पड़ी, उसी तरह इन घोषणाओं पर भी लोगों की नज़रें टिकी हैं कि क्या ये बातें केवल दिखावा हैं या इनका कोई स्थायी प्रभाव होगा?
Free 125 units of electricity in Bihar by Nitish Kumar.
This is a nationalist, sanatani move.
Kejriwal giving the same was anti-national, pro- Khalistani scheme. pic.twitter.com/SPuOc0zzHc— SDutta (@KhelaHobePart2) July 18, 2025
ऊर्जा संकट की पृष्ठभूमि: समाधान या प्रचार?
बिहार में बिजली की मांग पिछले कुछ वर्षों में लगातार बढ़ी है। खासकर गर्मियों में बिजली कटौती आम हो गई है। गांवों में तो कई बार पूरे दिन बिजली नहीं रहती। ऐसे में यह योजना अगर सही ढंग से लागू हो, तो यह एक वास्तविक समाधान बन सकती है।
लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि अगर आपूर्ति का संसाधन न बढ़ाया गया तो मुफ्त बिजली की योजना खुद ही एक नया संकट खड़ा कर सकती है। इसी कारण सरकार ने सौर ऊर्जा को पूरक स्रोत के रूप में चुना है।
यह देखना होगा कि क्या इन दोनों योजनाओं को समान रूप से बैलेंस करके राज्य की ऊर्जा जरूरतों को पूरा किया जा सकेगा।
आगे का रास्ता: योजनाओं का प्रभाव और अमल
सवाल यही है कि चुनाव के बाद क्या ये योजनाएं अमल में रहेंगी या फिर अन्य योजनाओं की तरह धीरे-धीरे विस्मृति में खो जाएंगी। नीतीश कुमार की सरकार को लोगों का विश्वास जीतने के लिए इन योजनाओं को जमीन पर उतारना होगा।
लोग भी अब वादों से ज़्यादा नतीजों की उम्मीद करते हैं। अगर यह योजना सुचारू रूप से लागू हुई तो न सिर्फ आम जनता को फायदा होगा, बल्कि सरकार की साख भी मजबूत होगी।
क्या ये ‘ऊर्जा राजनीति’ कामयाब होगी?
फिलहाल, सरकार ने एक ऐसा मुद्दा चुना है जो हर नागरिक से सीधे जुड़ा हुआ है – बिजली। मुफ्त बिजली और सौर ऊर्जा की योजना से साफ है कि सरकार जनता को राहत देना चाहती है, लेकिन इसकी टाइमिंग यह भी बताती है कि चुनावी रणनीति के तहत इसे प्राथमिकता दी जा रही है।
अब यह जनता पर है कि वह इन योजनाओं को विकास का संकेत मानती है या चुनावी प्रलोभन। आने वाले चुनाव में यह रणनीति कितनी कारगर होगी, इसका जवाब तो जनादेश ही देगा।