उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दावा किया है कि उनकी सरकार ने अब तक 8 लाख से अधिक युवाओं को सरकारी नौकरियाँ उपलब्ध कराई हैं। उनका कहना है कि यह उपलब्धि पूरी तरह पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया और मेरिट आधारित चयन के कारण संभव हो सकी है। योगी ने इस दौरान विपक्षी सरकारों पर भी निशाना साधा और कहा कि पहले नौकरियाँ केवल पैसों और सिफारिश के दम पर मिलती थीं, लेकिन अब युवा केवल अपनी मेहनत और योग्यता के दम पर सफलता पा रहे हैं।
हाल ही में जब राज्य में गठबंधन की राजनीति में तनाव की खबरें सामने आई थीं, तब भी मुख्यमंत्री ने संतुलन बनाते हुए स्थिति को सहज किया। इस विषय पर पहले एनडीए में तनाव के बीच योगी आदित्यनाथ ने कैसे सुलझाए मतभेद रिपोर्ट में विस्तार से बताया गया था। यह दिखाता है कि सरकार केवल रोजगार ही नहीं, बल्कि राजनीतिक स्थिरता बनाए रखने में भी प्रयासरत है।
योगी सरकार का दावा: नौकरियों का आँकड़ा
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उनके सात वर्षों के कार्यकाल में लाखों युवाओं को विभिन्न विभागों में रोजगार मिला है। इनमें शिक्षा, स्वास्थ्य, पुलिस, प्रशासनिक सेवाएँ, इंजीनियरिंग, तकनीकी और अन्य कई क्षेत्रों की भर्तियाँ शामिल हैं।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इतनी बड़ी संख्या में युवाओं को नौकरी देना आसान नहीं था। इसके लिए भर्ती आयोगों और विभागीय संस्थाओं को मज़बूत किया गया। यूपी पब्लिक सर्विस कमीशन (UPPSC) और अन्य भर्ती एजेंसियों के माध्यम से पूरी प्रक्रिया को निष्पक्ष और समयबद्ध तरीके से पूरा किया गया।
पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया पर ज़ोर
योगी आदित्यनाथ ने अपने भाषण में बार-बार यह दोहराया कि उनकी सरकार ने पारदर्शिता और निष्पक्षता को प्राथमिकता दी। उन्होंने कहा कि अब इंटरव्यू या चयन प्रक्रिया में किसी तरह का पक्षपात नहीं होता। पहले युवाओं को यह आशंका रहती थी कि उनकी मेहनत पर “सिफारिश” भारी पड़ जाएगी, लेकिन आज स्थिति बदल चुकी है।
उन्होंने कहा कि भर्ती प्रक्रिया को डिजिटाइज्ड करने, ऑनलाइन आवेदन और मेरिट आधारित परिणाम जारी करने से विश्वास और बढ़ा है। इस बदलाव ने युवाओं के मन में सरकार और भर्ती एजेंसियों के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित किया है।
पिछले 8 वर्षों के दौरान हम लोगों ने 8.50 लाख से अधिक नौजवानों को सरकारी नौकरी उपलब्ध करवाने में सफलता प्राप्त की है…: #UPCM @myogiadityanath pic.twitter.com/Q6KtasTAKO
— CM Office, GoUP (@CMOfficeUP) September 7, 2025
पिछली सरकारों से तुलना
सीएम योगी आदित्यनाथ ने यह भी कहा कि पिछली सरकारों में नौकरियों के नाम पर भ्रष्टाचार चरम पर था। उनका आरोप है कि उस समय युवाओं से पैसे लिए जाते थे और उन्हें इंटरव्यू में अपमानित किया जाता था। कई योग्य उम्मीदवार सिर्फ़ इस वजह से पीछे रह जाते थे क्योंकि उनके पास राजनीतिक या आर्थिक पहुँच नहीं होती थी।
आज की स्थिति पूरी तरह बदली हुई बताई गई। योगी ने दावा किया कि उनकी सरकार में किसी भी उम्मीदवार को पैसे देने या सिफारिश कराने की ज़रूरत नहीं है।
यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि जब प्रदेश में गठबंधन राजनीति में मतभेद बढ़े थे, तब भी योगी ने स्थिति को संतुलित रखा। एनडीए में तनाव के बीच योगी आदित्यनाथ ने मतभेद सुलझाए आलेख में बताया गया था कि किस तरह उन्होंने NDA के अंदर उठे विवाद को संभाला। इसी स्थिरता का असर राज्य की कार्यप्रणाली और विकास योजनाओं पर साफ़ झलकता है।
युवाओं के लिए अवसर और प्रभाव
सरकारी नौकरियों की इतनी बड़ी संख्या से न सिर्फ़ शहरी बल्कि ग्रामीण युवाओं को भी बड़े अवसर मिले हैं। यह बदलाव राज्य की सामाजिक और आर्थिक संरचना को भी प्रभावित कर रहा है।
कई युवाओं ने पहली बार अपने परिवार में सरकारी नौकरी हासिल की है। इससे उनके आत्मविश्वास में वृद्धि हुई है और समाज में उनकी स्थिति भी मज़बूत हुई है। महिलाओं और पिछड़े वर्गों के युवाओं को भी समान अवसर देने पर बल दिया गया, जिससे सामाजिक संतुलन कायम हुआ है।
राज्य की छवि में बदलाव
एक समय था जब उत्तर प्रदेश को “बिमारू राज्य” कहा जाता था। अपराध, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार के कारण यहाँ की छवि नकारात्मक बनी हुई थी। लेकिन योगी आदित्यनाथ का कहना है कि अब यूपी की छवि पूरी तरह बदल रही है।
उन्होंने दावा किया कि अब निवेशक भी उत्तर प्रदेश में आ रहे हैं क्योंकि यहाँ राजनीतिक स्थिरता और रोजगार के अवसर लगातार बढ़ रहे हैं। ठीक वैसे ही जैसे राजनीतिक चुनौतियों के बीच योगी ने गठबंधन विवादों को सुलझाया था—जैसा कि एनडीए में तनाव के बीच योगी आदित्यनाथ ने मतभेद सुलझाए रिपोर्ट में बताया गया—वैसे ही प्रशासनिक फैसलों ने भी राज्य की छवि को सकारात्मक बनाया है।
चुनौतियाँ और आलोचनाएँ
हालाँकि सरकार के दावों के बावजूद कुछ चुनौतियाँ भी बनी हुई हैं। भर्ती प्रक्रिया में कई बार देर हो जाती है और उम्मीदवारों को लंबे समय तक इंतज़ार करना पड़ता है। कई मामलों में भर्ती परीक्षाओं को लेकर कानूनी अड़चनें भी आती रही हैं।
बेरोजगार युवाओं का एक बड़ा वर्ग अभी भी नौकरियों की राह देख रहा है। सरकार का कहना है कि आने वाले वर्षों में और अधिक अवसर उपलब्ध कराए जाएँगे, लेकिन विपक्ष इसे पर्याप्त नहीं मानता।
भविष्य की योजनाएँ
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भविष्य में भी सरकार रोजगार सृजन की दिशा में ठोस कदम उठाएगी। न केवल सरकारी नौकरियों के माध्यम से बल्कि MSME सेक्टर, स्टार्टअप्स और उद्योगों के ज़रिए भी युवाओं को अवसर दिए जाएँगे।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि डिजिटल भर्ती प्रक्रिया और पारदर्शी सिस्टम को और मज़बूत किया जाएगा ताकि किसी भी उम्मीदवार को असमानता का सामना न करना पड़े।
युवाओं की उम्मीदें और सरकार का वादा
योगी सरकार के 7 साल के कार्यकाल में 8 लाख से अधिक युवाओं को सरकारी नौकरी मिलना एक बड़ा आँकड़ा है। यह सरकार की उपलब्धि है या नहीं, इसका आकलन पाठक खुद कर सकते हैं।
लेकिन इतना तय है कि युवाओं के लिए यह सकारात्मक संदेश है कि अब मेहनत और प्रतिभा के दम पर सफलता पाई जा सकती है। सरकार का दावा है कि यह सिलसिला आगे भी जारी रहेगा और आने वाले समय में और भी अवसर उपलब्ध कराए जाएँगे।
अब सवाल यह है कि आप इस मुद्दे को कैसे देखते हैं? क्या आपको लगता है कि उत्तर प्रदेश की भर्ती प्रक्रिया वाकई निष्पक्ष और पारदर्शी हो गई है? अपनी राय नीचे कमेंट में ज़रूर साझा करें।