भारतीय वेब सीरीज की दुनिया में जब भी सादगी, व्यंग्य और ग्रामीण जीवन की बात होती है, तो एक नाम सबसे पहले सामने आता है — Panchayat. इस शो ने न केवल दर्शकों को हंसाया, बल्कि उन्हें गांव की जमीनी सच्चाई से भी जोड़ा। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि सीरीज में दिखाया गया ‘Phulera’ गांव असल में कहां है?
असलियत: Phulera गांव उत्तर प्रदेश में नहीं, मध्य प्रदेश में है
जिस गांव को ‘Phulera’ कहा गया है, वो असल में उत्तर प्रदेश का नहीं है, जैसा कि सीरीज में बताया गया था। वास्तविकता में यह गांव मध्य प्रदेश के सीहोर जिले के एक छोटे से इलाके में स्थित है, जिसका नाम है — महोड़ी।
यह एक वास्तविक गांव है, जिसकी गलियां, स्कूल, पंचायत भवन और चौपालें, सब कुछ सीरीज में उसी रूप में दिखाया गया है जैसे असल में हैं। यह कोई फिल्मी सेट नहीं, बल्कि एक जीवंत, सांस लेता गांव है।
कैसे बना महोड़ी गांव, ‘Phulera’ का पर्याय?
जब शो के निर्देशक ने एक असली ग्रामीण अनुभव को पर्दे पर उतारने का निर्णय लिया, तो उन्होंने ऐसे गांव की तलाश की जो एकदम वास्तविक लगे — बिना किसी अतिरिक्त साज-सज्जा के।
महोड़ी की साधारण गलियां, मिट्टी की खुशबू, ग्रामीण स्कूल और पंचायत भवन — सब कुछ इस सीरीज के इमोशनल और ह्यूमरस टोन से मेल खाता था। यही कारण था कि इसे शूटिंग के लिए चुना गया और आज यह गांव अपने आप में एक ब्रांड बन चुका है।
गांव बना नई पहचान का केंद्र: अब टूरिज्म स्पॉट बनता जा रहा है ‘Phulera’
जैसे ही यह राज सामने आया कि सीरीज की शूटिंग मध्य प्रदेश में हुई है, लोग ‘असल Phulera’ देखने के लिए इस गांव की ओर आकर्षित होने लगे।
- कुछ लोग यहां फोटो खिंचवाने आ रहे हैं
- कुछ ‘Panchayat भवन’ के सामने रील बना रहे हैं
- तो कुछ बस गांव की शांति को महसूस करना चाहते हैं
So I decided to drive down to Mahodiya village today, some 55 kms from Bhopal, which is fictionalised as #Phulera village in the web series #Panchayat.
Here’s a thread (with commentary) of everything I saw there —1/9 pic.twitter.com/yU2vB22BwJ
— Shubhendu (@BBTheorist) June 26, 2025
गांव में अब बदलाव साफ नजर आने लगे हैं, लेकिन फिर भी इसकी आत्मा वही है — सरल, सजीव और आत्मीय।
Panchayat शो ने कैसे बदली गांवों की धारणा?
भारत में बहुत से लोग गांवों को पुराने ढर्रे पर चलने वाला, पिछड़ा मानते हैं। लेकिन Panchayat जैसी सीरीज ने यह धारणा बदल दी।
- गांव भी ह्यूमर, भावना और संघर्ष से भरे होते हैं
- वहां भी लोग सपने देखते हैं और उन्हें पूरा करने की कोशिश करते हैं
- सरकारी व्यवस्था, बेरोजगारी, दोस्ती, राजनीति और मानवीय रिश्तों को इतनी सहजता से दिखाया गया कि दर्शकों का जुड़ाव स्वाभाविक हो गया
Phulera केवल एक गांव नहीं रहा, वह एक भावना बन गया है।
कैसे पहुंचें असली ‘Phulera’ यानी महोड़ी गांव?
अगर आप भी Panchayat के इस असली गांव को देखना चाहते हैं, तो यहां पहुंचना आसान है:
- नजदीकी शहर: सीहोर (मध्य प्रदेश)
- रेलवे स्टेशन: सीहोर रेलवे स्टेशन (जो भोपाल से जुड़ा है)
- बस मार्ग: सीहोर से महोड़ी गांव के लिए लोकल बस या टैक्सी उपलब्ध हैं
सड़कें ग्रामीण हैं लेकिन सुरक्षित और आसान पहुंच में हैं। आपको वहां पहुंचकर किसी गाइड की जरूरत भी नहीं पड़ेगी — गांव के लोग खुद बहुत मददगार हैं।
गांव के लोगों की प्रतिक्रिया: गर्व, सादगी और अपनापन
जब किसी आम गांव को अचानक से राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलती है, तो वहां के लोग कैसे महसूस करते हैं? महोड़ी गांव के लोग इस नई पहचान से बहुत खुश हैं, लेकिन उन्होंने अपना स्वभाव और सादगी नहीं छोड़ी।
- न तो कोई दिखावा
- न ही कोई मीडिया स्पॉटलाइट का लालच
- लोग बस चाहते हैं कि जो भी उनके गांव आए, वह उसकी सादगी और गरिमा को समझे
Phulera का भविष्य: एक नया ट्रैवल डेस्टिनेशन?
यह सवाल अब आम हो गया है — क्या यह गांव आने वाले समय में एक बड़ा ट्रैवल डेस्टिनेशन बन सकता है?
- यदि वहां सस्टेनेबल टूरिज़्म को बढ़ावा मिले
- गांव की मूल पहचान बची रहे
- स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर मिलें
तो इसमें कोई शक नहीं कि आने वाले समय में महोड़ी गांव पर्यटन मानचित्र पर उभर सकता है।
Panchayat Season 3 और दर्शकों की अपेक्षाएं
हाल ही में आए नए सीजन ने दर्शकों की उम्मीदों को और बढ़ा दिया है। लेकिन एक चीज जो सभी को जोड़ती है, वो है गांव का असली चेहरा।
लोग अब केवल शो नहीं देखना चाहते, वे उस जगह को महसूस करना चाहते हैं। यही कारण है कि महोड़ी गांव की ओर आकर्षण तेजी से बढ़ रहा है।
हालांकि Season 4 को लेकर फैंस के रिएक्शन थोड़े मिले-जुले रहे। कई लोगों को लगता है कि अब शो पहले जैसा नहीं रहा और Phulera से वह गहराई वाला कनेक्शन खो चुका है।
Panchayat Season 4 का रिव्यू पढ़ें — क्या वाकई Phulera वाला जुड़ाव खत्म हो गया?
Phulera अब सिर्फ एक जगह नहीं, एक भावना है
Panchayat सीरीज की सफलता ने यह साबित कर दिया है कि कहानी कहने के लिए भव्य सेट नहीं, सच्चाई चाहिए। और वह सच्चाई मिली मध्य प्रदेश के एक छोटे से गांव — महोड़ी — में।
Phulera अब एक काल्पनिक नाम नहीं, बल्कि एक वास्तविक अनुभव है — जिसे लोग देखना, समझना और जीना चाहते हैं।