पितृ पक्ष 2025 का महत्व
हिंदू धर्म में पितृ पक्ष एक विशेष काल होता है जब हम अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। इसे श्राद्ध पक्ष भी कहा जाता है। यह समय हर साल भाद्रपद पूर्णिमा के बाद से आश्विन अमावस्या तक चलता है। माना जाता है कि इस अवधि में पितरों की आत्माएं पृथ्वी पर आती हैं और अपने वंशजों से तर्पण और श्राद्ध की अपेक्षा करती हैं।
पितृ पक्ष का महत्व केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं बल्कि सांस्कृतिक और पारिवारिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत गहरा है। यह परंपरा हमें अपने मूल और अपनी जड़ों से जोड़े रखती है।
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𝗪𝗵𝘆 𝘁𝗼 𝗱𝗼 𝗦𝗵𝗿𝗮𝗱𝗵 𝗧𝗮𝗿𝗽𝗮𝗻 𝗞𝗿𝗶𝘆𝗮❓
We have certain duties towards our forefathers and Pitra Paksh is the fortnight to do those duties. During Pitra Paksh our forefathers come… pic.twitter.com/Q5RagOQu2R— 𝐏𝐚𝐧𝐤𝐚𝐣 𝐊𝐚𝐬𝐡𝐲𝐚𝐩 (@PankajjKashyapp) September 4, 2025
पितृ पक्ष 2025 कब से कब तक?
पितृ पक्ष 2025 की शुरुआत 6 सितंबर 2025 से होगी और इसका समापन 21 सितंबर 2025 को होगा।
इस दौरान प्रतिदिन अलग-अलग तिथियों पर श्राद्ध किया जाता है, जिसे विशेष रूप से अपने पितरों की पुण्यतिथि या निर्धारित दिन पर संपन्न करना आवश्यक माना गया है।
- 6 सितंबर 2025 – पूर्णिमा श्राद्ध
- 7 सितंबर 2025 – प्रतिपदा श्राद्ध
- 14 सितंबर 2025 – अष्टमी श्राद्ध
- 21 सितंबर 2025 – अमावस्या (सर्वपितृ श्राद्ध)
अमावस्या का दिन सबसे विशेष होता है, जब सभी पितरों के लिए श्राद्ध और तर्पण किया जाता है।
👉 इसी तरह, जैसे अनंत चतुर्दशी 2025 पर भगवान गणेश को विदा करने की परंपरा है, वैसे ही पितृ पक्ष में पूर्वजों को स्मरण कर उनका आशीर्वाद लिया जाता है।
धार्मिक महत्व और पौराणिक मान्यताएं
पितृ पक्ष का उल्लेख वेदों, पुराणों और स्मृति ग्रंथों में मिलता है।
- गरुड़ पुराण में कहा गया है कि इस काल में श्राद्ध करने से पितरों को तृप्ति मिलती है और वे अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं।
- महाभारत में भी पितृ पक्ष का विशेष महत्व बताया गया है। भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर को श्राद्ध विधि का महत्व समझाया था।
मान्यता है कि श्राद्ध करने से पितरों की आत्माएं प्रसन्न होकर परिवार के सुख, स्वास्थ्य और समृद्धि में वृद्धि करती हैं।
पितृ पक्ष में श्राद्ध और तर्पण की विधियां
श्राद्ध और तर्पण इस पूरे काल के सबसे अहम अनुष्ठान हैं।
- श्राद्ध विधि:
- ब्राह्मण भोजन कराना
- जल, तिल और पुष्प अर्पित करना
- भोजन में खीर, पूड़ी, दाल और मौसमी सब्जियां बनाना
- तर्पण विधि:
- कुश के आसन पर बैठकर दक्षिणमुखी होकर तर्पण करना
- तिल और जल अर्पित करना
- “ॐ पितृभ्यः स्वधा” मंत्र का जाप करना
- क्या करें और क्या न करें:
- मांसाहार, मदिरा और तामसिक भोजन से परहेज करें
- पितरों के नाम से दान करें
- ब्राह्मण और जरूरतमंद को भोजन कराएं
- अपशब्द और कटु वचन का प्रयोग न करें
इन विधियों का पालन करने से पितृ तृप्त होते हैं और परिवार में शांति बनी रहती है।
पितृ पक्ष 2025 : ज्योतिषीय और आध्यात्मिक दृष्टिकोण
ज्योतिष में पितृ पक्ष का गहरा संबंध पितृ दोष से माना जाता है।
- यदि कुंडली में पितृ दोष है तो इस समय श्राद्ध और तर्पण करने से राहत मिलती है।
- ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति पितरों की कृपा से संतुलित हो सकती है।
- ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, पितृ पक्ष में किए गए दान और पूजन का फल कई गुना बढ़कर मिलता है।
आध्यात्मिक दृष्टि से भी यह समय आत्मशुद्धि और पितरों के स्मरण का अवसर है।
पितृ पक्ष 2025 में किए जाने वाले खास उपाय
इस समय कुछ विशेष उपाय करने से जीवन की कठिनाइयों से मुक्ति मिल सकती है।
- पारिवारिक शांति के लिए उपाय:
- प्रतिदिन पितरों के नाम से तिल और जल अर्पित करें।
- घर में दीपक जलाएं।
- करियर और धन लाभ के लिए उपाय:
- काले तिल का दान करें।
- गरीबों को भोजन कराएं।
- स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि के लिए उपाय:
- ब्राह्मण को वस्त्र दान करें।
- पितरों के नाम से हवन करें।
यह समय केवल पितरों को स्मरण करने का ही नहीं बल्कि अपने जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाने का भी अवसर है।
पितृ पक्ष और समाज : सांस्कृतिक भूमिका
पितृ पक्ष हमें यह सिखाता है कि परिवार की जड़ें हमारे पूर्वजों से जुड़ी हैं।
- यह परंपरा संस्कार और संस्कृति को जीवित रखने का माध्यम है।
- परिवार में आपसी एकता और प्रेम को बढ़ावा देती है।
- नई पीढ़ी को भी यह सीख मिलती है कि पूर्वजों का सम्मान करना जरूरी है।
निष्कर्ष
पितृ पक्ष 2025 केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का समय है। यह हमें अपनी जड़ों और संस्कृति से जोड़ता है।
पूर्वजों का आशीर्वाद पाकर ही जीवन में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है।
👉 क्या आप पितृ पक्ष में श्राद्ध या तर्पण करते हैं? अपने अनुभव और विचार हमें नीचे Comment में ज़रूर बताएं।