प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर भारत की वैश्विक भूमिका को नई दिशा देने के उद्देश्य से 8 दिनों की बहुप्रतीक्षित 5 देशों की विदेश यात्रा शुरू कर दी है। इस दौरे में वे घाना, अर्जेंटीना, ब्राजील, मोज़ाम्बिक और पराग्वे का दौरा करेंगे। यह दौरा न सिर्फ रणनीतिक और आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि भारत की “वैश्विक दक्षिण” में बढ़ती भूमिका को भी परिभाषित करता है।
यह पीएम मोदी की पिछले 10 वर्षों में सबसे लंबी विदेश यात्रा मानी जा रही है। इस दौरान वे ब्रिक्स सम्मेलन, द्विपक्षीय बैठकों, भारतीय समुदाय से संवाद और वैश्विक मंचों पर भारत की आवाज बुलंद करने के इरादे से कई कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे।
यात्रा का पूरा शेड्यूल और महत्व
इस 5 देशों के दौरे की शुरुआत घाना से हुई है। इसके बाद मोदी अर्जेंटीना, ब्राजील, मोज़ाम्बिक और पराग्वे जाएंगे। हर देश में अलग-अलग थीम आधारित कार्यक्रम और रणनीतिक बैठकें आयोजित की जाएंगी।
भारत की यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब वैश्विक राजनीति में ब्रिक्स जैसे मंचों की भूमिका पहले से अधिक अहम हो गई है। भारत के लिए यह दौरा ब्रिक्स नेतृत्व, दक्षिण-दक्षिण सहयोग, और बहुपक्षीय कूटनीति को धार देने का एक अवसर है।
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घाना: अफ्रीकी साझेदारी की नई शुरुआत
पीएम मोदी का पहला पड़ाव घाना है, जहां भारत और अफ्रीका के रिश्तों में नई ऊर्जा भरने की कोशिश की जा रही है। घाना भारत के साथ तकनीकी, स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्रों में सहयोग को लेकर हमेशा से सकारात्मक रहा है।
इस दौरे में डिजिटल इंडिया, टीकाकरण मिशन, और युवा सशक्तिकरण जैसे विषयों पर गहन चर्चा की गई। इसके अलावा घाना में भारतीय मूल के लोगों की बड़ी संख्या है, जिन्हें संबोधित करते हुए पीएम ने कहा,
“भारत और अफ्रीका, दोनों का भविष्य उज्ज्वल है, बशर्ते हम साथ मिलकर काम करें।”
यह साझेदारी ‘ग्लोबल साउथ’ की एकजुटता का प्रतीक बन रही है।
🚨 PM Modi to begin a major 5-nation tour from July 2 ✈️🌍
— Visiting Ghana, Trinidad & Tobago, Argentina, Brazil (for the 17th BRICS Summit), and Namibia
— 8 days, 2 continents, marking a STRONG push for India’s global leadership 🇮🇳🌐 pic.twitter.com/ceM5oQ1iBe— Megh Updates 🚨™ (@MeghUpdates) June 29, 2025
अर्जेंटीना: व्यापार, कृषि और ऊर्जा सहयोग
अर्जेंटीना की राजधानी ब्यूनस आयर्स में पीएम मोदी ने अर्जेंटीना के राष्ट्रपति के साथ द्विपक्षीय बैठक की। इस दौरान कृषि तकनीक, फार्मास्युटिकल सप्लाई, और सौर ऊर्जा परियोजनाओं पर सहयोग के दस्तावेज़ साइन हुए।
भारत अर्जेंटीना के लिए फार्मा और तकनीक का एक भरोसेमंद साझेदार बन चुका है। वहीं अर्जेंटीना भारत को लिथियम सप्लाई के लिए एक प्रमुख स्रोत बन सकता है, जो इलेक्ट्रिक व्हीकल्स और रिन्यूएबल एनर्जी में बेहद अहम है।
दोनों देशों के बीच बढ़ते रिश्तों को लेकर मोदी ने कहा,
“हमें खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा के क्षेत्र में मिलकर आगे बढ़ना होगा।“
ब्राजील: ब्रिक्स बैठक में भारत की दमदार उपस्थिति
ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में आयोजित होने वाली BRICS 2025 शिखर बैठक इस यात्रा का मुख्य आकर्षण है। यहां भारत, ब्राजील, रूस, चीन और दक्षिण अफ्रीका के नेता एक मंच पर आकर वैश्विक चुनौतियों पर चर्चा करेंगे।
भारत की ओर से मोदी ने जलवायु परिवर्तन, डिजिटल समावेश, और वैश्विक आर्थिक सुधार जैसे विषयों पर भारत का दृष्टिकोण रखा। इसके साथ ही उन्होंने BRICS के विस्तार और नए सदस्य देशों की भागीदारी पर भी जोर दिया।
ब्राजील और भारत के बीच कृषि तकनीक, दवा उद्योग, और सैन्य सहयोग को लेकर विशेष बैठकें हुईं, जिनमें रणनीतिक दस्तावेजों पर हस्ताक्षर हुए।
मोज़ाम्बिक और पराग्वे: द्विपक्षीय संबंधों की मजबूती
पीएम मोदी की यात्रा के शेष दो पड़ाव हैं — मोज़ाम्बिक और पराग्वे।
मोज़ाम्बिक में भारत ने बंदरगाह विकास, सुरक्षा सहयोग, और तेल आपूर्ति के मुद्दों पर समझौते किए। भारतीय नौसेना और मोज़ाम्बिक के बीच सहयोग पर भी चर्चा हुई।
वहीं पराग्वे में वित्तीय तकनीक, स्मार्ट सिटी, और जनस्वास्थ्य सहयोग के क्षेत्रों में द्विपक्षीय समझौते किए गए।
दोनों देशों में भारतीय प्रवासी समुदाय से संवाद भी इस यात्रा का एक अहम हिस्सा रहा, जहां पीएम मोदी ने कहा –
“आप सभी भारत की सांस्कृतिक विरासत और आधुनिक शक्ति के राजदूत हैं।”
यात्रा का रणनीतिक लक्ष्य और संदेश
यह यात्रा केवल कूटनीतिक शिष्टाचार नहीं, बल्कि भारत की एक वैश्विक रणनीति का हिस्सा है। पीएम मोदी ने इस पूरे दौरे के दौरान “विश्वगुरु भारत” की धारणा को मजबूती दी।
भारत अब केवल वैश्विक मंचों का सहभागी नहीं, बल्कि नीति निर्धारक की भूमिका में है। BRICS जैसे संगठन में भारत का नेतृत्व और अफ्रीकी व लैटिन अमेरिकी देशों के साथ भागीदारी, वैश्विक सत्ता संतुलन को नया आकार दे रही है।
भारत की विदेश नीति का नया दौर
पीएम मोदी की 5 देशों की यह यात्रा भारत की विदेश नीति में एक नए युग की शुरुआत है।
यह केवल द्विपक्षीय संबंधों की मजबूती नहीं, बल्कि वैश्विक पटल पर भारत के नेतृत्व को स्थापित करने का संकल्प है। यह यात्रा दिखाती है कि भारत अब संवाद से समाधान तक की दिशा में नेतृत्व कर रहा है।
दर्शकों के लिए यह सवाल विचारणीय है:
क्या भारत अब वैश्विक मंचों पर निर्णायक शक्ति बन गया है?
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