प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का त्रिनिदाद और टोबैगो पहुंचना सिर्फ एक राजनयिक यात्रा नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति की वैश्विक उपस्थिति का जीवंत उदाहरण भी बन गया। एयरपोर्ट पर जैसे ही उनका आगमन हुआ, स्थानीय भारतीय मूल के लोगों ने परंपरागत ‘भोजपुरी चउताल’, ढोलक और मंजीरे की धुनों के साथ उनका स्वागत किया। यह दृश्य सिर्फ स्वागत का नहीं, बल्कि सांस्कृतिक संबंधों की गहराई का प्रतीक था।
ढोलक और मंजीरे की गूंज में भारतीय आत्मा
जब प्रधानमंत्री मोदी त्रिनिदाद की धरती पर उतरे, तो वहां के स्थानीय भारतीय मूल के नागरिकों ने पारंपरिक वेशभूषा में ‘चउताल’ गाते हुए, ढोलक और मंजीरे की धुनों पर नृत्य करते हुए उनका भव्य स्वागत किया। ‘बहुत खुशी भईल’ जैसे वाक्य उनके स्वागत गीतों में शामिल थे, जो कि एक भावनात्मक जुड़ाव को दर्शाता है।
Bhojpuri Chautaal echoes in Trinidad & Tobago! pic.twitter.com/k2OBhPg7ch
— narendramodi_in (@narendramodi_in) July 3, 2025
सांस्कृतिक विरासत: भारत से त्रिनिदाद तक की यात्रा
साल 1845 में जब पहली बार भारतीय मजदूरों को ‘गिरमिटिया’ श्रमिकों के रूप में यहां लाया गया था, तब किसी ने नहीं सोचा था कि एक दिन भारत का प्रधानमंत्री इन्हीं के वंशजों द्वारा भोजपुरी लोकसंगीत से स्वागत किया जाएगा। आज, त्रिनिदाद और टोबैगो की लगभग 37% आबादी भारतीय मूल की है, जो वहां की राजनीति, संस्कृति और समाज का अभिन्न हिस्सा बन चुकी है।
पीएम मोदी का भाषण: “बिहार की बेटी” का ज़िक्र
अपने भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने वहां की पूर्व प्रधानमंत्री कमला प्रसाद बिसेसर को “बिहार की बेटी” कहकर संबोधित किया, जिससे दर्शकों में खासा उत्साह देखने को मिला। उन्होंने कहा,
“यहां आकर महसूस होता है कि भारत की आत्मा सिर्फ सीमा में नहीं बंधी, बल्कि वह दुनिया भर में बसी हुई है।”
Several people in Trinidad & Tobago have their roots in India. People of India consider Prime Minister Kamla Persad-Bissessar as a daughter of Bihar. pic.twitter.com/Jp3S5WArT3
— Narendra Modi (@narendramodi) July 4, 2025
संस्कृति के माध्यम से जुड़ाव की नई मिसाल
प्रधानमंत्री ने विशेष रूप से इस बात पर जोर दिया कि कैसे भारतीय संस्कृति ने सीमाओं को पार कर वहां की धरती पर अपनी पहचान बनाई है। उन्होंने योग, भाषा, संगीत और परंपराओं की भूमिका को ‘Soft Power’ करार देते हुए बताया कि यह भारत की वैश्विक छवि को और मजबूत बना रही है।
भारतीय मूल के लोगों में गर्व की भावना
इस दौरे ने त्रिनिदाद में बसे भारतीय मूल के समुदाय में गर्व और आत्मीयता का संचार किया है। स्थानीय लोगों ने कहा कि “हमने कभी नहीं सोचा था कि भारत के प्रधानमंत्री हमारे बीच आकर हमारी संस्कृति को इतना आदर देंगे।” छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, सभी की आंखों में खुशी और गर्व की झलक थी।
सांस्कृतिक कार्यक्रमों की भव्य झलक
पीएम मोदी के स्वागत के बाद आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में भोजपुरी, अवधी, और अन्य भारतीय भाषाओं में लोकगीत, नृत्य और नाटक प्रस्तुत किए गए। वहां की भारतीय मूल की युवा पीढ़ी ने पारंपरिक कपड़ों में मंच पर प्रस्तुति देकर यह दिखा दिया कि संस्कृति कैसे पीढ़ी दर पीढ़ी जीवित रहती है।
भारत-त्रिनिदाद व्यापारिक संबंधों की झलक
इस यात्रा के दौरान पीएम मोदी ने त्रिनिदाद सरकार से कई द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा की, जिनमें ऊर्जा, टेक्नोलॉजी और कृषि प्रमुख रहे।
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भविष्य की राह: सांस्कृतिक जुड़ाव से वैश्विक नेतृत्व तक
इस दौरे से यह संदेश स्पष्ट हुआ कि भारत अब सिर्फ एक आर्थिक शक्ति नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक मार्गदर्शक भी बन चुका है। प्रधानमंत्री मोदी ने न केवल राजनीतिक चर्चा की, बल्कि संस्कृति और जड़ों से जुड़े रहने का महत्व भी दर्शाया।
लोकप्रियता और सोशल मीडिया पर हलचल
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर #ModiInTrinidad, #BhojpuriWelcome और #GlobalBharat ट्रेंड कर रहे हैं। भारत ही नहीं, विदेशी नागरिकों ने भी इस अनूठे स्वागत की सराहना की। कई विदेशी पत्रकारों ने इस दृश्य को “Most Heartfelt Diplomatic Welcome” कहा।
दुनिया को जोड़ने की एक कोशिश
त्रिनिदाद और टोबैगो जैसे छोटे देशों से रिश्ते मजबूत करना भारत की विदेश नीति की एक अहम रणनीति बन चुका है। यह सिर्फ व्यापार या रणनीति नहीं, बल्कि दिल से दिल का रिश्ता बनाने की पहल है।
संस्कृति से जुड़ाव ही असली शक्ति
प्रधानमंत्री मोदी की त्रिनिदाद यात्रा सिर्फ एक औपचारिक दौरा नहीं था, यह भारत की आत्मा को दुनिया के उस छोर तक ले जाने की कोशिश थी, जहां भारतीयों की जड़ें सदियों से बसी हैं। ‘चउताल’ की गूंज और मंजीरे की थाप के बीच यह दौरा एक भावनात्मक व सांस्कृतिक पुनर्मिलन बन गया।