पंजाब में एक बार फिर पुलिस महकमे में भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। भूचो मंडी में पदस्थ डीएसपी के सहायक रीडर को ₹1 लाख की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया है। इस कार्रवाई को एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने पूरी योजना के तहत अंजाम दिया। शिकायतकर्ता द्वारा रिश्वत की मांग की सूचना देने के बाद टीम ने आरोपी को दबोच लिया।
भूचो मंडी में रिश्वत का पर्दाफाश
यह घटना सोमवार, 1 जुलाई 2025 की है, जब बठिंडा जिले के भूचो मंडी इलाके में डीएसपी ऑफिस में तैनात एक सहायक रीडर ने एक व्यक्ति से ₹1 लाख की रिश्वत की मांग की। शिकायतकर्ता का मामला पहले से ही पुलिस के पास लंबित था और उसी को प्रभावित करने के लिए आरोपी ने रिश्वत की पेशकश की थी।
शिकायतकर्ता ने तुरंत इस भ्रष्टाचार की सूचना ACB को दी, जिसके बाद एक ट्रैप योजना बनाई गई। योजना के अनुसार जैसे ही आरोपी ने रिश्वत की रकम ली, उसे रंगे हाथों पकड़ लिया गया।
एसीबी की योजना और सटीक कार्रवाई
शिकायत मिलने के बाद ACB की टीम सक्रिय हो गई। बठिंडा रेंज की एंटी करप्शन यूनिट ने शिकायत की गंभीरता को देखते हुए तुरंत एक छापेमारी की योजना बनाई। योजना के तहत ACB ने शिकायतकर्ता को मार्क किए हुए नोट दिए और तय समय पर दोनों पक्षों को निगरानी में रखा।
रिश्वत की रकम लेते ही सहायक रीडर को गिरफ्तार कर लिया गया। यह गिरफ्तारी सबूतों और वीडियो रिकॉर्डिंग के आधार पर की गई, जिससे आरोपी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई संभव हो सके।
#WATCH | बठिंडा: बठिंडा विजिलेंस इंस्पेक्टर अमनदीप सिंह ने कहा, “हमें परमजीत कौर नामक महिला से भुच्चो मंडी सब-डिवीजन के DSP रविंदर सिंह के सहायक रीडर राजकुमार के खिलाफ शिकायत मिली थी। महिला ने बताया कि उसके पति और बेटे को थाना नथाना में झूठा फंसाया गया है, उन्होंने एक बेगुनाही… pic.twitter.com/Byga7CZfZ9
— ANI_HindiNews (@AHindinews) July 1, 2025
आरोपी सहायक रीडर की भूमिका और दायित्व
पुलिस महकमे में सहायक रीडर की भूमिका प्रशासनिक और केस फाइलिंग से जुड़ी होती है। ऐसे कर्मचारी आम जनता और उच्चाधिकारियों के बीच संपर्क सूत्र के रूप में काम करते हैं। इसी वजह से भ्रष्टाचार की संभावनाएं भी अधिक होती हैं क्योंकि इन पदों पर कार्यरत व्यक्ति अक्सर केस के प्रगति या फाइल मूवमेंट को प्रभावित कर सकते हैं।
इस मामले में भी, सहायक रीडर ने शिकायतकर्ता के केस को लेकर अनावश्यक देरी दिखाते हुए पैसों की मांग की, जिससे उसकी नीयत पर सवाल खड़े हो गए।
भ्रष्टाचार कानून और कानूनी धाराएं
इस मामले में आरोपी के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 7 और 13 के अंतर्गत मुकदमा दर्ज किया गया है। इन धाराओं के तहत रिश्वत मांगना, लेना या देने की कोशिश करना कानूनन अपराध है।
यदि कोर्ट में दोष सिद्ध होता है, तो आरोपी को 3 से 7 साल तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान है। ACB के मुताबिक, प्रारंभिक जांच में सभी सबूत आरोपी के खिलाफ हैं और जांच जल्द पूरी की जाएगी।
नागरिकों की जागरूकता और शिकायतकर्ता की भूमिका
इस कार्रवाई में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका शिकायतकर्ता की रही, जिसने डरने की बजाय सही माध्यम से अपनी शिकायत दर्ज कराई। यह उदाहरण सभी आम नागरिकों के लिए प्रेरणा है कि किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार को सहन न करें और उचित प्लेटफॉर्म का उपयोग करें।
पंजाब सरकार द्वारा स्थापित एंटी करप्शन पोर्टल और हेल्पलाइन नंबर आम जनता को सुविधा प्रदान करते हैं, जिससे वे बिना पहचान उजागर किए भी शिकायत कर सकते हैं।
एसीबी की आधिकारिक रिपोर्ट में क्या है?
इस मामले को लेकर ACB की तरफ से जो प्रारंभिक रिपोर्ट जारी की गई है, उसमें यह स्पष्ट रूप से दर्ज है कि आरोपी ने रिश्वत की मांग कब, कैसे और किस परिस्थिति में की। पूरी कार्रवाई के दौरान ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग की गई है जो कोर्ट में साक्ष्य के तौर पर पेश की जाएगी।
FIR में आरोपी का नाम, पद, तैनाती स्थान और शिकायतकर्ता की पूरी जानकारी दर्ज की गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, ACB की इस कार्रवाई में किसी प्रकार की राजनीतिक या प्रशासनिक हस्तक्षेप नहीं हुआ।
इस मामले से जुड़ी बड़ी बात: सरकार की ज़ीरो टॉलरेंस नीति
पंजाब सरकार कई बार यह स्पष्ट कर चुकी है कि भ्रष्टाचार को किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। मुख्यमंत्री पहले ही विभागीय अधिकारियों को पारदर्शिता और जवाबदेही पर जोर दे चुके हैं।
हाल ही में अमेरिका और भारत के व्यापारिक रिश्तों को लेकर एक अहम बयान सामने आया था, जिसमें White House ने प्रधानमंत्री मोदी और ट्रंप के मजबूत संबंध को व्यापार समझौते की कुंजी बताया। ऐसे में देश-विदेश में विश्वास का माहौल तभी बन सकता है जब हर स्तर पर ईमानदारी और पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए।
अब जरूरी है कठोर कार्यवाही
इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि सरकारी महकमों में भ्रष्टाचार पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। लेकिन ACB की तत्परता और शिकायतकर्ता की जागरूकता से यह उम्मीद जगी है कि प्रशासनिक व्यवस्था में पारदर्शिता लाई जा सकती है।
जरूरी है कि जनता न सिर्फ अपने अधिकारों को पहचाने, बल्कि भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज भी उठाए। ऐसे मामलों की कड़ी कार्रवाई ही सिस्टम में सुधार ला सकती है।