पंजाब की Bathinda कोर्ट ने बॉलीवुड अभिनेत्री और बीजेपी सांसद कंगना राणावत को 27 अक्टूबर 2025 को मानहानि (Defamation) के इस केस में व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कंगना की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश होने की याचिका को खारिज कर दिया है। इस आदेश के बाद अभिनेत्री को अदालत में हार्डकॉपी समन के जरिए सूचना भी दी गई है।
यह केस 2020-21 के किसान आंदोलन के दौरान कंगना के एक ट्वीट को लेकर शुरू हुआ, जिसमें उन्होंने Bathinda जिले की बुजुर्ग किसान महिंदर कौर को एक अन्य महिला से गलत तरीके से जोड़ा और आरोप लगाया कि किसान प्रदर्शन में हड़ताल का आयोजन पैसे लेकर किया जाता है। महिंदर कौर ने इस ट्वीट को अपना अपमान माना और मानहानि का केस दर्ज कराया था। अदालत ने यह स्पष्ट किया है कि आरोपी को मामले की शुरुआती सुनवाई में व्यक्तिगत रूप से पेश होना अनिवार्य है, इसलिए वीडियो माध्यम से पेश होने की अनुमति नहीं दी गई है।
कंगना की कानूनी टीम ने कोर्ट से स्थायी छूट की मांग की थी, जिसे कोर्ट ने ठुकरा दिया। अदालत ने कहा कि भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता के तहत मामले के प्रारंभिक चरण में अभियुक्त को स्थायी छूट देना संभव नहीं है। इस फैसले पर प्राथमिकी में आरोपी की गैर-मौजूदगी को लेकर गिरफ्तारी वारंट जारी करने की मांग भी की जा सकती है।
यह मामला पहले पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के समक्ष भी पहुंचा था, जहां कंगना की याचिका को खारिज कर दिया गया। इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, लेकिन शीर्ष अदालत ने इस मामले में हस्तक्षेप से मना कर दिया। महत्वपूर्ण यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने उल्लेख किया कि यह सिर्फ एक ट्वीट नहीं था बल्कि उसमें कंगना ने मामले को और अधिक गंभीर बना दिया था। इसके बाद कंगना ने अपनी याचिका वापस ले ली।
Bathinda Court ‘ਚ ਪੇਸ਼ ਨਹੀਂ ਹੋਏ Kangana Ranaut, ਬੇਬੇ ਮਹਿੰਦਰ ਕੌਰ ‘ਤੇ ਕੀਤੀ ਸੀ ਟਿੱਪਣੀ | pic.twitter.com/TfHIM7fRej
— News18Punjab (@News18Punjab) September 29, 2025
केस की पृष्ठभूमि
यह मानहानि मामला जनवरी 2021 में दर्ज किया गया था, जब किसान आंदोलन ने पूरे देश में जोर पकड़ा था। कंगना राणावत ने अपने ट्वीट में एक महिला को Shaheen Bagh के प्रदर्शनकारी बिलकिस बानो के साथ गलत तरीके से जोड़ा था, जिससे स्थानीय महिला महिंदर कौर की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची। महिंदर कौर ने आरोप लगाया कि यह आरोप झूठे और आपत्तिजनक थे, जिससे उनका समाज में अपमान हुआ। तब से इस मामले की सुनवाई विभिन्न अदालतों में जारी है।
अदालत का आदेश और प्रतिक्रिया
Bathinda कोर्ट ने कंगना द्वारा स्थायी छूट की याचिका खारिज करते हुए उन्हें 27 अक्टूबर को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का निर्देश दिया है। शिकायतकर्ता के वकील ने बताया कि कानूनी प्रक्रिया में गिरफ्तारी वारंट जारी करने का विकल्प भी अदालत के पास है यदि कंगना अदालत में उपस्थित नहीं होती हैं। वहीं कंगना की टीम द्वारा पेश किए गए तर्क ये थे कि कंगना ने सिर्फ किसी अन्य वकील के ट्वीट को रीट्वीट किया है, लेकिन कोर्ट को यह तर्क स्वीकार्य नहीं था।
पिछली कानूनी कार्यवाही
इस मामले को लेकर Bathinda कोर्ट पहले भी कई बार सुनवाई कर चुकी है। 2022 में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने कंगना की याचिका को खारिज किया था। इसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, जहां अदालत ने विशेष रूप से ध्यान दिया कि कंगना की पोस्ट “सिर्फ एक रीट्वीट” नहीं है, बल्कि इसमें उन्होंने स्थिति को बेहद गंभीर और विवादित बना दिया। फरवरी 2022 में कोर्ट ने पहले भी कंगना को समन जारी किया था, जो कि इस केस की शुरुआत का संकेत है।
सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव
कंगना राणावत के ट्वीट और इस केस का व्यापक प्रभाव हुआ है। यह मामला केवल एक कानूनी विवाद नहीं है, बल्कि राजनीतिक और सामाजिक बहसों का केंद्र बन गया है। किसान आंदोलन के समय कंगना की टिप्पणियाँ विवादों में रहीं, जिसके कारण कई समुदायों में यह विषय गरमाया। बॉलीवुड के अलावा यह मामला राजनीतिक दलों के बीच भी चर्चा का विषय रहा है। सोशल मीडिया पर भी इस मामले को लेकर कई मत और प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं।
भविष्य की कानूनी प्रक्रिया
27 अक्टूबर को होने वाली अगली सुनवाई इस मामले के लिए निर्णायक साबित हो सकती है। अदालत इस दिन कंगना की उपस्थिति के बाद अगली कार्यवाही पर निर्णय लेगी। संभावित है कि अदालत मामले की गंभीरता देखते हुए अगले कदम उठाएगी। अगर कंगना कोर्ट में पेश नहीं होती हैं तो गिरफ्तारी वारंट जारी किया जा सकता है, जो कि मामले की गंभीरता को दर्शाता है।
निष्कर्ष और विचार
यह मानहानि मामला भारतीय न्याय व्यवस्थाओं में व्यक्तिगत अभिव्यक्ति की सीमाओं को लेकर एक उदाहरण है। साथ ही, यह बताता है कि सामाजिक और राजनीतिक विवाद न्यायालयों के जरिए कैसे सुलझाए जा रहे हैं। कंगना राणावत और उनके समर्थकों के लिए यह मामला महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके परिणामों से राजनीति और सामाजिक बहस को भी दिशा मिल सकती है। पाठकों से अनुरोध है कि वे इस मामले पर अपने विचार अवश्य साझा करें ताकि स्वस्थ संवाद को बढ़ावा मिले।
इस खबर के राजनीतिक और सामाजिक संदर्भ को समझने के लिए आप हमारे विशेष लेख “Undeclared President’s Rule और Punjab CM Mann के विवाद” भी पढ़ सकते हैं यहां क्लिक करें.